जब वह अपना जॉब छोड़कर आया और अपने मन की करने लगा तो उसके जान-पहचानवालों ने कहा कि वह पागल हो गया है. और उसने भी स्वीकार किया कि “हाँ मैं हूँ पागल… मैं ‘प’ से प्रगतिशील, ‘ग’ से गतिशील और ‘ल’ से लक्ष्यशिल हूँ, यानि कि मैं पागल हूँ.” और यह पागल समझे जानेवाला इंसान आज अपने क्रियाकलापों से धीरे-धीरे युवाओं के लिए रॉल मॉडल बनता जा रहा है. हम बात कर रहे हैं 27 जुलाई, 2018 को बिहार के मोतिहारी जिले में ख्वाब फाउंडेशन के ‘कलाम को सलाम’ कार्यक्रम में यंग अचीवर अवार्ड से सम्मानित किये गए विपुल शरण श्रीवास्तव की. मूलतः छपरा जिले के मकेर गांव निवासी विपुल ने बीटेक की पढाई की है और अभी पटना के अनीसाबाद में नॉन गार्मेंटल ऑर्गेनाइजेशन ‘स्किल माइंड फाउंडेशन’ चला रहे हैं जिसके तहत वे गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्किल और इंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दे रहे हैं. साथ ही वेबसाइट डेवलपमेंट और डिजिटल मार्केटिंग का वर्क भी करते हैं. इंटरनेशनल इंस्टीयूशनल ऑर्गेनाइजेशन ने बिहार लीडरशिप फेस्टिवल में सोशल हीरो कैटेगरी में विपुल को बिहार एक्सेलेंसी अवार्ड से सम्मानित किया था. फिर बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के तहत इंटरप्रेन्योरशिप के लिए आयोजित बिहार स्टार्टअप कन्क्लेव में विपुल को स्टार्टअप के लिए एम्बैसडर बनाया गया था.
अभी 21 नवंबर से 1 दिसंबर तक होनेवाले साऊथ एशियन यूथ समिट में देश का प्रतिनिधित्व करने कोलंबो जा रहे पटना के चार युवाओं में विपुल का भी नाम शामिल है. कुल 80 देशों के 450 युवा भाग लेने जा रहे हैं जिसमे भारत से 10 युवाओं का चयन किया गया है.
अभी इंटरनेशनल यूथ कमिटी के तहत देश से 44 युवा यूरोप जा रहे हैं. बिहार से दो लड़के सेल्केट हुए हैं जिनमे से एक विपुल भी हैं. वहां जाकर वे इण्डिया के आर्ट एन्ड कल्चर का प्रतिनिधित्व करेंगे. यूरोप वाला यह टूर 1 दिसंबर से 15 दिसंबर तक है. यूनाइटेड यूनियन के अंतर्गत आनेवाले जितने सदस्य देश हैं उन सारे देशों में अलग-अलग जगह ले जाकर वहां के आर्ट एन्ड कल्चर को दिखाया जायेगा और अपनी चीज रिप्रजेंट करने को बोला जायेगा.
इससे पहले विपुल मुंबई में ‘जागृति यात्रा’ में शामिल होकर अपने बिहार को रिप्रजेंट कर चुके हैं. जागृति यात्रा पूरे भारत का एक टूर है जो मुंबई से स्टार्ट होती है और मुंबई में ही एन्ड होती है. 16 दिन का ये टूर वर्ल्ड की सबसे बड़ी ट्रेन जर्नी है. इसके लिए जागृति यात्रा को अभी लन्दन में एक चैरिटी अवार्ड भी मिला है. विपुल ने बताया कि “वहां पर जाने पर इंटरप्रेन्योरशिप का स्किल बहुत ज्यादा डेवलप हो जाता है. उसमे उद्दामिता से रिलेटेड बहुत से स्किल्स की ट्रेनिंग दी जाती है. एक वर्कशॉप टाइप होता है रोज-रोज. वहां बहुत बड़े-बड़े रॉल मॉडल आते हैं. आप उनसे मिलते हो. हर पंद्रह दिन में आपको अपने क्षेत्र में सक्सेसफुल इंसान होते हैं. और वो लोग एक दिन का पूरा लेशन देते हैं. लास्ट डे एक कम्पटीशन होता है जिसमे आपको भी अपना एक आइडिया सम्मिट करना होता है. जिसका आइडिया जीतता है फर्स्ट प्राइज उसको मिलता है. कई तरह के इवेंट जर्नी के दौरान होते हैं. मुझे एजुकेशन सेक्टर में फर्स्ट प्राइज मिला था.”
गांव से ही 12 वीं करने के बाद विपुल का सलेक्शन हुआ था पटना के रामानुजम स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स में. उसमे उन्होंने इंजीनियरिंग आई.टी.आई में एक साल तैयारी की. फिर शांतिनिकेतन में बीटेक में एडमिशन लिया. आई.टी. का सपना अधूरा रह गया. लेकिन चाहत थी कि आई टी में जाना जरूर है. जब बीटेक कम्प्लीट हुआ तो विपुल ने अपने अंदर एक कमी देखी कि इंग्लिश कम्युनिकेशन बहुत खराब है. कहीं भी इंटरव्यू के लिए जाते तो कई राउंड पास करने के बाद फ़ाइनल राउंड में रिजल्ट नहीं बना पाते थें. सब जगह से रिजेक्ट हो जाते थें. तब लगातार 16 अटेम्प्ट दिए थें और लगातार 16 वीं बार रिजेक्ट हुए. लगभग हार चुके थें. लेकिन 17 वें अटेम्प्ट में एक मल्टीनेशनल कम्पनी में उन्हें नौकरी लग गयी. कोलकाता में ज्वाइनिंग मिली. तीन-चार महीने जॉब किया फिर छोड़कर दूसरी कम्पनी में गए. 2016 में उनका सलेक्शन हुआ इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम आई.आई.टी. खड़गपुर में तब इस तरह आई.टी. का सपना पूरा हुआ. 2-3 महीने के छोटे से कोर्स में ही उन्होंने एन्टप्रेन्योरशिप केस स्किल सीखी और एक पागलपन था सोशल उधमी बनने का.
उसके बाद 2 साल तक आई.टी. का जॉब करने के बाद विपुल 2016 में पटना वापस चले आये और यहाँ फ्रीलांसिंग करना शुरू कर दिया. तीन-चार बेवसाइट बाहर से लेकर बनाने लगें. कुछ पैसे आ गए तो उनका घर चल गया. लेकिन उसी के साथ-साथ उन्होंने शुरू किया ‘स्किल माइंड फाउंडेशन‘ नाम का ऑर्गेनाइजेशन. इसके अंतर्गत उन्होंने सर्वे किया था कि हमारी सोशायटी को जरुरत क्या है? गरीबी मुक्त बनाने के लिए हमारी समाज में आवश्यकता क्या है? तो जब उन्होंने देखा तो पता चला कि पहली प्रॉब्लम एजुकेशन की है, क्वाईलिटी एजुकेशन नहीं मिल रही है. एजुकेशन को ठीक करने के लिए सबसे पहले प्लान करना था. सेकेण्ड स्टेज में बनाया स्किल. लोगों को बताने के लिए कि इंटरप्रेन्योरशिप शुरू करो. क्यूंकि एक आदमी अगर आता है तो कम-से-कम 10 -20 लोगों को एम्प्लायमेंट दे सकता है. फिर युवाओं को अवेयर करना शुरू किये कि आप अपना खुद का बॉस बनो और बिहार में इंटरप्रेन्योरशिप बढ़ाओ. चार पिलर उन्होंने बनाये एजुकेशन, स्किल, इम्प्लायमेंट और इंटरप्रेन्योरशिप. एजुकेशन पिलर है शिक्षा सुधारने के लिए, स्किल योग्य बनाने के लिए, इम्प्लायमेंट नौकरी के लिए और नौकरी में जो लोग बच जाएँ उनके लिए इंटरप्रेन्योरशिप ताकि वे कुछ बन सकें. इन चारोँ पिलर को चलाने के लिए तीन प्लेटफॉर्म बनायें- गेट, सेट, गो. गेट क्वाईलिटी एजुकेशन पाने के लिए, सेट है स्किल लेकर सेट हो जाइये, और गो है इम्प्लायमेंट और इंटरप्रेन्योरशिप के लिए. इसी के तहत विपुल यूथ स्किलिंग पर बेहतर ट्रेनिंग दे रहे हैं.
अभी ये ‘टारगेट 10 लाख’ नाम का एक प्रोजेक्ट कर रहे हैं जिसमे इनका टारगेट है 10 लाख लोगों तक कनेक्ट हो जाएँ. किसी भी तरह से ऑनलाइन या ऑफलाइन ताकि ये अपना मैसेज 10 लाख लोगों तक पहुंचा सकें. टारगेट है इन 10 लाख लोगों के जैसी भी जरुरत होगी आई.टी. से उसे पूरा करेंगे. अगर कोई किसान है, अगर उसे एग्रीकल्चर स्किल की जरुरत है तो उसे एग्रीलक्चर इंजीनियर से कनेक्ट कर उनको गाइडलाइंस दिलवा देंगे. उसके एक्सपर्ट उसे कनेक्ट करेंगे उस प्लेटफॉर्म पर और उसे सर्विस दिलवा देंगे. इस काम के लिए विपुल को फंड्स की जरुरत पड़ेगी. इसमें 10 लाख लोग जुड़े रहेंगे तो अगर उनसे 10-10 रूपए भी इन सर्विस के लिए लेंगे तो 1 लाख का फंड ये जेनरेट कर पाएंगे. और इसके आलावा 10 लाख लोगों तक न्यूज आसानी से फैला पाएंगे.
विपुल का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसकी कोशिश में भी वे लगे हुए हैं. फिल्म 3 इडियट्स में आपने देखा होगा लेह-लद्दाख में आमिर खान का एक स्कूल है. और रियल में वो मिस्टर सोनम वांचुंग का स्कूल है जिन्हें हाल ही में रेमन मैग्सेसे अवार्ड के लिए चुना गया है. उन्ही के स्कूल की तर्ज पर विपुल बिहार में एक स्कूल बनाना चाहते हैं जिसमे बेसिक स्टडी भी हो और वो स्कूल लैब से घिरा हुआ हो. बहुत सारे लैब्रेटीज हों जिसमे बच्चों को आजादी से कुछ करने का, पढ़ने का दिल करे. उसमे आर्ट एन्ड क्राफ्ट से रिलेटेड लैब भी रहेंगे. इनके एक टीममेट हैं विवेकानंद, वो जाकर सोनम वांचुंग से मिल चुके हैं. वो इन्वाइट भी किये हैं कि अपने यहाँ इंटरप्रेन्योरशिप करने आओ. विपुल का सपना है कि 2021 तक बिहार में एक वैसे स्कूल की नींव डाल दें जो आगे चलकर इनोवेशन हब के रूप में जाना जाये.