पटना के निजी हॉस्टल से बी.सी.ए. कर चुकी खुशबू कहती हैं –
मेरा हॉस्टल में आना 2012 में हुआ. मैं वैशाली जिले की रहनेवाली हूँ जहाँ पटना जैसी अच्छी पढ़ाई नहीं होती.मेरा व मेरी छोटी बहन का शुरू से ही लक्ष्य था सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का.हमे पटना भेजने के लिए गार्जियन भी तैयार थे. मेरा मन था पटना में प्राइवेट रूम लेकर रहा जाये लेकिन पापा-मम्मी को मेरा यह विचार सही नहीं लगा. फिर कॉलेज के द्वारा पटना के एक हॉस्टल का पता चला. तब मुझे छोड़ने लगभग पूरी फैमली साथ आई थी. मुझे और मेरी बहन को हॉस्टल में एडमिशन कराकर जब मेरे गार्जियन गाड़ी में बैठकर विदा ले रहे थे तो हमारे साथ साथ पूरी फैमली रो पड़ी. उनके चले जाने के बाद अंदर से हम दोनों को बुरा लग रहा था. सबकी बहुत याद आ रही थी. उसी समय मेरी हॉस्टल ऑनर मेरे पास आईं और मेरा हाथ पकड़कर बोलीं,”आज से तुम दोनों की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है.समझ लो मैं ही तुम्हारी माँ हूँ और एक दोस्त भी.” रात में सोने के वक़्त मुझे नींद नहीं आ रही थी. काफी देर यूँ ही सोचती रही कि आगे कैसे कटेगा.समय व्यतीत करना मुश्किल हो रहा था.बाद में लैपटॉप पर मूवी देखकर मैं सुबह होने की राह तकती रही. उसी रात फैसला कर लिया कि पटना छोड़ना है तो सॉफ्टवेयर इंजिनियर बनने के बाद ही.