पटना, 29 जनवरी, तीन दिवसीय प्रेमनाथ खन्ना स्मृति आदि शक्ति नाट्य महोत्सव के पहले दिन जुर्म नाटक का मंचन किया गया. कला जागरण और सामयिक परिवेश के आयोजन में ममता मेहरोत्रा लिखित जुर्म का नाट्य मंचन रंग गुरूकुल के कलाकारों ने गुंजन कुमार के निर्देशन में किया. अपनी व्यथा कह कर मन के बोझ को कम करने की परंपरा बहुत पुरानी रही है साथ ही ईश्वर के सामने अपने गुनाह कबूल कर अपने को अपराध बोध से मुक्त करने की मान्यता भी प्राचीन है. जुर्म नाटक जुर्म का कथानक भी इसी परंपरा के इर्द-गिर्द घूमता है जिसमें कथा नायक के मन में पल रहे गुनाह के एहसास और उसे व्यक्त कर तनाव मुक्त होने की कोशिश के बीच चल रहे द्वंद को दर्शाया जाता है. कथा नायक जो अपने सीने में दर्द समेटे कन्फेशन की खातिर चर्च के मुख्य पादरी के पास पहुंचता है और अपने दर्द को व्यक्त करता है वह बताता है कि उसकी पत्नी चरित्रहीन और धोखेबाज है जिसने जॉन के दोस्त के साथ अंतरंग स्थापित करने का गुनाह किया है. कथा के प्रवाह में फादर उसे निर्दोष करार देते हैं पर जान यह कहकर फादर को चौकने पर मजबूर कर देता है कि उसने भी अपने उसी दोस्त की पत्नी से नाजायज रिश्ता कायम कर रखा है और उसकी तथाकथित प्रेमिका उसके बच्चे की मां बनने वाली है. इस प्रकार अपना जुर्म कबूल करके कथानाय कथानक को चरम पर पहुंचा देता है जहां यह भी साबित होता है कि विवाहेतर संबंधों को लेकर उसने दो मानदंड स्थापित कर रखे हैं जो नाटक जुर्म को बेहद संवेदनशील तो बनाते हैं साथ ही रोमांच पूर्ण भव्यता भी प्रदान करते हैं.
मंच पर –
जॉन – गुंजन कुमार, फादर- आलोक गुप्ता, लड़का – सचिन मिश्रा, लड़की – श्वेता सुरभि, विनीता सिंह
मंच पर –
प्रकाश परिकल्पना – राज कपूर, वस्त्र विन्यास – मो.सदरूद्दीन, रूप सज्जा – अंजू कुमारी, मंच सज्जा- सुनील कुमार, संगीत संचालन – प्रिंस, प्रकाश एवं ध्वनि संचालन – उपेन्द्र कुमार, राज कुमार, सह निर्देशक – सचिन मिश्रा, सहायक सहयोगी निर्देशक – अभिषेक कुमार
कहानी – ममता मेहरोत्रा, नाट्य रूपांतरण – ब्रहमानंद पाण्डेय, रचना एवं निर्देशन – गुंजन कुमार.
इसके पूर्व अध्यायान आर्ट अकादमी के कलाकारों ने तुलसीदास रचित गीत “श्री रामचंद्र कृपाल भजुमन” पर इमाली दास गुप्ता ने नृत्य प्रस्तुत की. रविन्द्रनाथ टैगोर रचित देश को अर्पित चर्चित कविता “Where The mind is Without Fear” पर प्रांजल प्रिया,श्रेष्ठा मित्रा और इमली दासगुप्ता ने नृत्य का प्रदर्शन किया.
नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन 28 जनवरी को कसाई का मंचन हुआ तो तीसरे दिन सीमा पार नाटक के मंचन के साथ महोत्सव का समापन हुआ.
पटना के कालिदास रंगालय में नाट्य महोत्सव के पहले दिन प्रेम नाथ खन्ना सम्मान समारोह सह कवि गोष्ठी का भी आयोजन हुआ जिसमे देश के कई चर्चित कवियों और साहित्यकारों ने भाग लिया. सामयिक परिवेश के सौजन्य से प्रथम सत्र में आयोजित कवि गोष्ठी में झारखंड के श्याम कुँवर भारती, पश्चिम बंगाल के दिनेश चंद्र प्रसाद, महाराष्ट्र के आर.बी.सिंह, बोकारो के नीतेश सागर, दिल्ली की खुशबू, मध्य प्रदेश की वर्षा तिवारी, बिहार के प्रीतम कुमार झा, दीपक कुमार पंकज, पूनम यादव ने काव्य पाठ कर समा बांधा.
सामयिक परिवेश पत्रिका के संपादक संजीव कुमार मुकेश ने कार्यक्रम का संचालन किया. उन्होंने “पवन संग नदिया बहो री धीरे धीरे..” से आमंत्रित दर्शकों को काफी प्रभावित किया. पटना से अमलेंदु अस्थाना, कुमार रजत, उत्कर्ष आनंद भारत, चंदन द्विवेदी, स्वाति खुशबू, कुमार अनिकेत, कुमार नवीन व प्रेरणा प्रताप ने भी काव्य पाठ से श्रोताओं को आनन्दित किया.
बोलो ज़िन्दगी के राकेश सिंह ‘सोनू’ ने कुछ यूँ सुनाया- “…..उम्मीदों के खाली कप में चाय परोस हमने अपने सपनों को चुस्कियों का न्योता दे दिया…अफ़सोस, चाय तो मेरी तैयार की हुई थी मग़र
उसे वक़्त और हालात मुफ़्त में पीकर चले गयें!” वहीं झारखंड से आयीं विभा तिवारी, उत्तर प्रदेश से ओम प्रकाश, बिहार की सीमा अग्रवाल, पंजाब की सोनिया प्रतिभा तानी, झारखंड की चंद्रिका ठाकुर देशदीप और अनीता सिद्धि मिश्रा ने भी अपनी कविताओं से सभी को काफी प्रभावित किया. सामयिक परिवेश के पूर्व सम्पादक समीर परिमल ने “जा अमीरों की कोठी में मर जिंदगी..” का काव्य पाठ कर श्रोताओं को झुमाया.
इस आयोजन में बिहार और देश भर से पधारे सभी कवियों को और साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में दूरदर्शन केंद्र पटना के कार्यक्रम प्रमुख डॉ.राजकुमार नाहर, उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा सहित चर्चित लेखिका मुख्य संयोजिका ममता मेहरोत्रा और कई प्रबुद्ध साहित्यकारों ने भाग लिया.