लव मैरेज

कहते हैं रिश्ते ऊपर आसमानो में तय होते हैं, रब ही जोड़ियां बनाता है. प्यार किया नहीं जाता बल्कि हो जाता है. किसी को पहली नज़र में ही प्यार हो जाता है तो कोई लड़ते -झगड़ते प्यार कर बैठता है और कोई दोस्ती को ही प्यार का रूप दे देता है. आइये ऐसे ही कुछ प्रेमी जोड़ियों की दास्तां सुनते हैं कि कैसे चढ़ा उनपर प्यार का परवान…….
By: Rakesh Singh ‘Sonu’


दोनों को एक-दूसरे की आदतें और नेचर ने अट्रैक्ट किया 

पटना से नोयडा,दिल्ली एम.बी.ए. करने आयीं खुशबू अबतक इंजीनियर-डॉक्टर के बारे में तो जानती थीं लेकिन मीडिया वाले से कभी उनका वास्ता नहीं पड़ा था. उन्हें ये कहाँ पता था कि एक दिन वे किसी मीडियाकर्मी के प्यार में गिरफ्तार हो जाएँगी. बात 2008  की है, यू.पी. लखनऊ के प्रणव श्रीवास्तव नोयडा,दिल्ली ई-24 में बतौर एडिटर ज्वाइन किये थें. जब खुशबू का फर्स्ट ईयर लगभग कम्प्लीट हो चुका था तभी पी.जी. में रहते हुए उनका झगड़ा हो गया. फिर उन्होंने दोस्तों से कहा कि अब उन्हें अकेले रहना है इसलिए उनके लिए जल्दी से सिंगल रूम,किचेन का फ्लैट खोजें. फिर उनके क्लासमेट दोस्तों ने अशोकनगर में किराये का एक रूम खोजा और उनसे कहा कि ‘जगह ठीक है, अगल-बगल फैमली रहती है मगर तुम्हारे रूम के सामने एक बैचलर रहता है.’ खुशबू ने सोचा मेरा सेपरेट है ना तो बस, फिर वे पी.जी. छोड़कर वहां शिफ्ट हो गयीं. खुशबू के सामनेवाले कमरे में रहनेवाले प्रणव ने हाल ही में अपना कंप्यूटर खरीदा था और बहुत तेज साउंड में गाने बजाते थे. उनके गाने खुशबू को अच्छे लगते थें तो वे भी अपने कमरे में बैठे -बैठे गाने सुन लिया करती थीं. आमने -सामने होने की वजह से धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे को नोटिस करने लगें. दोनों की बालकनी और बाथरूम कॉमन था. कभी -कभी ऐसा होता की खुशबू बाथरूम जा रही होतीं तो उसी समय प्रणव भी अपने कपड़े धुलने पहुँचते. फिर जिसे ज्यादा जल्दी थी वो पहले बाथरूम यूज कर लेता था. इसी दरम्यान दोनों में हल्की-फुल्की बातचीत शुरू हुई. दिसंबर का महीना था, प्रणव ने पहली बार खुशबू के फ़्लैट की घंटी बजाई. खुशबू के दरवाजा खोलने पर प्रणव ने कहा- ‘ मैं कुछ दिन के लिए दीदी की शादी में घर जा रहा हूँ.मेरे पास कुछ ताज़ी सब्जियां रखी पड़ी हैं जो सड़ जाएँगी. आप चाहें तो यूज कर लें.’ फिर खुशबू ने वे सब्जियां ले लीं.
     एक बार यूँ ही प्रणव ने खुशबू को खाने के लिए इन्वाइट करते हुए कहा-‘ मेरे पास दो लोगों का खाना बन गया है, अगर आपने अभी खाना बनाया नहीं है और आपको कोई प्रॉब्लम नहीं तो मैं आपको खाना दे दूँ?’ खुशबू ने मन में सोचा कि बहुत अच्छी बात है,बिना मेहनत किये, बना-बनाया खाना मिल रहा है तो इसमें क्या दिक्कत है. और उन्होंने प्रणव से खाना ले लिया. एक बार प्रणव ने खुशबू के पास जाकर कहा कि ‘ मैं फर्स्ट टाइम आलू पराठा बनाने जा रहा हूँ, क्या आप भी खाइएगा?’ खुशबू ने मुस्कुराके हाँ कह दिया लेकिन तब उन्हें मालूम नहीं था कि प्रणव के बनाये पराठे वे ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाएंगी. जब वे अपने कमरे में खाने बैठीं और सिर्फ एक बाइट ही मुँह में डाला कि फिर बाकी के आलू-पराठे डस्टबिन में डाल आयीं. खुशबू ने मन में सोचा कि ‘बन्दे को आलू पराठा बनाना एकदम नहीं आता. इसलिए फिर एक दिन उन्होंने प्रणव को आलू पराठा खाने के लिए इन्वाइट किया. एक बार खुशबू का कंप्यूटर बिगड़ गया. वे बहुत परेशान हुईं क्यूंकि वहाँ किसी रिपेयरिंग करने वाले को वे जानती नहीं थीं. तभी उन्हें ध्यान आया कि बगल में रहनेवाले प्रणव तो टेक्निकल जॉब करते हैं और उन्हें कंप्यूटर की बहुत अच्छी जानकारी भी है. इसलिए प्रणव के पास जाकर उन्होंने अपनी समस्या बताई. प्रणव ने कहा- ‘कंप्यूटर में जो भी प्रॉब्लम होगा मैं देख लूंगा, मैं रात में ठीक करके कल सुबह आपको दे दूंगा.’ फिर प्रणव ने खुशबू का कंप्यूटर ठीक करके उन्हें अगले दिन दे दिया. लेकिन ये बात खुशबू को नहीं पता चली कि प्रणव ने उनके कंप्यूटर से उनके बहुत सारे पिक्चर निकालकर रख लिए हैं. बहुत समय बाद एक दिन जब उन्होंने प्रणव के कंप्यूटर पर अपना पिक्चर देखा तब बात पता चली. एक बार खुशबू अपनी बहन के साथ वैष्णो देवी दर्शन को गयीं और वहां से लौटीं तो मकान में किसी को प्रसाद ना देकर सिर्फ प्रणव को प्रसाद दे आयीं क्यूंकि उनकी प्रणव से अच्छी दोस्ती हो गयी थी. एक बार खुशबू बालकनी में खड़ी ‘बलमा’ फिल्म का गाना ‘पायलिया हो – हो – हो…’ गुनगुना रही थीं. प्रणव ने ये सुना तो उनसे पूछा किस फिल्म का गाना है. फिर खुशबू के बताने पर उस गाने को डॉउनलोड करके प्रणव ने उसे इ-24  में अपने एक वर्क में यूज भी किया.
   उधर प्रणव के घर में उनके लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थें. लेकिन प्रणव अरेंज मैरेज करने के ही मूड में नहीं थें. क्यूंकि उन्होंने गांव में देखा था कि जो बहुएं आती हैं उन्हें परिवार को लेकर कोई अटैचमेंट नहीं रहता था. इसलिए वे चाहते थें कि ऐसी लड़की लाऊँ जिसे वे पहले से जानते हों कि वो कैसी है, जो परिवार को लेकर चलनेवाली हो. अरेंज मैरेज में कैसा नेचर होगा ये शुरू में पता नहीं चलता, सिर्फ शक्ल पर ही बात तय हो जाती है. खुशबू में वो बात उन्हें नज़र आयी जो वे अपनी पत्नी में ढूंढ रहे थें.
2010  के शुरूआती दिनों की बात है, एक दिन दोनों के बीच बात हुई कि चलिए घूमने चला जाये. प्रणव ने फिल्म दिखाने का ऑफर दिया. खुशबू तैयार हो गयीं क्यूंकि तबतक उन्हें भी एहसास हो गया था कि प्रणव के मन में उनके लिए कुछ अच्छा वाला थॉट है. दोनों फिल्म देखने निकलें लेकिन वो पल डेट में तब्दील हो गया. फिल्म देखनी थी ‘माई नेम इज खान’ लेकिन टिकट मिली नहीं और फिर दोनों सेन्ट्रल मॉल के इर्द-गिर्द घूमते-बातें करते रह गएँ. उसी दिन प्रणव ने अचानक अपनी दीदी से खुशबू की फोन पर बात करा दी ये कहते हुए कि ‘देखो, यही लड़की है जिससे मैं शादी करना चाहता हूँ.’ तब खुशबू को भी लगा कि जब बंदा टाइमपास की बजाये सीधे मैरेज की बात कर रहा है तो अच्छी बात है.

इसलिए खुशबू ने भी अपनी रजामंदी दे दी. तब खुशबू के घरवालों को कुछ भी पता नहीं था. खुशबू की छोटी बहन आगरा में रहकर बी.बी.ए. की पढाई कर रही थी. तो एक बार खुशबू प्रणव को उससे मिलाने आगरा पहुँच गयी. बहन ने खुशबू से कहा कि आजकल कमिटमेंट वाला बंदा मिलना मुश्किल है, सब तो मस्ती करनेवाले ही होते हैं. इसलिए कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन तब  उनकी बहन के दिमाग में ऐसा कुछ नहीं था कि प्रणव को ही जीजू बनाना है. बाहर से तो वो सपोर्ट में थी लेकिन अंदर से वो पूरी तरह से उनके रिश्ते के लिए तैयार नहीं थी. एक दिन खुशबू की बहन के साथ उनके पापा दिल्ली खुशबू से मिलने आएं. उसी दरम्यान प्रणव अपने किचन में खाना बनाते-बर्तन धोते हुए ये गाना गा रहे थें कि ‘ कैसे बताएं क्यों तुमको चाहें…’ और खुशबू के पापा प्रणव को लगातार तिरछी निगाहों से देख रहे थें. लेकिन तब दोनों के रिश्ते के बारे में किसी को कुछ पता नहीं चला. बाद में जब खुशबू ने अपने घरवालों को बताया कि ‘ यहीं दिल्ली में एक लड़का है जो मुझसे शादी ही करना चाहता है, टाइमपास वाली कोई बात नहीं है.’ लेकिन खुशबू के मम्मी-पापा खुश नहीं हुए क्यूंकि उनकी नज़र में एक तो लड़के की सैलरी कम थी फिर कास्ट भी अलग था. फिर भी खुशबू ने उन्हें कनविंस करने की बहुत कोशिश की कि ‘ कमा तो रहे हैं ना, खुद सेटल हैं, अच्छे  नेचर के हैं.’ लेकिन बावजूद वे माने नहीं और खुशबू को रिलेशन खत्म करने के लिए कहा गया. लेकिन फिर भी दोनों ने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा. जब एक बार खुशबू का छोटी बहन से झगड़ा हो गया तो खुन्नस निकालने के लिए वो पापा को सीधे दिल्ली लेकर आ गयी और जब खुशबू के पापा ने वहाँ दोनों को साथ बैठकर बात करते देखा तो नाराज़ हुए. तब प्रणव ने कहा-‘ देखिये, मुझे आपकी बेटी से कोई टाइमपास नहीं करना बल्कि शादी करनी है. जहाँ तक कास्ट की बात है वो तो मैं बदल नहीं सकता, कुछ ऐसा बोलिये जिसे मैं बदल सकूँ. हमारी ख़ुशी में आप साथ देंगे तो अच्छी बात होगी. इसलिए आप बताइये कि मेरे घर जाकर आप बात करेंगे कि हम घरवालों को आपके पास बात करने ले आएं.’ तब खुशबू के पापा नाराज़ नहीं हुए. फिर अगले दिन प्रणव उन्हें न्यूज-24 के ऑफिस में घूमाने ले गए और अपने बॉस व सहयोगियों से मिलवाया. खुशबू के पापा बहुत खुश नज़र आएं. घर वापस लौटने के पहले प्रणव को कहें कि खुशबू का ख्याल रखना. और खुशबू को अकेले में कहें कि ‘ देखो, लड़का और जॉब सब ठीक है लेकिन मेरा मन नहीं मान रहा. मैं चाहता हूँ कि तुम पहले एम.बी.ए. कम्प्लीट करके अकेले पटना आ जाओ. फिर देखेंगे क्या हो सकता है. अगर दिल्ली में ही रहना चाहती हो तो मैं तुम्हारे लिए दिल्ली में ही इंजीनियर-डॉक्टर लड़का खोज दूंगा.शादी करो मगर हमारी पसंद से.’ जब उनके जाने के बाद प्रणव को ये बातें पता चलीं तो प्रणव को बुरा लगा. इससे पहले प्रणव के घरवाले खुशबू से दिल्ली में ही मिल चुके थें और उन्हें इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था. जब प्रणव ने अपने पापा को सारी बात बताई और कहा कि मैं और वेट नहीं करना चाहता, अब शादी करनी है.’ पापा ने कहा ठीक है लखनऊ आ जाओ, आर्यसमाज मंदिर में दोनों की शादी करवा देता हूँ. तब अक्टूबर 2010  में  खुशबू का एक्जाम चल ही रहा था. जैसे ही बीच में एक हफ्ते का गैप मिला दोनों लखनऊ निकल गए और मंदिर में शादी हो गयी. शादी के बाद जब अगले दिन प्रणव ने खुशबू के घरवालों को फोन करके शादी की बात बताई तो वे बोले -‘ इस शादी को हम नहीं मानेंगे क्यूंकि हमारी तरफ से कोई शामिल नहीं हुआ था.’ फिर वे लोग प्रणव के घरवालों से बात करने गएँ. सबकी ख़ुशी से मुहूर्त का डेट निकाला गया. फिर विधिवत ढंग से 10  दिसंबर, 2010 को धूमधाम से दोनों की पुनः शादी हुई. 

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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