महान साहित्यकार पं. रामचंद्र शुक्ल की 135 वीं जयंती पर कवियों ने दी काव्यांजलि

महान साहित्यकार पं. रामचंद्र शुक्ल की 135 वीं जयंती पर कवियों ने दी काव्यांजलि
दीप प्रज्ज्वलित कर देश के महान साहित्यकार प. रामचंद्र शुक्ल की जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद एवं अन्य अतिथिगण

पटना, 11 अक्टूबर, ‘बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन’ में महान साहित्यकार प. रामचंद्र शुक्ल की 135 वीं जयंती समारोह व कवि सम्मलेन का उद्घाटन करते हुए भारत सरकार के विधि मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि, “जब अंग्रेज़ों और अंग्रेज़ीयत के दवाब में भारत अपनी बौद्धिक क्षमता भूल गया था, ऐसे समय में पं रामचंद्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखकर भारत को उसकी महान परंपरा से न केवल अवगत कराया बल्कि जन-मानस को झंकृत कर जगाया. उन्होंने हिन्दी को ऐसी ऊँचाई दी,जिसे अबतक लाँघा नही जा सका है. उन्होंने हिन्दी के लिए कुबेर का ख़ज़ाना छोड़ा है.”

वहीँ शुक्ल जी की जयंती पर आयोजित संगोष्ठी एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा. अनिल सुलभ ने कहा कि “शुक्ल जी ने अपने संघर्षपूर्ण जीवन से, मानव-मस्तिष्क और उसके विचारों को पढ़ने की एक विलक्षण शक्ति प्राप्त की थी. उन्हें मानव-मन को समझने और उसके विश्लेषण की अद्भुत क्षमता प्राप्त थी. एक कुशल मनोवैज्ञानिक की भाँति वे कविता के मर्म को कुछ पंक्तियों के अवलोकन से हीं भाँप लेते थे. उनका विचार था कि काव्य की रचना केवल आनंद के लिए नहीं, वरण लोक-कल्याण के महान लक्ष्य को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए.”

इसके साथ-ही-साथ पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, कार्यकारी प्रधानमंत्री डा. शिववंश पाण्डेय, डा. शंकर प्रसाद, प्रो. वासुकी नाथ झा, डा. विनोद शर्मा, श्रीकांत सत्यदर्शी, डा. मेहता नगेंद्र सिंह, डा. विनय कुमार विष्णुपुरी, कुमार अनुपम तथा डा. सुधा सिन्हा ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

प.रामचंद्र शुक्ल की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए केंद्रीय मंत्री एवं अन्य अतिथिगण

इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन का आरंभ जय प्रकाश पुजारी की वाणी-वंदना से हुआ. वरिष्ठ कवयित्री डा. शांति जैन ने भाव विभोर करनेवाली रचना सुनाई, “सिर्फ़ साँसों के आने जाने को ज़िंदगी हम नही कहा करते/ ताल्लुकों के फ़क़त निभाने को दोस्ती हम नही कहा करते”. वरिष्ठ कवि मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’ ने ज़िंदगी और मौत के बीच के रहस्य को इन पंक्तियों से समझाने की कोशिश की कि, “जान ले भागे हिरण, वह जान लेगा इसलिए/ शेर भी लुक छिप बढ़े, पहचान लेगा इसलिए/ क्या किया उसने कि उसके रू-ब-रू होता नहीं/ डर है,शायद आईना पहचान लेगा इसलिए”.
शायर आर.पी. घायल का कहना था कि, “हज़ारों में कभी कोई कहीं ऐसा निकलता है/ कि जिसके मुस्कुराने से वहाँ मौसम बदलता है”. चर्चित कवि विजय गुंजन ने अपने इस गीत से श्रोताओं की ख़ूब वाह-वाहियाँ बटोरी कि, “भर-भर दीपक तेल जलाए जाने किसके सम्मोहन में”. डॉ.शंकर प्रसाद के इस गीत पर भी खूब तालियां बजीं, “सपनों के रंग चले, साथी मन चले…थके थमे ना किसी का पांव, चले तो चले सारा गांव.” वहीँ युवा कवि एवं ‘बोलो ज़िन्दगी’ के संपादक राकेश सिंह ‘सोनू’ ने भी प्रेमिका को सर्पित अपने पहले काव्य-संग्रह ‘तुम्हें सोचे बिना नींद आये तो कैसे?’ की एक कविता सुनाई “तू दिल तो मैं धड़कन, तू खूबसूरती तो मैं दर्पण, तू उम्र तो मैं बांकपन, तू प्यार तो मैं अर्पण…” इसके साथ-साथ ओज के कवि ओम् प्रकाश पाण्डेय, डा. पुष्पा जमुआर,कालिन्दी त्रिवेदी, सुनील कुमार दूबे, सागरिका राय, मासूमा खातून, डा. विश्वनाथ वर्मा, ऋषिकेश पाठक, कवि घनश्याम, रवि घोष, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, डा. शालिनी पांडेय, पंकज प्रियम, शुभचंद्र सिन्हा, बच्चा ठाकुर,पूनम सिन्हा ‘श्रेयसी’, लता प्रसार, दिनेश दिवाकर, प्रभात कुमार धवन, पं गणेश झा, अविनाश कुमार पांडेय, मधु रानी,संजू शरण, डा. सुलक्ष्मी कुमारी, डा. मनोज गोवर्द्धनपुरी, प्राची झा, अंकेश कुमार,,नेहाल कुमार सिंह, अर्जुन प्रसाद सिंह, पूजा, सच्चिदानंद सिन्हा, शंकर शरण आर्य, अर्चना सिन्हा, इंद्रजीत कुमार, धर्मवीर कुमार शर्मा आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं से प्रभावित किया. कार्यक्रम का समापन करने से ठीक पहले ‘बिहार हिन्दी साहित्य सम्मलेन’ के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने भी अपनी एक गजल प्रस्तुत करके आयोजन में चार चाँद लगा दिया.

 

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'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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