5 फरवरी, 2022, राजधानी पटना में बिहार का पहला नॉन कमर्शियल ब्लड बैंक (माँ ब्लड सेन्टर) बनकर पूरी तरह से तैयार है. आज बसंत पंचमी के शुभ मौके पर गृह प्रवेश का पूजन किया गया। व्यापारीकरण के दौर में यह ब्लड बैंक मरीजों के लिए वरदान साबित होगा। जहां जरूरतमंदों को ब्लड के लिए दर दर की ठोकर खानी पड़ती है वही बिहार का पहला नॉन कमर्शियल ब्लड बैंक निशुल्क सारी सुविधा उपलब्ध कराएगा। यह ब्लड बैंक पूरी तरह थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों ओर हिमोफीलिया के मरीजों के लिए समर्पित होगा. मां वैष्णो देवी सेवा समिति पटना द्वारा यह ब्लड बैंक बनाया गया है जिसकी सबसे खास बात हिमोफीलिया और थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की तकलीफ कम करने के उद्देश्य से फ्री में ब्लड देने का प्रयासः किया जाएगा। प्रोसेसिंग फीस के तौर पर सरकारी रेट पर गरीबों को ब्लड उपलब्ध करवाया जाएगा।
आपातकालीन स्थिति में 4 से 6 घंटे के अंदर 100 से 200 यूनिट ब्लड उपलब्ध करवाने की क्षमता मां ब्लड सेंटर में है | मां वैष्णो देवी सेवा समिति परिवार कोशिश रहेगी कि एक यूनिट ब्लड से 3 लोगों की जान बचाई जा सके। प्लेटलेटस के साथ प्लाज्मा और पीआरबीसी की भी सुविधा मां ब्लड सेंटर में रहेगी।
बीते 10 सालों से हजारों लोगों की जान बचा रहे मां वैष्णो देवी सेवा समिति के संस्थापक मुकेश हिसारिया ने बताया कि “थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हर 15 दिनों पर ब्लड की जरूरत पड़ती है., जिसकी जरूरत मां वैष्णो देवी सेवा समिति पूरी करेगी और उन्हें मुफ्त में रक्त दिया जाएगा।” माँ वैष्णो देवी सेवा समिति परिवार में 300 बिजनेसमैन का समूह साल 2009 से ही गरीब पीड़ितों की सेवा में समर्पित है और यह समर्पण ब्लड बैंक तक ही सीमित नहीं रहेगा इसे आगे भी ले जाया जाएगा. अत्याधुनिक मॉडल ब्लड बैंक में अन्य लोगों को भी क्वालिटी ब्लड उपलब्ध कराने को ब्लड मुहैया करवाया जाएगा।
समिति के सदस्य नरेश अग्रवाल ने बताया “शरीर से प्लेटलेट्स निकालने की अफयरेसिस मशीन भी यंहा है. बिहार के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल के प्रोसेसिंग फीस के नियम को ही यंहा लागू किया जाएगा। लोकसंवाद में माँ वैष्णो देवी सेवा समिति द्वारा मिले सुझाव के बाद बिहार में पहली बार Pmch में थैलीसिमिया डे केअर सेन्टर की स्थापना बिहार सरकार द्वारा की गई।” माँ वैष्णो देवी सेवा समिति परिवार द्वारा 488 गरीब बच्चियो की शादियों का कार्यक्रम (एक विवाह ऐसा भी) 2010 से अब तक किया गया है। 2021 में 7 थैलीसिमिया पीड़ित बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट बिहार सरकार, कोल् इंडिया और प्रधानमंत्री कोष के सहयोग से समिति द्वारा करवाया गया।