मुझे अभिमान है कि ईश्वर ने मुझे एक बेटी दी है : मौसम शर्मा, फाउंडर एन्ड डायरेक्टर, नृत्यांगन हॉबी सेंटर

मुझे अभिमान है कि ईश्वर ने मुझे एक बेटी दी है : मौसम शर्मा, फाउंडर एन्ड डायरेक्टर, नृत्यांगन हॉबी सेंटर

“ऐ जिंदगी क्यों शिकवा करूँ तुझसे कि तूने दर्द इतने दिए…..गम के अलावा जो तूने कुछ दिए वो भी सबको नसीब नहीं होता.”  यह शेर उस जाबांज महिला के लिए है जिसने काफी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अकेली अपनी नन्ही बच्ची को पालते हुए खुद अपने दम पर अपनी खुशियों का आशियाना खड़ा किया. यहाँ बात हो रही है सशक्त नारी की मिसाल बन चुकी नृत्यांगना मौसम शर्मा की.

भागलपुर की रहनेवाली मौसम शर्मा ने एस.एम. कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. बचपन गुजरा और जब होश संभाला तो इनका सपना बन गया अपना डांस स्कूल खोलना और लड़कियों-महिलाओं को आगे बढ़ाना. टीवी पर डांस देखकर इंट्रेस्ट जगा. माधुरी दीक्षित के डांस बहुत पसंद थें तो उनका डांस टीवी पर ही देख-देख के सीखना स्टार्ट किया फिर अपने फ्रेंड्स को घर में बुला-बुलाकर सिखाना शुरू किया. उसके बाद जब मम्मी-पापा ने बोला कि पढ़ाई करो क्यूंकि उससे ही इज्जत बनती है ना कि डांस करने से. लेकिन ये बात मौसम बिल्कुल मानने को तैयार नहीं थीं. पढ़ने में तो मन लगता नहीं था इसलिए जैसे-तैसे करके ग्रेजुएशन कर लिया. सारा ध्यान सिर्फ-और-सिर्फ डांस में ही लगा रहा. फिर ग्रेजुएशन कम्प्लीट भी नहीं हुआ कि मम्मी-पापा ने शादी कर दी. जबकि उस वक़्त मौसम का शादी करने का मन नहीं था. शादी के बाद उनके जीवन में प्रॉब्लम आने शुरू हो गएँ. उसे झेलते हुए कोलकाता से उन्होंने दो साल के डांस कोर्स में एडमिशन लिया. फिर इनकी एक बिटिया हुई जिसका नाम ऋषिका श्री है. ससुरालवाले बेटा चाहते थें लेकिन हुई बेटी जो किसी को रास नहीं आयी. प्रॉब्लम बढ़ती चली गयी. यहाँ तक कि टॉर्चर शब्द साधारण लगने लगा. अगर मौसम तब घर में रह जाती तो शायद वे और उनकी बच्ची दोनी खत्म हो जातीं. उस हालात में भी मौसम ने थोड़ी बहुत हिम्मत जुटाई और उस सिचुएशन से अपने आप को बचाते हुए 6 महीने की बच्ची को गोद में लेकर उस घर से हमेशा के लिए निकल भागीं. मायके में ही रहते हुए उनका डिवोर्स हुआ. और उस दरम्यान उन्होंने अपने डांस के कोर्स पूरे किये. पापा-मम्मी तैयार नहीं थें कि वे डांस क्लास खोलें. तब इस चीज को बहुत गलत तरीके से लेते थें. उन्हें हर चीज में सपोर्ट मिला लेकिन डांस क्लास को लेकर सपोर्ट नहीं मिला. लेकिन जब जिंदगी ने मौसम को इस फेज पर लाकर खड़ा कर दिया कि जहाँ उन्हें खुद अपने बच्चे की परवरिश करनी है और उसे आगे बढ़ाना है, तो इस हालात में उन्होंने महसूस किया कि किसी की अपनी फैमली भी कहाँ तक उसे सपोर्ट कर पाती है जबतक वो खुद कुछ ना करे. फिर उन्होंने खुद एक फैसला लिया. वे चाहती तो मुंबई-दिल्ली जाकर भी सेंटर खोल सकती थीं. उनमे कला थी, डांस और फिटनेस का कोर्स भी किया था. लेकिन दिल्ली-मुंबई जैसे शहरो भरे हुए हैं इन चीजों से तो वहां इनकी कोई अहमियत नहीं रह जाती. मौसम के दिमाग में आया कि बिहार की बेटी हूँ तो बिहार में रहकर ही अपने साथ-साथ बिहार के लिए भी कुछ करूँ. यही सोचकर वे बच्ची को लेकर पटना आ गयीं. तब बेटी दो-ढ़ाई साल की थी.

‘बोलो ज़िन्दगी’ के साथ अपना संस्मरण बयां करतीं मौसम शर्मा

मौसम ने जिद कर लिया था कि किसी के हेल्प से अब अपनी जिंदगी आगे नहीं बढ़ाउंगी. उन्होंने मम्मी-पापा से कहा कि “आपने शादी करा दी आपकी जिम्मेदारी वहीँ खत्म हो गयी. अब ये मेरी किस्मत कि वक़्त ने मुझे यहाँ लाकर खड़ा कर दिया है.” कुछ दिन पटना में मम्मी-पापा भी साथ रहें. पटना के बोरिंग रोड में किराये पर एक छोटा सा रूम लेकर उन्होंने वहां से अपनी जिंदगी स्टार्ट की. उसी रूम से उन्होंने डांस क्लास शुरू किया, उस समय सिर्फ एक बच्चा सीखने आता था. एक-दो महीने तक वही बच्चा रह गया तब मम्मी-पापा बोले “क्या कर रही हो, कौन सा ये बिजनेस है? इससे अच्छा तुम कोई ढंग का जॉब कर लो, तुम्हे सैलरी फिक्स आने लगेगी.” लेकिन मौसम की जिद थी कि वे डांस से ही आगे बढ़ेंगी. घर के रेंट से लेकर बहुत सी प्रॉब्लम आ रही थी. ऐसी प्रॉब्लम भी आयी कि कई दिन वे बच्ची को दिनभर खिलाती और रात में खुद भूखी सोती थी. बच्ची जब बोलती कि मम्मा आइसक्रीम खाना है तो उसे यही बोलती कि आज नहीं कल खिला दूंगी. लेकिन सच्चाई ये थी कि पॉकेट में पैसे नहीं थें फिर बच्चे को कहाँ से खिलातीं. ऐसी ही जिंदगी आगे बढ़ती चली गयी. बहुत सारी प्रॉब्लम आई, बहुत सारी बातों को इस लाइन के अंदर सुना कि क्या डांस का फिल्ड चुनी है, क्या करेगी नचनिया बनकर. फिर भी मौसम ने खुद को स्ट्रॉन्ग बनाकर रखा. लोगों को यह कहकर माइंडवाश करती थीं कि, “जब किसी का बच्चा टीवी के हिट डांस रियालटी शो में जाता है ,जब वो विनर बनता है तो पूरा इंडिया उसे वोट देता है और गार्जियन प्राउड फील करते हैं लेकिन वो भी तो एक नचनिया ही है.” फिर लोग भी धीरे-धीरे समझते चले गए. एक बच्चे से 10 बच्चा हुआ. 10 से 20 हुआ. पहले एक रूम में सेंटर था फिर दो साल के बाद उन्होंने पास में ही एक हॉल लिया जिसका रेंट था 17 हजार रूपए महीना. वहां से 100 बच्चे उनके पास सीखने आएं.

नृत्यांगन हॉबी सेंटर में आर्ट-एन्ड-क्राफ्ट सीखते बच्चे

जब उन्हें लगा कि मैं बहुत आगे जा सकती हूँ. उस वक़्त उन्होंने सोचा कि बच्चों के साथ-साथ वे उन औरतों को बाहर निकालेंगी जो ठीक उन्ही की तरह घर के अंदर बहुत टॉर्चर होती हैं. एक किचेन में रहकर काम करना, लोगों की बातें सुनना, मेंटली वो कितना वीक हो जाती होंगी. उन्हें ऐसी जगह नहीं मिलती होगी जहाँ पर वे खुलकर हंस सकें, बोल सकें और अपने अंदर की कला को बाहर ला सकें. इसी दरम्यान जब क्लास में बच्चे अधिक हो गए तो इन्होने बैंगलोर जाकर 6 महीने का कोर्स किया फिटनेस को लेकर और उसे आगे बढ़ाया एरोबिक्स, जुम्बा, योगा, मेडिटेशन क्लास के रूप में. फिर जबसे उन्होंने ये क्लास शुरू किया उन्होंने देखा कि ये चीजें बहुत जल्दी आगे बढ़ती चली गयीं. आज उनके नृत्यांगन हॉबी सेंटर के 7 साल पुरे हो गए.  इनके हॉबी सेंटर को लोग एक एक्टिविटी जोन बोलते हैं. यहाँ फिटनेस को लेकर लोगों को मेंटली और फिजिकली ठीक किया जाता है. मुख्यतः यह संस्था फीमेल के लिए है ताकि वे आगे बढ़ सकें. फिटनेस, मेडिटेशन कोर्स के अलावा डांस, स्केचिंग, कराटे, आर्ट एन्ड क्राफ्ट, सिंगिंग, स्ट्रूमेंट की क्लासेस हैं. इनका एक और सपना है भविष्य में वृद्धाश्रम खोलना. सोशल ऐक्टिविटीज में हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेनेवाली मौसम कई संस्थाओं के साथ मिलकर झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों के चेहरे पर खुशियां लाने का प्रयास करती हैं. जब भी इनका या इनकी बेटी का बर्थडे आता है ये घर में सेलिब्रेट ना कर अनाथाश्रम और ब्लाइंड स्कूल के बच्चों के बीच जाकर सेलिब्रेट करती हैं. शायद मौसम को जिंदगी ने इतने दर्द दिए हैं कि ऐसा करके ही उन्हें असली ख़ुशी नसीब होती है.

निम्नवर्गीय परिवेश से आनेवाली जुझाड़ू महिलाओं को सम्मानित करतीं मौसम शर्मा

 

 

 

झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई जयंती पर इन्होने 201 महिलाओं को सम्मानित किया था. तब इनका नया ब्रांच खुल रहा था. उनमे 21 ऐसी महिलाएं भी थीं जो रोड पर झाड़ू लगाती हैं, जो घरों में जाकर खाना बनाती हैं, जो कपड़ों में आयरन करती हैं और जो सब्जी बेचती हैं. क्यूंकि वे भी अपना घर चलाने में अपना बहुमूल्य योगदान देती हैं.

 

 

 

 

 

 

अपने प्रेमी व पति रवि राज के साथ मौसम शर्मा

 

मौसम डिवोर्स के बाद जब पटना शिफ्ट हुईं और दिल्ली से कोर्स करके ट्रेन से आ रही थीं तो उनके सामने एक बंदा बैठा था. फिर दोनों में पहली नज़र के आकर्षण के बाद दोस्ती हुई. और आज उस बात को बीते 10 साल हो गए. अभी हाल ही में 2 जुलाई 2017 को मौसम ने उसी बन्दे से लव मैरेज कर लिया जिसका नाम है रवि राज जो निफ्ट में प्रोफेसर हैं. मौसम कहती हैं “अब जाकर मुझे ऐसा लाइफ पार्टनर मिला जिसने सबसे पहले मेरे बच्चे को समझा और जो मेरे हर काम में सपोर्ट करता है.” आज मौसम के हॉबी सेंटर के 3 ब्रांचेज हैं और 650 स्टूडेंट हैं. आज इनकी बेटी 14 साल की हो चुकी है. मौसम बताती हैं कि “मेरे स्ट्रगल लाइफ में मेरी बेटी ऋषिका श्री ने बहुत ज्यादा सपोर्ट किया. जब भी बहुत हिम्मत हार जाती, उदास हो जाती थी, मेरी आँखों से आंसू गिरने लग जाते थें तो मेरी बेटी आकर मेरे आंसू पोछती और ये लाइन अक्सर कहा करती थी कि – मां आपको और क्या चाइये, मैं हूँ ना ! तो मुझे अभिमान है कि ईश्वर ने मुझे एक बेटी दी है.

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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