पटना, जब हॉल के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही पंक्तियों में खड़े स्टूडेंट्स आनेवाले अतिथियों का अभिवादन करने के साथ उनका स्वागत पुष्प वर्षा से करें… जब हॉल में आते ही अतिथियों की सहसा नज़र विज्ञान सह आर्ट एन्ड क्राफ्ट प्रदर्शनियों के स्टॉल की तरफ चली जाये जिसे खुद स्कूली बच्चों ने तैयार किया हो… और फिर जब स्टेज पर स्टूडेंट्स द्वारा नृत्य,संगीत, नाटक,काव्यपाठ एवं मार्शलआर्ट्स की प्रस्तुति वो भी काफी अनुशासित ढंग से देखकर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित राज्य के शिक्षामंत्री तक दंग रह जाएँ तो यही कहा जायेगा कि नहीं, आज के स्कूल फैक्ट्रियों की तरह सिर्फ स्टूडेंट्स के रूप में भविष्य के डॉक्टर, इंजीनियर,बिजनेसमैन ही नहीं पैदा कर रहें बल्कि उनमे इन एक्टिविटियों के माध्यम से उचित संस्कार भी प्रदान कर रहे हैं जो आज के हालात में इंसान बने रहने के लिए बहुत ज़रूरी है. ऐसे ही शहर के कुछ चुनिंदा स्कूलों में शामिल है स्कॉलर्स एबोड स्कूल और यह नजारा था स्कूल के 23 वर्ष पूरे होने की ख़ुशी में आयोजित कार्यकम का.
15 दिसंबर, रविवार को स्कॉलर्स एबोड स्कूल का 23 वां वार्षिकोत्सव विज्ञान प्रदर्शनी सह आर्ट एन्ड क्राफ्ट प्रदर्शनी के साथ आशियानगर, पारस गार्डन में सपन्न हुआ. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा, डॉ. श्यामल अहमद, राष्ट्रिय पब्लिक स्कूल चिल्ड्रन वेलफेयर, प्रो. के.सी.वाजपेयी(एन.आई.टी.), स्कूल की प्राचार्या डॉ. बी.प्रियम, प्रबंध निदेशक राणा राहुल सिंह, इटली से आये खास मेहमान प्यासेंटी डैनिएल और स्नेज़ाना मित्रोविक द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया.
आगत अतिथियों एवं अभिभावकों ने विज्ञान प्रदर्शनी तथा आर्ट एन्ड क्राफ्ट के मॉडल्स को देखा तथा उससे संबंधित प्रश्नों का उत्तर इसे बनानेवाले स्कूल के बच्चों ने दिया. इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की भी प्रस्तुति क्रमश: सभी वर्ग के छात्र-छात्रों द्वारा की गयी. जहाँ प्राइमरी एवं जूनियर क्लास के बच्चों के डांस ने सभी का दिल जीता वहीँ सीनियर क्लास के बच्चों के परफॉर्मेंस ने रोमांचित किया. मेहंगूपुर ब्रांच के जूनियर क्लास के एक बच्चे ने जब अपने ही हिंदी टीचर की लिखी एक समसामयिक कविता का पाठ किया तो उसे सुनकर शिक्षामंत्री भी चकित रह गएँ और बच्चे की सराहना करते हुए उनकी टिप्पणी आयी कि “इस कविता में वो सारी बातें शामिल थीं जैसा कि आज समाज के हालात चल रहे हैं.”
हिंदी के टीचर द्वारा बेटी के महत्व को लेकर लिखी कहानी पर आधारित नाटक ने भावुक करने के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूकता का संदेश दिया कि अब बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं कीजिये. वहीँ स्कूल के वुशु टीचर सूरज कुमार के निर्देशन में मार्शलआर्ट्स एवं बेटियों को सुरक्षा हेतु सेल्फ डिफेन्स का प्रदर्शन देख देर तक तालियां बजती रहीं. आखिर में जब छात्र-छात्राओं के अलग-अलग ग्रुप द्वारा मानव पिरामिड का प्रदर्शन हुआ तो सारे अतिथिगण उनका हौसला बढ़ाने के लिए खड़े हो गएँ.
अंत में आगत अतिथियों को स्कूल की तरफ से सम्मानित किया गया. विधालय की उप प्राचार्या श्रीमती स्मृति रावत ने धन्यवाद ज्ञापन किया. राष्ट्रिय गीत के बाद कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गयी.
शिक्षा मंत्री ने इस कार्यक्रम को अन्य विधालयों के लिए एक उदहारण बताया. विधालय की प्राचार्या डॉ. बी. प्रियम ने स्टूडेंट्स को इसी तरह कठिन श्रम, अध्ययन में भी करने को कहा जिससे उनका जीवन उज्वल हो सके. वहीँ जब डॉ. बी. प्रियम से स्कूल के 23 साल के सफ़र तय करने के बाबत राय व्यक्त करने को कहा गया तो उन्होंने बताया, “आज से 23 साल पहले जब हमने इस स्कूल की शुरुआत की थी तब भी स्ट्रगल का दौर था और आज भी स्कूल को बुलंदियों पर ले जाते हुए भी स्ट्रगल कम नहीं हैं. तो मैं चाहूंगी कि मेरी तरह मेरे स्टूडेंट्स भी जीवन की चुनौतियाँ झेलने के क्रम में कभी हार ना मानें .”