लघु कथा ऑफिस को देर हो रही थी, वह चाय के इंतज़ार में था. पत्नी ने आकर चाय का प्याला थमाया. चाय पीते ही उसका चेहरा उग्र हो गया, उसने तीखी नज़रों से पत्नी को घूरा और बरस पड़ा...
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बोझ (लेखक : राकेश सिंह ‘सोनू’)
लघु कथा लड़केवाले उसकी खूबसूरती पर फ़िदा थे. कम में ही मामला निपट गया था. “मेरे होनेवाले जीजा को ज़रा एक नज़र तुम भी देख लो “, भाई ने बहन से कहा. ” जब सभी क...
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फ्रेंडशिप (लेखक: राकेश सिंह ‘सोनू’)
लघु कथा यह उसका तीसरा बॉयफ्रेंड था. पहनावे व हावभाव से वह भांप गई कि मुर्गा पैसेवाला है. जब लड़के ने बताया कि वह किराये के मकान में रहता है, तो उसे हैरत ना हुई. मगर...
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सबक (लेखक: राकेश सिंह ‘सोनू’)
लघु कथा बस में उसे किसी ने चुटकी काट ली. उसे बुरा लगा. वही हरकत दोबारा हुई. इस भीड़ में वह किस पर शक करती ? तीसरी बार वही हुआ. इस बार उसने देख लिया. लड़क...
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और लगाना पड़ा था फर्श पर पोछा : स्व.गिरीश रंजन, फिल्म निर्देशक
जब हम जवां थेंBy: Rakesh Singh ‘Sonu’ बचपन में मुझेसाहित्य से बड़ालगाव था. शरतचंदके साहित्य नेमुझे भावुक बनादिया. नतीजा यहकि तभी सेफिल्में आकर्षित करने लगीं, न...
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