[vc_row][vc_column]
वो संघर्षमय दिन By: Rakesh Singh ‘Sonu’ पटना के मगध महिला से कॉलेज की पढ़ाई पूरी की… पढाई में मन नहीं लगता था.. क्या करना है ये ग्रेजुएशन तक मुझे नह...
Read more
मर्दानगी (लेखक : राकेश सिंह ‘सोनू’)
लघु कथा मोहल्ले में गोलियां चलीं, रातभर दुबके रहें सभी. बचाओ-बचाओ की आवाजें आईं, लोग सुनकर भी अनसुना कर गए. सुबह होते ही सभी पहुंचे उस लुट चुके को सांत्वना देने. ...
Read more
मौका (लेखक : राकेश सिंह ‘सोनू’)
लघु कथा बहुत दिनों बाद एक पुराने मित्र को याद आई मेरी तो वह मिलने चला आया. मैं और वो छत पर टहलने लगें. वह बातें मुझसे कर रहा था मगर नज़र थी पास वाले छत पर जह...
Read more
अभावों के बीच जलता एक चिराग
तारे ज़मीं परBy: Rakesh Singh ‘Sonu’ ” जब था मैं ढ़लता सूरज मेरे सपने भी डूब रहे थें, ...
Read more
तब 100-150 रूपए की साइकिल भी मैंने ऑफिस से एडवांस लेकर खरीदी थी : स्व.रामाशीष सिंह, भूतपूर्व अवर सचिव, बिहार लोक सेवा आयोग
भोजपुर जिले के आरा शहर से ग्रेजुएशन करने के दरम्यान हमारे साथ के कुछ एक लड़के अपने अभिभावकों से कभी कभार कुछ पैसे माँगा लिया करते थे, लेकिन तब हमारे समय में पॉकेटमनी का फै...
Read more