तारे ज़मीं परBy: Rakesh Singh ‘Sonu’ ” जब था मैं ढ़लता सूरज मेरे सपने भी डूब रहे थें, ...
Read more
तब 100-150 रूपए की साइकिल भी मैंने ऑफिस से एडवांस लेकर खरीदी थी : स्व.रामाशीष सिंह, भूतपूर्व अवर सचिव, बिहार लोक सेवा आयोग
भोजपुर जिले के आरा शहर से ग्रेजुएशन करने के दरम्यान हमारे साथ के कुछ एक लड़के अपने अभिभावकों से कभी कभार कुछ पैसे माँगा लिया करते थे, लेकिन तब हमारे समय में पॉकेटमनी का फै...
Read more
बेजुबां है वो मगर बोलती है पेंटिंग
तारे ज़मीं परBy: Rakesh Singh ‘Sonu’“हर मुश्किल सवाल का जवाब हूँ मैं सुनी अँखियों का ख्वाब हूँ मैं हुनर की बोलती किताब हूँ मैं “– श...
Read more
मेरा कैमरामैन बीच में ही फिल्म छोड़कर भाग गया था : ब्रजभूषण, फिल्म निर्देशक
ग्रेजुएशन उपरांत इंस्टीच्यूट ऑफ़ फिल्म टेक्नोलॉजी मद्रास से 1977 में डिप्लोमा लेने के बाद मैंने अपने ही बैनर ‘चित्राश्रम’ के तहत अपने ही निर्माण -निर्देशन में...
Read more
मेरा गोरा रंग देखकर सास ने मुझे तौफे में साड़ी दिया : डॉ. अर्चना मिश्रा, स्त्री रोग विशेषज्ञ (अस्सिस्टेंट प्रोफ़ेसर), एन.एम.सी.एच.पटना
जब अपने मायके बेगूसराय से मुजफ्फरपुर ससुराल पहुंची तो वहां घर में सारी की सारी ग्रामीण महिलाओं को देखकर मैं थोड़ी घबरा सी गयी कि कहीं यहाँ मुझे ज्यादा पर्दे में तो नहीं रह...
Read more