'विश्व रक्तदाता दिवस' के अवसर पर आई.ए. एस. एसोसिएशन द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन

पटना, 14 जून : विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर आज आई.ए. एस. एसोसिएशन ,अन्य ऑल इंडिया सर्विस एसोसिएशन...

इंटरनेशनल स्कॉलर्स स्कूल में पर्यावरण संरक्षण जागरुकता को लेकर विज्ञान प्रदर्शनी

इंटरनेशनल स्कॉलर्स स्कूल, नयागांव, सारण द्वारा 2 मई 2025 को एक जीवंत और ज्ञानवर्धक जैव विविधता कार्य...

इंटरनेशनल स्कॉलर्स स्कूल में जन्मदिन समारोह का आयोजन

28 फरवरी को पटना के नेपाली नगर स्थित प्रतिष्ठित इंटरनेशनल स्कॉलर्स स्कूल में भव्य जन्मदिन समारोह का...

दूसरों पर आश्रित ना होना पड़े इसलिए दिव्यांग होते हुए भी मैंने घर की दहलीज लाँघी : ऋतु चौबे, फाइनांस एक्जक्यूटिव, कलाहनु ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज,पटना

दूसरों पर आश्रित ना होना पड़े इसलिए दिव्यांग होते हुए भी मैंने घर की दहलीज लाँघी : ऋतु चौबे, फाइनांस एक्जक्यूटिव, कलाहनु ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज,पटना
मेरे मायके में भी लड़कियों को बोझ समझे जाने की मानसिकता चरम पर थी. इतनी कि जब तीसरी बेटी के रूप में मेरा जन्म हुआ मेरे डॉक्टर पिता डिप्रेशन में आकर रो पड़े थें और दादा ने ग...
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तब एहसास हुआ कि पापा मुझे कितना प्यार करते हैं : दिव्या सिंह

तब एहसास हुआ कि पापा मुझे कितना प्यार करते हैं : दिव्या सिंह
“घर से दूर नया ठिकाना  अब यही खुशियों का आशियाना, वो दोस्तों के संग हुल्लड़पन  वो नटखट सा मेरा बचपन, हाँ अपनी यादें समेटकर  गलियों की खुशबू बटोरकर  दुनिया को दिखाने अपना ह...
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मैथिली फिल्मों के लिए ‘अच्छे दिन’ लाने वाली है फिल्म ‘‘प्रेमक बसात’’

मैथिली फिल्मों के लिए 'अच्छे दिन' लाने वाली है फिल्म ‘‘प्रेमक बसात’’
पटना, 15 अक्टूबर, “देश में अच्छे दिन आये कि नहीं, इसका तो ठीक से नहीं पता पर ‘प्रेमक बसात’ आने के बाद मैथिली फिल्मों के अच्छे दिन ज़रुर आ जायेंगे.”...
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पापा के गुजरने के बाद घर का बेटा बनकर जिम्मेदारियां निभानी पड़ीं : सोनी कच्छप, महिला ट्रैफिक कॉन्स्टेबल

पापा के गुजरने के बाद घर का बेटा बनकर जिम्मेदारियां निभानी पड़ीं : सोनी कच्छप, महिला ट्रैफिक कॉन्स्टेबल
मैं रांची, झाड़खंड की रहनेवाली हूँ. बतौर ट्रैफिक कॉन्स्टेबल मेरी ड्यूटी अभी पटना के कोतवाली चौक पर है. हम चार बहने हैं. सबसे बड़ी मैं हूँ. मेरी नौकरी पापा की जगह अनुकम्पा प...
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तब मर्दों के प्रति इतना आक्रोश था कि पुलिस सर्विस ज्वाइन कर सबको सबक सिखाना चाहती थी : मधु श्रीवास्तव, एडवोकेट, पटना हाईकोर्ट

तब मर्दों के प्रति इतना आक्रोश था कि पुलिस सर्विस ज्वाइन कर सबको सबक सिखाना चाहती थी : मधु श्रीवास्तव, एडवोकेट, पटना हाईकोर्ट
ग्रेजुएशन करने के बाद मेरी शादी 1987 में एक बहुत बड़े घर में हुई थी. उस वक़्त दहेज़ की कोई बात नहीं थी मगर वहां जाने के बाद पता चला कि ससुरालवालों की नियत बहुत खराब है. वहां...
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