'विश्व रक्तदाता दिवस' के अवसर पर आई.ए. एस. एसोसिएशन द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन

पटना, 14 जून : विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर आज आई.ए. एस. एसोसिएशन ,अन्य ऑल इंडिया सर्विस एसोसिएशन...

इंटरनेशनल स्कॉलर्स स्कूल में पर्यावरण संरक्षण जागरुकता को लेकर विज्ञान प्रदर्शनी

इंटरनेशनल स्कॉलर्स स्कूल, नयागांव, सारण द्वारा 2 मई 2025 को एक जीवंत और ज्ञानवर्धक जैव विविधता कार्य...

इंटरनेशनल स्कॉलर्स स्कूल में जन्मदिन समारोह का आयोजन

28 फरवरी को पटना के नेपाली नगर स्थित प्रतिष्ठित इंटरनेशनल स्कॉलर्स स्कूल में भव्य जन्मदिन समारोह का...

मंदिर की देवी पूज्यनीय, समाज की देवी निंदनीय क्यों ?

मंदिर की देवी पूज्यनीय, समाज की देवी निंदनीय क्यों ?
नवरात्र पर विशेष By : Rakesh Singh ‘Sonu’ एक बार फिर माहौल हैदुर्गापूजा का, समाज का हर वर्ग पूरी श्रद्धा से देवी को खुश करने का जतन करेगा. लेकिन एक सवाल यह है...
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हिंदी पत्रकारिता ( प्रिंट) में महिलाओं की चुनौतियां ज्यादा, साबित करना पड़ता है खुद को : गीताश्री, कथाकार एवं पूर्व सहायक संपादक, आउटलुक

हिंदी पत्रकारिता ( प्रिंट) में महिलाओं की चुनौतियां ज्यादा, साबित करना पड़ता है खुद को : गीताश्री, कथाकार एवं पूर्व सहायक संपादक, आउटलुक
  मैं मुजफ्फरपुर, बिहार की हूँ. मेरे पिता जी पुलिस विभाग में थे और उनका ट्रांसफरेबल जॉब  होने की वजह से मेरी पढ़ाई एक नहीं, कई स्कूलों में हुई. मेरा लास्ट स्कूल मुजफ्...
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पुलिस सर्विस में आने के बाद भी फिजिक्स- मैथेमैटिक्स बुरी तरह से मेरे दिलो-दिमाग में फंसा हुआ था : अभयानंद, पूर्व डीजीपी,बिहार

पुलिस सर्विस में आने के बाद भी फिजिक्स- मैथेमैटिक्स बुरी तरह से मेरे दिलो-दिमाग में फंसा हुआ था : अभयानंद, पूर्व डीजीपी,बिहार
मेरा जन्म देवघर में हुआ. मेरा गांव है चिंताप जो बिहार के गया जिले में पड़ता है. मेरे पिता जी स्व. जगदानंद 1951 बैच के आई.पी.एस. थें. 1985 में वो भी बिहार के 28 वें डीजीपी...
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फणीश्वरनाथ रेणु की वजह से पहली बार मैंने पी ली थी : कृष्णानंद, भूतपूर्व सहायक संपादक, इंडियन नेशन, पटना एवं ऐतिहासिक उपन्यासकार

फणीश्वरनाथ रेणु की वजह से पहली बार मैंने पी ली थी : कृष्णानंद, भूतपूर्व सहायक संपादक, इंडियन नेशन, पटना एवं ऐतिहासिक उपन्यासकार
  मेरा जन्म बिहार के गया में हुआ. मेरी प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई. उस ज़माने में जब महिलाएं पढ़ना-लिखना नहीं जानती थीं मेरी माँ मिडिल पास थी. जब मैं 8 वीं...
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शर्म से हीरोइन की आँखों से आँखें नहीं मिला पा रहा था : आलोक पाण्डेय , लोक गायक

शर्म से हीरोइन की आँखों से आँखें नहीं मिला पा रहा था : आलोक पाण्डेय , लोक गायक
जब महुआ चैनल के ‘सुर संग्राम’ से मेरी पहचान बनी तो मैंने 2012 में पहला म्यूजिक एलबम किया ‘तू राजा बाबू हउअ’. उस एलबम में 8 गाने थें जिनमे एक-दो गी...
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