नाट्य साहित्य को समृद्ध करेगा डॉ.किशोर सिन्हा का रंग नाटक संग्रह ‘अपनी कथा कहो’

नाट्य साहित्य को समृद्ध करेगा डॉ.किशोर सिन्हा का रंग नाटक संग्रह ‘अपनी कथा कहो’
डॉ. किशोर सिन्हा के नाट्य संग्रह ‘अपनी कथा कहो’ का लोकार्पण करते अतिथिगण

पटना, 15 दिसंबर, “हिन्दी रंगमंच के लिए लिखे जा रहे नाटकों की संख्या कम है. ऐसे में ‘अपनी कथा कहो..’ के नाटक एक सांस्कृतिक रचनिर्मिता के साथ नाट्य साहित्य को समृद्ध करने का काम करते हैं.” उक्त उदगार कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिहार हिन्दी प्रगति समिति के अध्यक्ष और वरीष्ठ कवि श्री सत्यनारायण ने बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना मे आयोजित आकाशवाणी पटना के सहायक निदेशक डॉ.किशोर सिन्हा के नाट्य- संकलन ‘अपनी कथा कहो’ के लोकार्पण समारोह के अवसर पर व्यक्त किया.

 

 

 

डॉ. किशोर सिन्हा के नाट्य संग्रह ‘अपनी कथा कहो’ का लोकार्पण करते अतिथिगण

‘बोलो जिंदगी‘ के साथ खास बातचीत में इस लोकार्पित पुस्तक के लेखक एवं आकाशवाणी पटना के सहायक निदेशक डॉ. किशोर सिन्हा ने विस्तार से बताय कि “अपनी कथा कहो… नाटकों का संकलन है  जिसमे कई नाटक हैं जो बहुत पुराने हैं. इसमें जो पहला नाटक संकलित है ‘कातिल की माँ’ प्रेमचंद की कहानी का नाट्य रूपांतरण है जिसे मैंने 1989 में लिखा था और मंचित भी हुआ था. उसके बाद इसके लेखन में बहुत लम्बा अंतराल रहा. फिर बहुत सारे नाटक रूपांतरित किये गए और लिखे गएँ. ‘स्वतंत्रता की पुकार’ भी बहुत पुराना नाटक है जो आरम्भ में आकाशवाणी के लिए लिखा गया था, बाद में मैंने उसे रंगमंच के हिसाब से रूपांतरित किया. उसके बाद में ‘चारुलता’ का रूपांतरण किया. ‘अपनी कथा कहो बिहार’ भी बहुत बाद का है और ये सारे नाटक लगभग मेरे 30-35 साल के कार्यकाल का है जिसे मैंने इस पुस्तक में संकलित किया है. इस नाट्य संग्रह में कुल 6 नाटक हैं जिसमे दो मेरे मौलिक हैं और चार रूपांतरित हैं. मैंने यह पुस्तक अपने मित्र सुनील केशव देवधर को समर्पित किया है जो मेरे आकाशवाणी के भी साथी रहे हैं.”

 

 

लेखक डॉ. किशोर सिन्हा (दाएं) को सम्मानित करते पुणे से आएं सुनील केशव देवधर (बाएं)

इससे पूर्व समारोह का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन से हुआ. वरीष्ठ नाट्यकार व निर्देशक तथा ‘कला जागरण‘ के अध्यक्ष गणेश प्रसाद सिन्हा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि “लेखक जो नाटक लिखता है, वह एक ड्राफ्ट होता है. उसकी सार्थकता उसके मंचन मे है जहां दर्शकों द्वारा यह ड्राफ्ट अनुमोदित होता है. मुझे खुशी है कि डा. किशोर सिन्हा के सारे नाटक दर्शकों द्वारा अनुमोदित और स्वीकृत है क्योंकि इनका मंचन अनेक बार हो चुका है.”

डॉ.किशोर सिन्हा जी के गुरु एवं बी.एस.मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के पूर्व कुलपति, डा.अमरनाथ सिन्हा जी जब मंच पर अपने वक्तव्य देने आये तो उन्होंने सबसे पहले अपने शिष्य डॉ. किशोर सिन्हा जी की तारीफ करते हुए कहा कि “शिष्य का उत्कर्ष गुरु के लिए महा उत्कर्ष बन जाता है और आज मैं उसी अवस्था में हूँ.”  उनके इस नाट्य संग्रह पर प्रकाश डालते हुए डॉ. अमरनाथ जी ने कहा कि “डा. किशोर सिन्हा के मौलिक नाटकों मे जहां साहित्यिक- सांस्कृतिक विरासत की सम्पूर्ण झलक मिलती है, वहीं उनके द्वारा कालजयी कथाओं के नाट्य रूपांतण में उनकी लेखनीय क्षमता का दिगदर्शन भी होता है जहां यथार्थ और कल्पना के अदभुत संयोजन से कहानी का मूल स्वरूप सुरक्षित रहता है.”

 

 

अपना वक्तव्य देते हुए लेखक के गुरु डॉ. अमरनाथ सिन्हा (बाएं) एवं पुणे से आएं लेखक के मित्र सुनील केशव देवधर (दाएं)

इस अवसर पर मुख्य अतिथि और हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा. अनिल सुलभ ने कहा कि “यह संकलन भारतीय रंगमंच  को एक नई दिशा मे ले जाने मे सक्षम है जिसमें नाट्य रूपों और शैलियों के साथ अदभुत प्रयोग हुए हैं.” डा. प्रेमचन्द शर्मा ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “संग्रह के नाटकों मे कथ्य और शिल्प दोनों दृष्टि से अभिनव प्रयोग हुए हैं. नाट्कों की भाषा अत्यंत प्रभावशाली तथा जनजीवन की भावनाओं को निकटता से स्पर्श करने वाली है.” वहीँ जब संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डा. शंकर प्रसाद मंच पर अपना वक्तव्य देने आएं तो सबसे पहले उन्होंने आकाशवाणी में काम करने के दौरान डॉ. किशोर सिन्हा जी से जुड़े अपने कुछ रोचक संस्मरण सुनाएँ. अपने उदबोधन मे उन्होंने कहा कि “इस संग्रह का रंग नाटकों की दुनिया में विशेष स्थान होगा जो नई पीढी के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगा.” पुणे से पधारे वरीष्ठ कवि और मीडिया विशेषज्ञ डा. सुनिल केशव देवधर ने कहा कि “अपनी कथा कहो… शीर्षक ही बहुत कुछ कहता जान पडता है जिसके संवाद अपने आप सब कुछ कह डालते हैं जो अभिनय की दृष्टि से अत्यंत प्रभावी है.” अपने वक्तव्य के बाद डॉ. सुनील केशव जो डॉ. किशोर सिन्हा के परम मित्र भी हैं ने किशोर सिन्हा को गुलाब भेंट करते हुए उन्हें अंगवस्त्र से सम्मानित किया.

वरीष्ठ कथाकार और कवि डा. भगवती प्रसाद दिवेदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “संग्रह के नाटक एक तरफ हमारी सांस्कृतिक विरासत को गहरे उद्घाटित करते हैं वहीं वह राष्ट्रीय चेतना जगाने की दिशा में सार्थक पहल भी करते हैं.”

 

 

आकशवाणी पटना के सहायक निदेशक एवं लेखक डॉ. किशोर सिन्हा (दाएं) ‘बोलो जिंदगी’ के संपादक राकेश सिंह ‘सोनू’ को अपनी नाट्य संग्रह पुस्तक ‘अपनी कथा कहो’ भेंट करते हुए

 

 

 

इस अवसर पर लोकार्पित पुस्तक ‘अपनी कथा कहो’ के लेखक डॉ. किशोर सिन्हा ने उन सभी निर्देशकों  और कलाकरों के प्रति आभार प्रदर्शित किया जिन्होने इन नाटकों को देश के विभिन्न हिस्सों मे मंचित किया. डॉ. सिन्हा ने कहा कि नाट्य लेखन के लिए उन्हे हर बार तत्कालिन परिस्थितियों ने विवश किया जिसके परिणाम स्वरूप इस संग्रह के नाट्कों की रचना हुई.

कार्यक्रम के अंत मे धन्यवाद ज्ञापन वरीष्ठ रंगकर्मी और गायक नीलेश्वर मिश्र ने किया. इस अवसर पर बडी स्ंख्या मे नाट्य निर्देशक, कलाकार और साहित्यकार उपस्थित थे जिनमे डा.शिवनारायण, अखिलेश्वर प्रसाद सिन्हा, सुरेश पाण्डेय, सुमन कुमार, अभय सिन्हा प्रमुख हैं.

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'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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