मेरे मायके में भी लड़कियों को बोझ समझे जाने की मानसिकता चरम पर थी. इतनी कि जब तीसरी बेटी के रूप में मेरा ज ...
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दूसरों पर आश्रित ना होना पड़े इसलिए दिव्यांग होते हुए भी मैंने घर की दहलीज लाँघी : ऋतु चौबे, फाइनांस एक्जक्यूटिव, कलाहनु ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज,पटना
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कई बार जिंदगी को बिना प्लान किये छोड़ देना चाहिए : अजीत अंजुम, वरिष्ठ पत्रकार (पूर्व मैनेजिंग एडिटर, इंडिया टीवी)
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