मेघालय के राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद ने डॉ.अनिल सुलभ के गीत-संग्रह ‘मैं मरुथल-सा चिर प्यासा’ का किया लोकार्पण

सिटी हलचल
Reporting : Bolo Zindagi

पटना, 20 अक्टूबर, मेघालय के राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद ने बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 99 वे स्थापना-दिवस समारोह में सम्मेलन अध्यक्ष डा. अनिल सुलभ के गीत-संग्रह ‘मैं मरुथल-सा चिर प्यासा‘ और सम्मेलन के अर्थमंत्री योगेन्द्र प्रसाद मिश्र की पुस्तक ‘शब्द, संस्कृति और सृजन’ का लोकार्पण किया. इसके पूर्व बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा. अनिल सुलभ ने श्री प्रसाद को सम्मेलन की सर्वोच्च मानद उपाधि ‘विद्या-वाचस्पति’ से विभूषित किया. समारोह के मुख्य अतिथि और पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पद्मश्री डा. सी. पी. ठाकुर को ‘विद्या वाचस्पति’, प्रख्यात विद्वान और साहित्यकार प्रो. शशिशेखर तिवारी को ‘साहित्य-वाचस्पति’ तथा पटना विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति डा. एस. एन. पी. सिन्हा और प्रख्यात लेखिका ममता मेहरोत्रा को ‘विद्या-वारिधि‘ की मानद उपाधि प्रदान की गई. महामहिम ने साहित्य-सम्मेलन में विशेष योगदान के लिए सम्मेलन के वरीय अध्यक्ष ई. चंद्रदीप प्रसाद को ‘साहित्य सम्मेलन विशिष्ट-सेवा सम्मान’ से अलंकृत किया. इस अवसर पर सम्मेलन की सेवाओं के लिए अमरेन्द्र कुमार, कुमारी मेनका, महेश प्रसाद, उमेश कुमार, वीरेंद्र कुमार यादव, सुनीता देवी तथा शंभु राम को ‘सम्मेलन-कर्मी सम्मान’ से सम्मानित किया गया.

उद्घाटन समारोह में सभा को सम्बोधित करते हुए मेघालय के राज्यपाल 

 ‘साहित्य समाज को केवल आईना हीं नही दिखाता मार्ग भी दिखाता है. साहित्यकार यदि सन्मार्ग दिखाए तो हम एक लोक-कल्याणकारी और मूल्यवान मानव-समाज बनाने में सफल हो सकते हैं. बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है. भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डा. राजेंद्र प्रसाद, महापंडित राहुल सांकृत्यायन, आचार्य शिवपूजन सहाय, रामवृक्ष बेनीपुरी, महान इतिहासकार काशी प्रसाद जायसवाल, राजा राधिकारमण सिंह, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’, महाकवि केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’, पं. छविनाथ पाण्डेय, महाकवि मोहनलाल महतो ‘वियोगी’, पं रामदयाल पाण्डेय जैसी महान विभूतियाँ इसके अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुकी हैं. हिंदी भाषा और साहित्य की उन्नति में हीं नही, देश के स्वतंत्रता-संग्राम में भी यह स्थान आंदोलनकारी बलिदानियों का एक प्रमुख केंद्र था. सम्मेलन से जुड़े साहित्यकारों और प्रबुद्धजनों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और जेल की यातनाएँ भी सही. संपूर्ण भारतवर्ष बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अवदानों और वलिदानों का ऋणी है.’ यह बातें आज यहाँ बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 99 वाँ स्थापना-दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कही.

साहित्य सम्मेलन के 99 वे स्थापना दिवस समारोह में बाएं से सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ, 
पूर्व केंद्रीय सवास्थ्य मंत्री पद्मश्री डॉ. सी.पी.ठाकुर एवं ‘बोलो ज़िन्दगी’ के एडिटर राकेश सिंह ‘सोनू’

समारोह के मुख्य अतिथि डा. सी. पी. ठाकुर ने इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएँ व्यक्त करते हुए सम्मेलन परिसर के मुख्य द्वार के पुनर्निर्माण एवं सीमा-दीवार के उन्नयन के लिए अपने सांसद-कोष  से 10 लाख की राशि प्रदान करने की घोषणा की.

अपने अध्यक्षीय उद्गार में सम्मेलन अध्यक्ष डा. अनिल सुलभ ने सम्मेलन की स्थापना से लेकर अब तक के उसके गौरवशाली इतिहास पर एक संक्षिप्त विवरणी प्रस्तुत की. उन्होंने कहा कि, ‘सम्मेलन के शताब्दी-वर्ष में पूरे वर्ष होनेवाले विभिन्न आयोजनों की तैयारियाँ अभी से आरंभ की जा रही है. उन्होंने कहा कि सम्मेलन अपने शताब्दी वर्ष में देश के 100 वृद्धजनों का भी सम्मान करेगा, जिनका जन्म 1919 में हुआ हो. इनमें साहित्य-सेवियों को उच्च प्राथमिकता दी जाएगी. बिहार के सभी जिलों में अधिवेशन होंगे और स्थानीय साहित्यकारों को भी सम्मानित किया जाएगा. सम्मेलन के सौ वर्ष की उपलब्धियाँ दर्शाने वाला एक वृतचित्र तथा हिंदी साहित्य की प्रगति में सम्मेलन के योगदान से संबंधित एक हज़ार पृष्ठों के एक ग्रंथ का भी प्रकाशन किया जाएगा. शताब्दी-वर्ष के उद्घाटन तथा समापन-समारोहों में भारत के राष्ट्रपति जी तथा प्रधानमंत्री जी को आमंत्रित किया जाएगा.’ उन्होंने स्मरण दिलाया कि सम्मेलन के स्वर्ण-जयंती-समारोह का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद जी ने किया था. इस अवसर पर प्रो. शशिशेखर तिवारी, डा. एस. एन. पी. सिन्हा, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त तथा पं. शिवदत्त मिश्र ने भी संबोधित किया. अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन साहित्यमंत्री डा.शिववंश पाण्डेय ने किया. मंच का संचालन सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा. शंकर प्रसाद ने किया.
      सम्मेलन के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ कवि मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’ की अध्यक्षता में विराट कवि-सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें 50 से अधिक कवियों ने अपने विविध भावों की कविताओं का पाठ कर इस उत्सव को चिरस्मरणीय बना दिया. काव्य-पाठ करने वालों में शायर आर.पी. घायल, कवि रमेश कँवल, वरिष्ठ कवि हरिश्चंद्र प्रसाद ‘सौम्य‘, डा. कल्याणी कुसुम सिंह, राज कुमार प्रेमी, सुनील कुमार दूबे, कवयित्री आराधना प्रसाद, रवि घोष, शालिनी पांडेय, डा लक्ष्मी सिंह, डा अनुपमा नाथ, पूनम आनंद, सागरिका राय, लता प्रासर, बच्चा ठाकुर के नाम शामिल हैं. इस अवसर पर डा. वासुकीनाथ झा, श्रीकांत सत्यदर्शी, डा. कुमार वीरेंद्र, डा. विनोद शर्मा, विश्वमोहन चौधरी संत, शशिभूषण सिंह, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता, कृष्णरंजन सिंह, आनंद मोहन झा समेत बड़ी संख्या में साहित्य-सेवी एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे.

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'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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