
प्रसिद्ध शायर समीर परिमल ने सुनाया- ‘किस्मत जाने कैसे-कैसे खेल दिखानेवाली है….दुनिया बन गयी करणी सेना, तन्हा दिल भंसाली है.’
डॉ. रामनाथ शोधार्थी ने सुनाया- ‘रातभर थपथपाया है खुद को…जैसे-तैसे सुलाया है खुद को.’


वहीँ नालंदा से आये युवा कवि संजीव मुकेश ने मगध की धरती पर अपनी मगही व्यंग्य रचना प्रस्तुत की – ‘ई ससुरी चाय ! बड़ी बलाय….जे घर जाहूं ओजेय मिल जाये..’ इस काव्य रचना ने लोगों को खूब गुदगुदाया.
अंजनी कुमार सुमन जी ने सुनाया ‘सब मुहब्बत करें वो जमाना तो दो…’.
दरभंगा के विनोद कुमार हसौड़ा जी ने वीर एवं हास्य रस की रचनाओं से दर्शकों को लोटपोट कर दिया.
राजगीर की डॉ. रेखा सिन्हा ने भी उम्दा रचना पढ़ी. नालंदा के मनीष रंजन ने ओज प्रधान कविता सुनाकर सबका दिल जीतने का प्रयास किया. जहानाबाद के सागर आनंद ने गजल पेश किया. समस्तीपुर से विजय व्रत कंठ के द्वारा भी काबिले-गौर रचना पढ़ी गयी.
इनके आलावा सम्मलेन में उपस्थित अन्य महत्वपूर्ण कवियों में कवि घनश्याम, स्वराक्षी स्वरा, नेहा नारायण सिंह, सरोज तिवारी, अरुण कुमार राय, सूरज ठाकुर, अक्स समस्तीपुरी, मधुरेश नारायण, विकास राज आदि ने भी दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी.
कवि सम्मलेन का संचालन किया कुमारी स्मृति कुमकुम ने तथा अध्यक्षता की डॉ. सुदर्शन श्रीनिवास शांडिल्य ने. धन्यवाद ज्ञापन संयोजक अविनाश कुमार पांडेय ने किया. सभी कवियों को ‘राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया.