By: Rakesh Singh ‘Sonu’
छोटी सी उम्र में वह लघुकथा व कविता लिखती है, बड़े बड़े नामचीन कवियों – साहित्यकारों के समक्ष खुद से लिखे कहानी-कविता का पाठ करती है और दिग्गजों की सराहना पाती है. तभी तो राष्ट्रीय स्तर पर बाल श्री सम्मान के लिए चयनित हुई है प्रियंतरा. मूलतः गोपालगंज के शिक्षक माता-पिता की सबसे छोटी संतान प्रियंतरा पटना के विद्या निकेतन गर्ल्स हाई स्कुल में 7 वीं की छात्रा है. 5 वीं कक्षा से ही कहानियां लिखनी शुरू कर दी थीं. लेकिन ज्यादा मन कविता लिखने में आता जो महज 5-6 साल की उम्र में ही शुरू कर दिया था. अब तक राष्ट्रीय स्तर की बाल पत्रिकाओं नंदन,चकमक,बाल प्रभात, बाल भारती, अहा ज़िन्दगी और बिहार के समाचारपत्रों हिंदुस्तान, दैनिक जागरण,दैनिक भास्कर, प्रभात खबर इत्यादि में प्रियंतरा की कविता- कहानियों का प्रकाशन हो चुका है. बाल भवन ‘किलकारी‘ संस्था की मासिक पत्रिका ‘बाल किलकारी’ में प्रियंतरा पिछले दो सालों से बाल संपादक भी है.
‘आयाम’ वर्षगांठ के अंतर्गत प्रियंतरा बड़े कवि एवं साहित्यकारों अरुण कमल, पद्मश्री उषा किरण खान,अलोक धन्वा के समक्ष काव्य पाठ कर चुकी है. 2013 के पटना लिटरेचर फेस्टिवल में मशहूर गीतकार गुलज़ार जी के समक्ष काव्यपाठ कर चुकी है. दूरदर्शन बिहार पर 2016 में किलोल बाल कवि गोष्ठी में भी कविता पाठ कर चुकी है. प्रियंतरा एंकरिंग भी अच्छा कर लेती है और इसके लिए भी उसे कई मौके मिले हैं. ‘किलकारी’ के तहत कई राज्य स्तरीय कार्यक्रमों में मंच संचालन कर चुकी है और पटना रेडियो पर नवम्बर 2015 से जनवरी 2016 तक बाल अधिकार प्रोग्राम को संचालित कर चुकी है. इसके अलावे भी और शौक हैं प्रियंतरा के. 2016 में कुछ शार्ट फिल्मों में वह न सिर्फ स्क्रिप्ट राइटिंग बल्कि एक्टिंग और डायरेक्शन भी कर चुकी है जिनमे ‘आई कैन डु द च्वाइस’,’उम्मीदों का आसमां’ और ‘बस्तागाड़ी ‘ प्रमुख हैं.
जब इतनी छोटी उम्र में प्रियंतरा के काम बड़े हैं तो जाहिर हैं उसके नाम पुरस्कारों की लम्बी सूचि होगी. पर्यावरण एवं वन विभाग बिहार सरकार की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हाथों निबंध लेखन में तृतीय पुरस्कार, महिला चरखा समिति, बिहार की तरफ से डॉ.राजेंद्र प्रसाद जी की पौत्री डॉ. तारा सिन्हा के हाथों स्पीच कम्टीशन में प्रथम पुरस्कार, गाँधी संग्रहालय पटना,बिहार में हुए स्पीच कम्पटीशन में ही कला संस्कृति मंत्री के हाथों द्युतीय पुरस्कार, क्रिएटिव स्टोरी के लिए 2015 में डॉ. गोपाल शर्मा,सीनियर साइंटिस्ट जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के हाथों बिहार बाल श्री सामान, लघुकथा के लिए अंकुर सम्मान मिल चुका है. तीन साल के अंतराल पर होनेवाले राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान के लिए बिहार के 6 बच्चों का चयन हुआ है जिसमे से एक प्रियंतरा भी है जिसे 14 नवम्बर, 2017 को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्वारा कहानी के लिए सम्मान मिलेगा. अभी तो सिर्फ शुरुआत है, आगे नन्ही कलम का जादू देखना अभी और बाकी है.