(स्टोरी: राकेश सिंह ‘सोनू‘, रिपोर्टिंग : प्रीतम) “भोजपुरी अगर माई हई त हिंदी हमनी के बेटी भइली. अगर माई के इज्जत ना करबा जा त बोला फिर बेटी के इज्जत के करी. हम जब तू लोग के देश में आके बेधड़क भोजपुरी बोल रहल बानी त तू लोग भोजपुरिया प्रदेश के होके फिर काहे भोजपुरी बोले में लजात बाड़ा जा. भोजपुरी में ही पहिले रामायण, महाभारत लिखल गईल, तोहर देश के अधिकत्तर प्रधानमंत्री भोजपुरिये क्षेत्र के बनलन जा. तब भोजपुरी के लेके मन में काहे एतना हीन भावना रखले बाड़ा जा.” यह उद्गार किसी और के नहीं बल्कि मॉरीशस के उच्चायुक्त महामहिम श्री जगदीश्वर गोवर्धन जी के हैं.
अवसर था पटना, फ्रेजर रोड स्थित बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर (भारतीय नृत्य कला मंदिर) में ‘भोजपुरी साहित्यांगन’ के सौजन्य से भोजपुरी के उत्थान के लिए आयोजित कार्यक्रम का जहाँ पूरा माहौल ही भोजपुरीमय था और जहाँ मुख्य अतिथि से लेकर आयोजक सभी के सभी के वक्तव्य भोजपुरी में सुनने को मिल रहे थें. मनीषा श्रीवास्तव के भोजपुरी सरस्वती वंदना और श्री रामेश्वर गोप के स्वागत गान से कार्यक्रम की शुरुआत हुई.
मॉरीशस के उच्चायुक्त महामहिम श्री जगदीश्वर गोवर्द्धन जी द्वारा प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों के लिए भोजपुरी भाषा की एक पुस्तक ‘पूर्व प्राथमिक भोजपुरी पाठ्य पुस्तक माला’ का विमोचन एवं विद्यार्थियों व शिक्षकों के बीच पुस्तक का वितरण किया गया. यह कार्यक्रम ‘इंडियन डायस्पोरा एंड वर्ल्ड भोजपुरी सेंटर,वर्ल्ड भोजपुरी इंस्टीट्यूट एवं आर्ट एंड कल्चर ट्रस्ट ऑफ़ इण्डिया के सहयोग से आयोजित किया गया. इस पुस्तक को स्वयं माननीय उच्चायुक्त ने प्राथमिक स्तर के बच्चों को उनकी मातृ भाषा भोजपुरी सिखाने के लिए मॉरीशस की टीम द्वारा तैयार करवाया है. भोजपुरी भाषा के उत्थान के लिए वे कटिबद्ध हैं और मॉरीशस से लेकर भारत तक उन्होंने इसके लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है. वे भोजपुरी क्षेत्र में घूम-घूम कर मातृभाषा के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं.
‘बोलो जिंदगी’ के साथ खास बातचीत में उच्चायुक्त ने बताया कि “उन्हें यह आश्चर्य होता है कि जब मॉरीशस भोजपुरी के लिए इतना कुछ कर सकता है तो भोजपुरी के मूल क्षेत्र में अपनी ही मातृ भाषा के प्रति इतनी उदासीनता और हीनत्व-बोध क्यों है..! उनका मानना है कि जबतक हमलोग छोटे छोटे बच्चों को भोजपुरी नहीं सिखाएंगे भोजपुरी का विकास नहीं होगा. दुनिया की कोई संस्कृति और सभ्यता बिना मातृभाषा के अपने को बचा नहीं सकती और ना विकास कर सकती है.”
इस अवसर पर श्री कृष्णनंदन वर्मा, माननीय शिक्षा मंत्री श्री शूलपाणि सिंह, उपाध्यक्ष, आर्ट एन्ड कल्चरल ट्रस्ट ऑफ़ इण्डिया एवं डॉ. रत्ना पुरकायस्था, निदेशक, पटना दूरदर्शन, मनोज कुमार, प्रथमिक शिक्षक संघ, विभा सिन्हा एवं अन्य गणमान्य लोगों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में प्राथमिक स्तर के विद्यार्थी और शिक्षक उपस्थित हुए. अतिथियों का स्वागत गेंदे क फूलों की माला पहनाकर और उन्हें बुके देकर किया गया. उन्हें अंगवस्त्र (डिजायनर गमछा) और भोजपुरी माटी के पहचान सूरज के प्रतीक अरता के पात का बना हुआ स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.
गौरैया क्रियेशन्स की प्रोपराइटर मोनिका प्रसाद ने उपस्थित सभी अतिथियों को जुट से बने इको फ्रेंडली बैग्स वितरित किया जो अभी-अभी बिहार में प्लास्टिक पॉलीथिन बंदी के बाद पर्यावरण सरंक्षण को लेकर अच्छा सन्देश दे रहे हैं. मंच का सफलतापूर्वक सञ्चालन कर रहे थें कार्यक्रम संयोजक यशेंद्र प्रसाद.
अतिथियों के सम्मान के बाद कार्यक्रम में चार चाँद लगनेवाले लोगगायक रामेश्वर गोप एवं मनीषा श्रीवास्तव के साथ-साथ गौरैया क्रियेशन्स की प्रोपराइटर मोनिका प्रसाद को भी प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. महामहिम उच्चायुक्त के हाथों इस आयोजन को सफल बनाने के लिए संस्था के सभी सदस्यगणों को भी प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया.
वहीँ भोजपुरी भाषा के उत्थान के लिए आयोजित इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम योगदान और सामाजिक सरोकार से संबंधित स्टोरी पब्लिश करते रहने के लिए ‘बोलो ज़िन्दगी डॉट कॉम’ के ऑनर व संपादक राकेश सिंह ‘सोनू’ को भी मॉरीशस के उच्चायुक्त के हाथों सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ.
अपने भोजपुरी सम्बोधन में उन्होंने कहा कि “आज बड़ी ख़ुशी के बात है कि हम बेधड़क भोजपुरी बोल रहे हैं. हाई कमिश्नर के नाते हमको प्रोटोकॉल रखना पड़ता है. प्रोटोकॉल में मेरा धर्म नहीं है कि मैं यहाँ भोजपुरी में बोलूं क्यूंकि इस देश की राष्ट्रभाषा हिंदी है. लेकिन हम क्यों बोल रहे हैं भोजपुरी में क्यूंकि भोजपुरी के शहर में हैं . भोजपुरी के गढ़ की राजधानी यही है पटना. हम आज हाई कमिश्नर हैं कल हो सकता है नहीं रहेंगे…लेकिन आदमी की असली पहचान उसके पद से नहीं, पैसा से नहीं, ब्रांडेड कपड़े पहनने और बड़े मकान में रहने से नहीं होता है. ये सब तो अपना नहीं है, एक दिन इन सभी को छोड़ के जाना पड़ता है. इंसान की असली पहचान उसकी मातृभाषा से होती है. देश की कोई भाषा मातृभाषा से तुलना नहीं कर सकती. चाहे वो मातृभाषा तमिल, तेलगु, मराठी. पंजाबी, गुजरती या भोजपुरी क्यों ना हो. उसके बाद आती है राष्ट्रभाषा. मातृभाषा सर्वोत्तम है. इसी वजह से हमलोगों को भी अपनी मातृभाषा के उत्थान के लिए एक-जुट होक बिना सकुचाये काम करना चाहिए.”
माननीय शिक्षा मंत्री श्री कृष्णंदन वर्मा ने भोजपुरी के विकास पर जोर देने के साथ ही यह आश्वासन दिया कि “जल्द ही भोजपुरी को प्राथमिक शिक्षा सिलेबस में लाने की कोशिश करेंगे.”
पटना दूरदर्शन की प्रोगरामिंग हेड श्रीमती रत्ना पुरकायस्थ ने भी भोजपुरी भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा कि “मेरी मातृभाषा बांग्ला है लेकिन हम ब्याह किये हैं सिवान जिले के एक भोजपुरिया मर्द से तो इस लिहाज से अब हम भी भोजपुरिया हैं. बचपन से मैं आरा में रहनेवाले लोगों से यह जोशीला डायलॉग सुनती आ रही हूँ कि ‘आरा जिला घर बा, कवन बात के डर बा.’ भले ही मैं अपनी मातृभाषा बांग्ला की बजाये हिंदी ज्यादा बोलती हूँ लेकिन सच कहूं तो भीतर-ही-भीतर मैं पूरी तरह से भोजपुरी कल्चर में रच-बस गयी हूँ.”
भोजपुरी साहित्यांगन के अध्यक्ष डॉ. रंजन विकास ने भोजपुरी बोली में अपना सम्बोधन देते हुए कहा कि “बिहार, झारखण्ड के उतरी पूर्वी भाग, उत्तर प्रदेश के पूर्वान्चल भाग तक क्षेत्रीय भाषा के रूप मेँ पहचान बनवले भोजपुरी सरहद पार पड़ोसी देश नेपाल के दक्षिणी मैदानी हिस्सा, सूरीनाम, गुयना, फीजी, त्रिनिनाद आ मरिशास तक भी आपन पहचान बनवले बा. ख़ास रूप से मारीशस आ भारत के भोजपुरी क्षेत्र के सम्बन्ध एगो ऐतिहासिक आ सांस्कृतिक धरोहर बा, जे मूल रूप से खून के रिश्ता से जुड़ल बा. भोजपुरी भाषा हमनी के एक-दोसरा से अभिन्न करत बा. भोजपुरी भाषा के विकास में महामहिम के सतत आ सराहनीय योगदान खातीर ‘भोजपुरी साहित्यांगन’ आभारी बा.”
वहीँ संस्था के सचिव रंजन प्रकाश ने भोजपुरी में ही अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि “हमनी के पूर्वज लोग जे भोजपुरी भाषा, साहित्य आ संस्कृति के निखारल आ समृद्ध कईल आ पूरा दुनिया में एगो अलगे पहचान बनावल, ओह लोग के श्रद्धांजलि अर्पित करे खातीर ‘भोजपुरी सहित्यांगन’ के ई एगो छोटहन प्रयास बा. रउरा सभे से निहोरा बा ‘भोजपुरी सहित्यांगन’ से जुड़ी जा.”