पटना, 14 अगस्त, “चाहे कितनों को सम्मानित करें, सरकारें कितनी भी सहायता करें लेकिन यह कटु सत्य है कि जो शहीद हो गएँ वो लौट के नहीं आ सकते. और उनकी विधवा पत्नी, उनकी माँ, उनके बच्चे हमेशा-हमेशा के लिए अपने पति-अपने बेटे और अपने पिता का इंतजार करते रहते हैं लेकिन वे कभी लौट कर नहीं आतें. ये जो आजादी मिली है इन शहीदों की कुर्बानियों का ही परिणाम है. आज आजादी बाद भी हमारे जवान पाकिस्तान के सैनिको और आतंकवादियों का सामना करते हुए देश के लिए अपनी शाहदत दे रहे हैं…” ऐसा कह रहे थें बिहार के उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी जब वे शहीद हो गएँ सैनिकों के परिवारों को सम्मानित कर रहे थें.
मौका था 15 अगस्त आजादी की पूर्व संध्या पर कला-संस्कृति प्रकोष्ठ भाजपा द्वारा बीजेपी कार्यालय के सभागार में आयोजित भारत गौरव पर्व के तहत “एक शाम शहीदों के नाम” कार्यक्रम का जिसमे देश के लिए शहादत दे चुके 25 वीर जवानों के परिवारवालों को सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री अरुण फौजी एवं कला संस्कृति प्रकोष्ठ की प्रदेश प्रभारी सह प्रदेश मंत्री श्रीमती अमृता भूषण राठौड़ का विशेष योगदान रहा. मुख्य अतिथि थें उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री नित्यानंद राय, पथ निर्माण मंत्री श्री नंदकिशोर यादव, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री रामकृपाल यादव एवं अन्य.
कार्यक्रम शुरू होने के पहले डिप्टी सी.एम. एवं अन्य अतिथियों ने शहीदों के परिवारवालों के साथ सचिवालय स्थित सतमूर्ति तक जाकर शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया. फिर जब बीजेपी कार्यलाय में यह सम्मान समारोह सफल बनाने के लिए ये मुख्य अतिथि जब मंच की ओर बढ़े तो ठीक मंच के पास 25 शहीदों की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. मंच पर माननीय अतिथियों के बैठने के बाद एक-एक करके 25 शहीद जवानों की विधवा पत्नी और माँ को मंच पर आमंत्रित किया गया. फिर मंच पर उपस्थित सभी लोगों ने खड़े होकर ‘वन्देमातरम’ गीत गाया. उसके बाद शहीदों के परिवारवालों को एक-एक कर पूरी श्रद्धा के साथ सम्मानित किया गाया. और सभी को सम्मानित किये जाने तक दर्शकों की तालियां लगातार बजती रहीं. सभी को शॉल, मोमेंटो जिसमे शहीदों की तस्वीरें अंकित थीं और तुलसी का पौधा देकर सम्मानित किया गया.
कला संस्कृति प्रकोष्ठ की प्रदेश प्रभारी अमृता भूषण जी ने एक बड़ी ही मार्मिक बात बताते हुए कहा कि – “यहाँ आयीं सभी वीरांगनाओं को बहुत ही शॉर्ट पीरियड में खबर किया गया और राज्य के दूर-दराज से सभी यहाँ आएं. यहाँ से माल्यार्पण के लिए जब सतमूर्ति जाना था तो उस समय हमने इनसे कहा कि आपलोग बैठिये हमलोग जा रहे हैं माल्यार्पण करने तो इनमे से एक आंटी ने कहा कि हमारे घर में जो शहीद हो जाते हैं, और हम इतने कष्ट में सबकुछ बर्दाशत करते रहते हैं तो अब क्या हम आधे घंटे उठकर पैदल माल्यार्पण करने नहीं जा सकते हैं. फिर सभी वीरांगनाएं वहां गयीं. इसलिए आपलोगों को यहाँ देखकर हमलोग गौरान्वित महसूस कर रहे हैं.”
जब कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक वरुण सिंह ने वहां मौजूद सभी माननीय मुख्य अतिथियों को अपने वक्तव्य रखने की बात कही तो पथ निर्माण मंत्री श्री नंद किशोर यादव ने कहा कि “आप सिर्फ उप-मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को ही सम्बोधित करने को कहें क्यूंकि हम सभी के वक्तव्यों से बहुत वक़्त बीत जायेगा और यहाँ हम सभी बेसब्री से शहीदों के सम्मान में देशभक्ति गीत सुनने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.”
उसके बाद उप-मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने अपने वक्तव्य दिए. प्रदेश अध्यक्ष श्री नित्यानंद राय ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि “हमारी आदरणीय माँ- बहने जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वश्व खोया है, हम समझ सकते हैं उनका दुःख जिन्होंने अपना सुहाग और अपना बेटा खोया है. यह देश उनपर गर्व करता है. इनकी कुर्बानियां देश की नयी पीढ़ी को एक संकल्प दे जाता है कि वे अपने देश के लिए जिए-मरें. और यहाँ उपस्थित उन शहीदों की वीरांगनाओं से हम प्रेरणा ले रहे हैं. यही वो वीरांगनाएं हैं जो देश के प्रधानमंत्री से कहती हैं कि हमे कुछ नहीं चाहिए, हमको अपने बेटे के सर के बदले पाकिस्तान का सौ सर चाहिए.”
उसके बाद वरुण सिंह ने आगे का कार्यक्रम शुरू करते हुए एक शेर अर्ज किया – “मरने को तो लोग हजारों-लाखों मर जाते हैं पर शहीद होने का गौरव विरले ही पाते हैं.”
शहीदों के सम्मान के बाद उनकी याद में एक भव्य देशभक्ति गीतों का कार्यक्रम रखा गया जिसका संचालन नीरज दुबे ने किया. कलाकारों ने जब गायन शुरू किया तो नंदिता चक्रवर्ती ने अपनी मखमली आवाज में प्रस्तुत किया “ए मेरे वतन के लोगों जरा आँख में भर लो पानी…” और बताया कि जब यह गीत एक बार लता जी गा रही थीं तो सुनकर जवाहर लाल नेहरू जी की आँखों में आंसू आ गए थें. उसके बाद उन्होंने गाया “देश मेरा रंगीला…” और “मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन…” उसके बाद संगीत शिक्षायतन इंस्टीच्यूट के बच्चों ने तिरंगे झंडे के साथ ‘वंदे मातरम’ सॉन्ग पर मंत्रमुग्ध करदेनेवाला डांस किया. इसमें शामिल थें त्रिसंध्या, चांदनी, रूबी, रवि मिश्रा, शिव शंकर, प्रभु और विष्णु.
उसके बाद कला संस्कृति प्रकोष्ठ के कलाकार विवेक ने गाया “अबके बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे…” और “कर चले हम फ़िदा जानोतन साथियो अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो….”
फिर इंस्टीच्यूट के बच्चों ने ‘वन्देमातरम’ गीत भी गया जिनमे थें – अमित, वर्षा, अनन्या एवं स्नेहा प्रिया.
उसके बाद सारेगामापा में पिछले साल पार्टिशिपेट कर चुकी और 12 वे राउंड तक परफॉर्म कर चुकी वागीशा झा ने गाया – “मेरा प्यारा भारत देश जग में सबसे न्यारा है….” और “साथियों सुनो-साथियों सुनो….”
फिर रानी सिंह ने गाया- “स्वाभिमान हो सदा स्वदेश के लिए जिंदगी जिए तो देश के लिए…” और “सन-सन-सन पवन चले, कल-कल कल नदिया बहे…” फिर मुजफ्फरपुर से आयीं रूपम नव्या ने गाया “ए मेरे वतन के लोगों…”
बीच में मंच पर आकर वरुण सिंह ने यह जानकारी दी कि इस मंच का खूबसूरत सा दिखनेवाला बैकग्राउंड डिजायन तैयार किया है आर्ट डायरेक्टर फिरदौस ने. उसके बाद उत्कर्ष आनंद ने कविता सुनाई ये बताते हुए कि सर्जिकल स्ट्राइक पर लिखा हुआ है “युद्ध-युद्ध-युद्ध है, अनीति के विरुद्ध है…”
फिर मंच पर आये कला संस्कृति के नीरज दुबे जिन्होंने गाया – “देश प्रेमियों आपस में प्रेम करो देशप्रेमियों….”और बीच में उनका साथ देने आ गएँ वरुण कुमार सिंह जी. फिर युवा कवि कुंदन आनंद ने अपनी रचना सुनाई – “वसुंधरा के मुकुट तुम, तुम्ही इसके अभिमान हो, सर्शक्तिमान के पुत्र तुम, शक्तिमान हो…” फिर कला संस्कृति प्रकोष्ठ पटना के संयोजक अभिषेक सिंह ने गाया- “ये दुनिया एक दुल्हन दुल्हन के माथे की बिंदिया, आई लव माई इंडिया-आई लव माई इंडिया…”
मंच पर म्यूजिक बैंड था मुंबई में काम कर चुके मनीष जी और उनके साथी राजनंदन, अमर और रजनीश जी का जिन्होंने वरुण सिंह के कहने पर कुछ देर तक अपने-अपने वाध्ययंत्रों पर अपनी जादूगरी दिखाई.
इसके बाद आयीं पापिया गांगुली जिन्होंने भोजपुरी देशभक्ति सॉन्ग सुनाया – “जब-जब देशवा पे परले ले विपत्तिया…”
फिर विकास राज ने कविता सुनाई- “मेरा दिनोइमान भारत है मेरा दुनिया जहान भारत है…” उसके बाद सत्येंद्र कुमार संगीत जी फोक सॉन्ग लेकर आएं- “भारत देसवा है केतना महान मितवा…..और “देशवा के शान रे शहीदवा….”
फिर समापन करने के लिए स्टेज पर पापिया, विवेक और रानी की तिकड़ी आयी लेकर यह गीत “सुनो गौर से दुनियावालों बुरी नजर ना हमपर डालो…” जिसे सुनकर तो सभागार में बैठे तमाम दर्शकों में जोश की लहर दौड़ गयी.
जिन शहीदों के परिवार का सम्मान किया गया उनके नाम इस प्रकार हैं – शहीद बनसरोपण सिंह की पत्नी श्यामली देवी, नवलकिशोर सिंह, रामधनी विंद की पत्नी पूनम देवी, गणेश प्रसाद यादव की पत्नी पुष्पा राय, विमल कुमार सिंह की पत्नी विमला देवी, मनोज कुमार मिश्र की पत्नी आरती मिश्रा, जितेंद्र तिवारी की पत्नी विद्यावती देवी, सुधीर कुमार सिंह की पत्नी रीता देवी, हरदेव प्रसाद की पत्नी मुन्नी देवी, टुनटुन शर्मा की पत्नी रिंकू देवी, विजय कुमार सिंह की पत्नी नीलम सिंह, सरोज कुमार सिंह की पत्नी पूनम देवी, रामचंद्र पोद्दार की पत्नी मिथलेश देवी, वीरेंद्र कुमार के माता-पिता- सुनैना देवी/केदार साह, रामशंकर सिंह की पत्नी समिता देवी, ब्रजकिशोर ठाकुर की पत्नी मीणा देवी, छट्टू लाल चौधरी की पत्नी मीता देवी, अवध किशोर तिवारी की पत्नी इन्दु देवी, निरंजन कुमार सिंह की पत्नी मणिमाला देवी, कामेश्वर प्रसाद यादव की पत्नी फूल कुमारी देवी, आनंदी यादव की पत्नी शारदा देवी, एन.के मौर्य की पत्नी सुनीता देवी और शहीद राजेश कुमार की पत्नी सपना शर्मा.
इस कार्यक्रम को सफल बनाए में कला संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक आनंद पाठक, विनीता मिश्रा, नीरज झा, वीणा बेनीपुरी , शैलेश पंकज, धीरज सिंह, शैलेश महाजन, रंजीत श्रीवास्तव, निक्की सिंह, साधना सिंह, अक्षत प्रियेश, स्नेह गुप्ता, निशा कुमारी, डिम्पल कुमारी, वीरेंद्र चंद्रवंशी, बबिता कश्यप, अर्चना ठाकुर, अनंत सिंह, मनीष चंद्रेश, पुरुषोत्तम सिंह, विक्की सिंह, सुनील सिंह छोटी, अमरजीत कुमार सहित कला संस्कृति प्रकोष्ठ के सभी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थें.