कोरोना वायरस के खौफ़ की वजह से अब पूरा इंडिया लॉक डाउन हो चुका है… इसी बीच 25 मार्च, बुधवार के दिन चैत्र शुक्ल पक्ष में मनाये जानेवाले नवरात्रि के त्योहार की भी शुरुआत हो चुकी है. पटना में भी कई घरों में चैत्र नवरात्रि की पूजा हो रही है. हालांकि माहौल ग़मगीन है, घर से बाहर निकलना मुश्किल है फ़िर भी यहाँ के श्रद्धालुओं में उत्साह की कमी नहीं है… बोलो ज़िन्दगी ने लॉक डाउन की स्थिति में भी पूजा कर रहे कुछ एक पटनावासियों का फोनिक इंटरव्यू किया जो यहाँ प्रस्तुत है :-
पटना, राजीवनगर निवासी एवं संत डॉमनिक सेवियोज हाई स्कूल, नासरीगंज की इकोनॉमिक्स टीचर दीप्ति जी अपने हसबैंड के साथ पिछले 5-6 साल से चैत्र नवरात्रि कर रही हैं. दीप्ति बताती हैं,” मेरी कॉलोनी में पूजा दुकान बंद है लेकिन कुछ दिनों पहले घर में रुद्राभिषेक पूजा हुई थी तो हवन आदि बहुत से पूजा के सामान जो बच गए थें इस्तेमाल में आ जाएंगे. फिर भी 9 दिनों की पूजा के दौरान कुछ ना कुछ घटता रहता है तो अभी बाहर नहीं जा पाने की हालत में जो सामग्री है उससे ही पूजा करूँगी. कुछ देर के लिए जो किराना की दुकान खुली थी तो वहाँ से ज़रूरत के सामान ले चुके हैं. जब हमारे इर्द-गिर्द ऐसा भय का माहौल है तो इस नवरात्रि पर हम पति-पत्नी देवी दुर्गा से यही याचना करेंगे कि वे हम सभी को इस संकट की घड़ी से उबारें.”
पटनासिटी, भरतपुर सिमली के श्री परमेश्वर सिंह ने बताया कि साल में 2 बार एक चैत्र माह में और दूसरी आसीन माह में आनेवाली नवरात्रि को वे 53 वर्षों से मनाते आ रहे हैं. इस चैत्र नवरात्रि में वे 9 दिनों तक माँ भगवती की उपासना करते हुए अन्न की जगह कच्चा बादाम, मखाना भूनकर सेवन करेंगे. पूजा का बाकी समान लॉक डाउन के पहले ही घर ला चुके हैं. फिलहाल घर से निकलने की मनाही है, अगर सुबह दूध की व्यवस्था हो गयी तो ठीक वरना कोई बात नहीं. वे चाहते थें शकरकंद भी ले आएं लेकिन मिला नहीं. परमेश्वर सिंह जी कहते हैं, “इस चैत्र शुक्ल पक्ष की नवरात्रि पर भगवती से विशेष कामना करेंगे कि इस कोरोना महामारी के प्रकोप से सम्पूर्ण मानव जगत को बचाएं.”
ईस्ट बोरिंग केनाल रोड की श्रीमती पूनम त्रिवेदी पिछले 25 सालों से वर्ष में आनेवाली दोनों नवरात्रि धूमधाम से मनाती आयी हैं. पूनम जी बताती हैं, “हर नवरात्रि पर मेरे घर कई लोग जुटते थें और खूब भजन-कीर्तन होता था. हम मन्दिर भी जाते थें लेकिन अब तो इस माहौल में पूरी एहतियात बरतते हुए घर में सिर्फ फैमिली के साथ ही पूजा करना सही होगा. हम दोनों पति-पत्नी ही चैत्र नवरात्रि पूजन करते हैं. पूजा के सामान तो हैं घर में लेकिन अभी कोई बाहर से पूजा के फूल ले आने को भी तैयार नहीं है, इसलिए हम अपनी बालकनी में उगाए सजावटी फूलों से ही काम चला लेंगे. सोसायटी ने मेन गेट में ताला जड़ दिया है ताकि लोगों की आवाजाही कम से कम हो. ज़िन्दगी खतरे में है लेकिन हमें ईश्वर पर भरोसा है जल्द ही नया सबेरा होगा.”
पाटलिपुत्र कॉलोनी के श्री यशेन्द्र प्रसाद और उनकी पत्नी मोनिका प्रसाद तब से नवरात्रि पूजन करते आ रहे हैं जब वे हाईस्कूल के स्टूडेंट थें. कोरोना का आतंक देखते हुए उन्होंने बहुत पहले से ही पूजा सामग्रियों व जड़ी बूटियों को जुटाकर घर में तीनों समय हवन करना शुरू कर दिया था. नवरात्रि पर पति-पत्नी दोनों 9 दिन उपवास रखते हुए सादा जीवन जीते हैं. यशेन्द्र जी बताते हैं, “देवी यानी शक्ति व ऊर्जा… तो इस नवरात्रि हम और भी ज्यादा उत्साह से पूजा करते हुए अपने आप को ऊर्जावान बनाएंगे ताकि आनेवाले संकट का डटकर सामना कर सकें. हमारे पूर्वजों ने बरसों पहले जो आहार-व्यवहार अपना रखा था उसके पीछे साइंटिफिक रीजन भी था जिसकी आधुनिक विज्ञान ने खिल्ली ही उड़ाई है.”
वहीं इनकी पत्नी मोनिका जी कहती हैं, “गोबर और गोमूत्र का विभिन्न संक्रमणों से लड़ने में प्रभावशाली उपयोग होता आया है. इनसे घर द्वार को लीप कर और गोबर के कण्डों पर गुग्गुल-कर्पूर, जड़ीबूटी का धुआँ कर घर को संक्रमण मुक्त रखना भारतीयों को युगों से आता है. फिर प्रतिदिन सूर्योदय और सूर्यास्त के वक़्त गाय के गोबर के कण्डों पर अग्निहोत्र की दो आहुति pathogenic germs को खत्म कर शरीर और ब्रेन को मजबूत करती है, ये युगों से आर्यों की दैनिक चर्या है. तो कहने का तात्पर्य ये है कि जिस दुश्मन का अभी कोई कारगर इलाज ही नहीं है तो फिर घरों में रहते हुए अपने-अपने स्तर से उससे लड़ने और बचाव करने में हर्ज ही क्या है…अगर नवरात्रि पूजन करते हुए हम गोबर के उपलों पर हवन जलाकर धुवां करते हुए, शंख बजाते हुए घर और सोसायटी को संक्रमण मुक्त करने की कोशिश करते हैं तो उसमें हर्ज क्या है…?”
कंकड़बाग, पीसी कॉलोनी की श्रीमती रंजीता मिश्रा बताती हैं कि “नवरात्रि पर उनके पति श्री अभय मिश्रा 9 दिन उपवास पर रहेंगे इस बीच मैं खुद और मेरी बच्चियां भी सेंधा नमक युक्त बिना प्याज-लहसुन का बना खाना खाएंगी. लॉक डाउन की स्थिति देखते हुए हमने भी पूजा के लिए फल-दूध की खरीदारी कर ली है.” वहीं उनके पति श्री अभय मिश्रा कहते हैं,”हमारी संस्कृति में चैत्र नवरात्र का प्रचलन इसलिए भी रहा कि इन दिनों बदलते मौसम की वजह से वातावरण में कीटाणुओं-जीवाणुओं का प्रकोप तब खुद-ब-खुद शांत हो जाता है जब पूजा के दौरान मंत्रोचार, घण्टी और शंख की ध्वनि के बीच हवन किया जाता है. अभी जब कोरोना ने अपना पांव पसारना शुरू किया है ऐसे में नवरात्र का आना, हमे अभी से ही उत्साहित करते हुए हमारा आत्मबल बढ़ाकर हमे इस सामयिक बाधा से लड़ने-डटने के लिए प्रेरित भी कर रहा है.”
न्यू बायपास रोड, अनीसाबाद के रवि कुमार पिछले कई वर्षो से चैत्री नवरात्र करते आ रहे हैं. इनके परिवार के अन्य 2 सदस्य भी पाठ रखते हैं और इस बार भी इन्होंने पाठ रखा है. पूजा पाठ की वस्तुएं जहां पहले इन्हे एक या दो दुकानों से मिल जाती थी मगर इस बार इन्हें पूजा सामग्री के लिए 8 से 10 दुकानों में जाना पड़ा. मगर बहुत जगह ढूंढने पर भी इन्हे मिट्टी वाला कलश नहीं मिला. फिर वे कहीं से पीतल के कलश खरीदकर उससे ही पूजा पाठ को सफल बनाने में लग गयें.
वहीं आनन्दपुरी की श्रीमती जनक किशोरी जी चैत्र नवरात्र तो नहीं मगर चैत्र छठ ज़रूर करेंगी. परिस्थिति को भांपते हुए इसकी तैयारी उन्होंने पहले से ही शुरू कर दी थी क्योंकि बहुत पहले पति के उड़ीसा पोस्टिंग के वक़्त जब वहाँ साइक्लोन तूफान में घिर गई थीं तो उस दरम्यान खुद को सम्भालते हुए जीवन यापन का अच्छा तजुर्बा हासिल किया था. पूजा के सामान पहले ही खरीदकर घर में रख चुकी थीं और ठीक लॉक डाउन के पहले गाँव से केले का घौद भी ला चुकी हैं. जनक जी कहती हैं “पहले चैत्र छठ वे मिलजुलकर करती थीं लेकिन इस बार महामारी को देखते हुए अकेले ही घर पर सम्पन्न करेंगी. खरना का प्रसाद खाने के लिए अभी के हालात में किसी को आमंत्रित करना भी सही नहीं होगा. इसलिए इसबार पूरी एहतियात बरतते हुए खूब श्रद्धा से चैत्र छठ करूँगी.”