(Story : RAKESH SINGH ‘SONU’) इस लम्बे Lockdown की बोझिल घड़ी में लोग घरों में रहते हुए कुछ ना कुछ सार्थक काम कर रहे हैं जिससे कोई नकारात्मक बातें दिमाग में ना आएं और हमेशा कुछ सर्जनात्मक होता रहे. मर्दों की बात करें तो कई ऐसे हैं जिन्हें कुकिंग का बहुत शौक है और इस वर्तमान घड़ी में वे अपने इस शौक को पूरा कर अपनी पत्नी व परिवार के लोगों के चहेते बने हुए हैं. बोलो ज़िन्दगी ने ऐसे ही शौक़ रखनेवाले पटना के अपने-अपने क्षेत्र के कुछ दिग्गज कामकाजी मर्दों की पड़ताल की जिन्हे इस लॉकडाउन ने पूरी तरह से शेफ बना दिया है. यहाँ प्रस्तुत है उन 5 शेफ मर्दों की कहानियां : –
संजय कुमार संज’ – आईडीबीआई बैंक, बख्तियारपुर ब्रांच मैनेजर संजय जी लॉकडाउन टाइम में अबतक बेसन का लड्डू, गुलाब जामुन, समोसा, इडली, डोसा बना चुके हैं. अब आगे की योजना सोनपापड़ी मिठाई बनाने की है जो कि आमतौर पर घर में बनाना काफ़ी टफ समझा जाता है. पहले यदा-कदा बैंकिंग वर्क से फ्री होने पर वीकेंड में ही अपने मूड का कोई स्पेशल डिश बनाते थें. लेकिन लॉक डाउन में ऑफिस से घर आने पर सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए अब ना तो किसी दोस्त के घर आना-जाना होता है और कविता लेखन के शौक की वज़ह से अक्सर जो कवि सम्मेलनों में शरीक़ होते थें वो भी बंद हो चुका है. ऐसे में बैंक से घर लौटने पर काफ़ी वक़्त रहता है कुछ करने का.
वैसे 2 महीने पहले कामवाली बाई को छुट्टी दे देने की वज़ह से घर में वर्कलोड तो बढ़ गया है, लेकिन संजय जी अपनी माँ के साथ मिलकर झाड़ू-पोंछा से लेकर किचेन का काम भी प्रसन्नता से कर रहे हैं. डेली रूटीन खाना बनाना तो आम बात है, लेकिन ऑफिस के स्ट्रेस को दूर करने के लिए ये यूट्यूब की मदद से लगभग रोज ही कुछ स्पेशल बनाने में जुट जाते हैं. पकाने के साथ -साथ सजाना यानी प्रेजेंटेशन का भी खूब शौक़ रखते हैं. अभी बहुत सी चीजें इन्होंने फर्स्ट टाइम बनाई हैं. पहली बार जब ये बेसन के लड्डू बना रहे थें तो गलती से घी बहुत ज्यादा डलाने की वज़ह से बेसन लिक्विड हो गया. तब इनकी मम्मी रामायण देख रही थीं इसलिए उन्हें डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा, खुद से आइडिया लेकर एक एक्सपेरिमेंट किये और अलग से दूसरी कढ़ाई चढ़ाकर उसमे दूसरा बेसन भूनें फिर उसे लिक्विड हो चुके बेसन में मिला दियें. उस लिक्विड बेसन को थाली में फैलाकर 2 मिनट के लिए फ़्रिज में रखकर निकाला और लड्डू बनाने की प्रक्रिया में लग गयें.
खाना पकाने का शौक बचपन से ही है तब ये हलवा बहुत पसंद करते थें. पांच भाई बहनों में ये अकेले भाई हैं. जब ये छट्ठे क्लास में थे तब माँ को कहीं मार्केट या पड़ोस में जाते देखते तो फिर उनकी गैरमौजूदगी में आटा या बेसन का हलवा बनाने लग जाते थे तभी से कुकिंग में इंटरेस्ट जगा. 2002 में स्टूडेंट बनकर जब संजय पटना में एमबीए की तैयारी करने आएं तो खाना खुद से ही पकाते थें और चावल, दाल, रोटी, सब्जी सबकुछ बनाना सीख गयें. जॉब लगने के बाद भी इनका कुकिंग में इंटरेस्ट कुछ कम नहीं हुआ, अब ये एक्सपर्ट हो चुके हैं.
अमिताभ ओझा – न्यूज 24 बिहार-झाड़खंड के एसोसिएट एडिटर अमिताभ ओझा इस लॉकडाउन पीरियड में अबतक गुलाब जामुन, रस मलाई, वेज बिरयानी, गोलगप्पा, चाट और पनीर के कई आइटम बना चुके हैं. इस दरम्यान कभी-कभी पत्नी हेल्प करती हैं. इस दौरान पहली बार रस मलाई बनायें. अमिताभ जी को कुकिंग और गार्डनिंग का बहुत पहले से शौक रहा है और यह अपने स्कूली दिनों से करते आ रहे हैं. इस लॉक डाउन के पहले भी वीकेंड में ये कुकिंग किया करते थें.
लेकिन अभी के हालात में अलटरनेट दिन जॉब पर जाते हैं तो अपने शौक पूरे करने का और ज्यादा वक़्त मिल जा रहा है. ऐसे में बच्चों की फरमाइश पर कुछ ज्यादा ही कुकिंग हो जा रही है. बच्चे फास्टफूड खाना पसंद करते हैं लेकिन अभी बाहर की चीजें खाने में रिस्क हैं इसलिए उनके चेहरे पर रौनक लाने के लिए अमिताभ जी घर पर ही फ़ास्टफ़ूड बना लेते हैं.
अमिताभ बताते हैं, “मेरे घर में नॉनवेज अंदर किचेन में नहीं बनता इस वजह से ज्यादातर वेज आइटम ही घर में बनाता हूँ. और सबसे ख़ुशी की बात है कि मेरे बनाये व्यंजनों का टेस्ट घर में सभी को पसंद आता है.”
डॉ. रोहित – ड्रीम स्माइल डेंटल केयर क्लिनिक के ऑनर डॉ. रोहित लॉकडाउन में अबतक गुलाब जामुन, लिट्टी, तंदूरी चिकन, समोसा, इडली बना चुके हैं. तंदूरी चिकेन इस लॉकडाउन में पहली दफा बनाये, पहली बार में उतना टेस्टी तो नहीं बना लेकिन फिर जब दूसरी बार ट्राई किये तो बहुत अच्छा बना. किसी से हेल्प नहीं लिए जो भी सीखना था यूट्यूब से सीख लियें. चूँकि इस लॉकडाउन में सभी डेंटिस्ट की तरह रोहित भी अपना क्लिनिक बंद कर घर पर बैठें हैं तो ऐसे में अब वे खुद को किचेन स्टार बना चुके हैं.
रोहित ने बताया कि “आज मेरी शादी की सालगिरह है तो मैं अपनी वाइफ डॉ. शबनम अखौरी के लिए उनकी पसंद की ढ़ेर सारी रेसिपी बनाने वाला हूँ. जिनमे मटर पनीर, गुलाब जामुन, तंदूरी चिकेन, चिकेन चिली और पुलाव राइस शामिल है.”
डॉ. रोहित का खाना बनाना थर्ड क्लास से ही शुरू हो गया था. पापा कहीं बाहर जॉब करते थें और ये दो भाई, मम्मी के साथ रहते थें. मम्मी स्कूल टीचर थीं. चूँकि रोहित को कोई बहन नहीं है और स्कूल से मम्मी के घर आने में जब-तब लेट हो जाता था फिर लेट से ही खाना-पीना हो पाता था. इसी वजह से जब भी मम्मी को आने में लेट होता रोहित खुद से ही चावल-दाल बनाने लग जातें. फिर धीरे-धीरे कम उम्र में ही सबकुछ सीख गएँ. फिर जब प्लस टू की पढ़ाई करने पटना आएं और जब डॉक्टरी की पढ़ाई करने चेन्नई गएँ तो अपने रूम में खुद से ही खाना बनाकर खाते थें. फिर एक्सपेरिमेंट करते-करते ढ़ेर सारी डिशेस बनाना भी सीख गएँ.
बीरेंद्र बरियार ज्योति – पत्रकार एवं चित्रकार बीरेंद्र ज्योति लॉकडाउन में पहली बार लिट्टी-चोखा बनायें जिसमे बीटेक की तैयारी कर रही भतीजी ने उनकी थोड़ी बहुत हेल्प की थी. इस लॉकडाउन में जो भी बनायें कभी पत्नी का हेल्प नहीं लिए मगर हाँ रेसिपी के बारे में कुछ टिप्स यूट्यूब देखकर लियें तो कुछ पत्नी से पूछ लिए. हर चीज में एक्सपेरिमेंट करते हैं. सब्जी में तरह-तरह का मसाला डाल देते हैं.
अबतक एग बिरयानी, बिस्किट केक, गुड़ का चिल्ला और जलेबी बना चुके हैं. संयुक्त परिवार में रहते हैं और अकेले ही कई बार 8 लोगों का खाना बना चुके हैं. अपने एपार्टमेंट में भी किसी ना किसी खास अवसर पर खाने का कार्यक्रम करवाते हैं जिसमे दो-चार लोग हेल्प करते हैं और मेन कुक ये खुद रहते हैं.
डॉ. किशोर सिन्हा – आकाशवाणी पटना के पूर्व निदेशक डॉ. किशोर सिन्हा जी ने इस लॉकडाउन की घड़ी में जलेबी, आलू-आटा कॉम्बो ब्रेकफास्ट और माइक्रोवेव में कई किस्म के कुकीज़ बनाये हैं. वैसे पहले जब भी चिकेन या मटन खाने को दिल करता किशोर जी खुद से ही ये सब बना लेते थें क्योंकि उनकी पत्नी नॉनवेज नहीं खाती हैं.
किशोर जी कहते हैं, “अभी जो 1 महीने का समय अब तक बीता है, उसमें मैं अपने सारे शौक पूरे कर रहा हूँ, जो शायद दूसरे कामों की प्राथमिकता के चलते पूरे नहीं हो पा रहे थे. लेकिन जब कविता- कहानी, संस्मरण लिखने और फिर सोशल साइट्स, टीवी से भी जब मन ऊब जाता है तब मैं किचन का रुख करता हूं और अपने व्यंजन बनाने के पुराने शौक को पूरा करता हूं, क्योंकि मुझे यह शौक शुरू से रहा है. मैं व्यंजन बनाने में हमेशा प्रयोग को महत्व देता हूं, तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट करता रहता हूं और यदि कोई विशेष व्यंजन हो तो उसमें प्रयोग करता हूँ ही, बल्कि जो खाना हम प्रतिदिन सामान्य रूप से खाते हैं तो उसमें भी मैं प्रयोग करता हूं. सब्जी बनाते हुए उसमें मसाले के साथ तो कभी उसको बनाने की विधि के साथ, कभी उसको कुकर में कुछ अलग तरह से बनाया तो कभी उसको माइक्रोवेव में बनाया.”
किशोर जी बताते हैं, “यह सब मां ने सिखाया है और हम सभी भाइयों को माँ ने ना सिर्फ खाना बनाना सिखाया बल्कि घर के सारे कामकाज करना सिखाया. मां ने कभी यह नहीं कहा कि यह काम लड़कों का नहीं है लड़कियों का है. उसने कभी नहीं रोका हम लोगों को कि इस काम को नहीं करना चाहिए. तो कहने का मतलब यह है कि यह अभी की आवश्यकता है और यही मनुष्य को, समाज को, देश को बचा सकता है कि हम सामाजिक दूरी का पालन करें , लेकिन इस दूरी को बरतते हुए हमारे अंदर कभी नकारात्मक भाव नहीं आए बल्कि सकारात्मक भावना और ऊर्जा से हम घर में रहकर तरह-तरह के प्रयोग कर सकते हैं ताकि हमारी सर्जनात्मक क्षमता बनी रहे और हम ऊर्जावान भी बने रहें.”