‘ब्वॉयफ्रेंड’ और ‘गर्लफ्रेंड’ ये जो ‘जीव’ हैं ये आमतौर पर पार्क, रेस्टूरेंट, सिनेमा हॉल और बंद कमरे जैसे जगहों पर अपने रिश्ते को कमिटमेंट के धागों से बांधते हुए मिल जायेंगे. फिर भी ये रिश्ता कितने दिन निभेगा इसकी गैरेंटी कोई नहीं दे सकता. घुटन सी महसूस होने पर इस रिश्ते से बाहर निकलने के लिए दोनों के पास ही ब्रेकअप की चाभी मौजूद रहती है. मजे की बात ये कि अलग हो जाने के बाद भी इनको बड़ी आसानी से कोई और सेकेंडहैंड पार्टनर मिल जाता है. मौका देखकर ये ‘जीव’ रंग भी बदलते हैं. जैसे ‘ब्वॉयफ्रेंड’ वाले जीव गर्लफ्रेंड के पैरेंट्स को सामने देख उसके क्लासमेट या फ्रेंड बन जाते हैं, गर्ल्स हॉस्टल में जाकर उसके भाई बन जाते हैं और कोई कोई तो ब्रेकअप होते ही ब्लैकमेलर भी बन जाते हैं. वहीँ ‘गर्लफ्रेंड’ वाली जीव पैरेंट्स द्वारा ब्वॉयफ्रेंड के साथ पकड़े जाने पर उल्टा अपने ब्वॉयफ्रेंड पर ही छेड़खानी का आरोप मढ़ देती हैं. और दोनों ही प्राणियों में एक एलर्जी कॉमन पायी जाती है कि आपस में शादी करने का प्रेशर पड़ते ही मानो इनको सांप सूंघ जाता है.. भाई ‘बोलो ज़िन्दगी’ को यह आजतक समझ नहीं आया कि ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड इन विचित्र प्राणियों के बीच आखिर है कौन सा रिश्ता ? तो हमने डिबेट के जरिये कुछ युवाओं और अभिभावकों से जानने की कोशिश की कि ये रिश्ता आखिर है क्या…दोस्ती का, प्यार का, सौदे का या फिर टाइमपास का ?
साक्षी प्रिया, मॉडल एवं एक्ट्रेस, पटना – आज के डेट में मुझे नहीं लगता कि प्यार कहीं से भी बचा है, बहुत रेयर केस होता है जब किसी को उसका प्यार मिले. कभी लड़की धोखा देती है तो कभी लड़का धोखा देता है. कभी एकतरफा प्यार होता है तो कभी आपस में प्यार ही नहीं होता है. दोस्ती का रिश्ता हो या प्यार का रिश्ता दिल से निभाना चाहिए. अगर आप किसी से दिल से रिश्ता नहीं निभा सकते तो आपको कोई हक़ नहीं बनता कि किसी के दिल के साथ खेलो. आज के समय में लोग हर रिश्ते को मजाक में लेते हैं, अब चाहे उसका दिल टूटे या फिर वो मर जाये. मैं तो यही कहूँगी कि हर रिश्ते को निभाना सीखो चाहे वो दोस्ती हो या प्यार. और मेरे लिए दोस्ती का मतलब है जो इंसान मुसीबत में अपने दोस्त के साथ खड़ा रहे वही आपका सच्चा फ्रेंड है.
सुमित कुमार, सीनियर रिपोर्टर, प्रभात खबर, पटना – मेरी नजर में सच्चा मित्र वह इंसान है जो रक्त संबंधी ना होते हुए भी आपका सगा है. वह जिसके लिए आपके दिल में अनगिनत भावनाएं हैं. जिसकी हँसी आपको हँसा जाती है. जिसके गम देख आपकी आँखों से आँसूं निकल पड़ते हैं. दोस्ती की इस छोटी सी परिभाषा को वक़्त ने बदल डाला है. हालिया वर्षों में लड़के-लड़कियों की दोस्ती ‘गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड कल्चर’ में बदल गयी है. ऐसा इसलिए कह रहा हूँ, क्यूंकि यह अपनी संस्कृति नहीं है. स्कूल, कॉलेज, कोचिंग, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म पर उनकी दोस्ती होती है. फिर अफेयर, डेटिंग, कुछ दिनों बाद ब्रेकअप और फिर नए दोस्त की तलाश. ऐसे सम्बन्ध को दोस्ती का नाम नहीं दिया जा सकता. इनको महज टाइमपास ही माना जा सकता है. कभी-कभी लोग खुलेपन के नाम पर अश्लीलता की हदें भी पार कर जाते हैं. दरअसल यह मित्रता ना होकर महज यौनाकर्षण है जो कुछ समय बाद खत्म हो जाता है. सही में मौजूदा वक़्त किशोरों को मित्रता का सही अर्थ समझने का मौका ही नहीं देता. ऐसे मौक़ों पर जब उनको सही गाइडेंस की जरुरत होती है, तब उनके पास गाइड के रूप में अधकचड़े साहित्य और इंटरनेट का कचड़ा मिलता है. इसके लिए किशोर उम्र में ही उनको मित्रता का सही अर्थ समझाया जाना चाहिए. इसकी जिम्मेदारी शिक्षकों के साथ अभिभावकों पर है. दो विपरीत लिंगों में तब तक गहरा प्रेम नहीं हो सकता जबतक उनके बीच गहरी मित्रता ना हो. सच्चे प्रेम को समझा नहीं जा सकता उसे तो बस महसूस किया जा सकता है.
डॉ. कुमकुम वेदसेन, सीनियर साइकोलॉजिस्ट एवं पूर्व प्राचार्या, सिद्धार्थ महिला कॉलेज,पटना – ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बनाना ना कोई सौदा है ना टाइमपास. यह तो जीवन जीने का एक सलीका है जो नीड बेस्ड होता है जिसमे एक विश्वास, भरोसा और अपनेपन की मिठास होती है. एक दूसरे पर मर मिटने की प्यास होती है. दोस्ती की गहराई को प्यार में भी बदलते हुए देखा गया है, जिसे रिश्तों और बंधनों के धागे में भी बंधते हुए पाया गया है. जीवन में एक दोस्त होना अनिवार्य है इस संदर्भ में हरिवंशराय बच्चन की दो पंक्तियाँ कहूँगी- ‘अगर बिकी तेरी दोस्ती तो पहले खरीददार हम होंगे, तुझे खबर न होगी तेरी कीमत पर तुझे पाकर अमीर हम होंगे.’ जीवन में पहले माता-पिता, भाई-बहन, अड़ोस-पड़ोस और फिर हमउम्र की ओर दोस्ती के हाथ बढ़ते हैं. दोस्ती का कोई दायरा नहीं है ना जाति, ना धर्म, ना उम्र, ना लिंग, ना समाज का बंधन. अंत में दो शब्द मेरी कलम से – ‘ ऐ दोस्त तुझे सलाम, तेरी दोस्ती में न शर्तें हैं न मांग. सिर्फ हर पल साथ रहने की चाहत, ऐ दोस्त तुझे सलाम.
मुकेश कुमार सिन्हा, युवा कवि, गया – सच कहूं तो बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के बीच का रिश्ता दोस्ती का भी है, प्यार का भी. टाइमपास भी है और इसकी आड़ में सौदा भी. पश्चिमी सभ्यता ने ‘रिश्ते’ को भी ‘बाजार’ के हवाले कर दिया है. अब जितना पैसा, उतने दोस्त और जितने दोस्त उतनी मस्ती. बाजार की वजह से दोस्ती में स्थायित्व नहीं रह गया है. जब स्थायित्व ही नहीं है तो दोस्ती टाइमपास ही मानी जाएगी ना.
डॉ. सुनीता कुमारी, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर,पटना वीमेंस कॉलेज एवं कॉडिनेटर, इग्नू – ब्वॉयफ्रेंड – गर्लफ्रेंड का रिश्ता आज एक नाजुक मोड़ पर है. ना तो ये पूरी तरह से दोस्त बन पाते हैं और ना ही सच्चा प्यार कर पाते हैं. दोस्ती और प्यार के लिए समय और सूझ-बूझ की जरुरत होती है जिनका इनके पास अभाव है. कच्ची उम्र, पॉकेटमनी, अकेलापन ऐसे बहुत सारे कारण हैं जिससे ये दोस्त तो खोज लेते हैं पर दोस्ती निभा नहीं पाते. सौदा तो नहीं पर कब इनका रिश्ता टाइमपास में बदल जाता है इन्हे खुद नहीं पता चलता है. और यही आगे चलकर सौदे का रूप ले सकता है इसमें कोई संदेह नहीं.
शिवम आलोक,स्टूडेंट, कंप्यूटर साइंस एन्ड इंजीनियरिंग, सिक्किम मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी – गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड का रिश्ता पक्की दोस्ती और प्यार भरा होता है. अगर ये सच्चा है तो कोई भी परिस्थिति इसे हिला नहीं सकती. एक अच्छे रिलेशनशिप को चलने के लिए गर्लफ्रेंड- बॉयफ्रेंड का एक दूसरे पर भरोसा होना बहुत इम्पॉर्टेंट है. लेकिन कुछ लोग इसे सौदा या टाइमपास के लिए इस्तेमाल करते हैं जिसे इंग्लिश के मुहावरे ‘ गिव एन्ड टेक’ से रिलेट कर सकते हैं. इसमें अगर समानेवाला आपसे कुछ एक्सपेक्ट कर रहा है और आप उसे पूरा करने में असमर्थ रहते हैं तो रिलेशनशिप में दरार आने के चांसेस बढ़ जाते हैं. मैं अपने कॉलेज की बात करूँ तो मेरा कॉलेज सिक्किम में है और यहाँ का मौसम इतना रोमांटिक है कि किसी को भी प्यार हो जाये. मेरे ख्याल से एक अच्छे रिलेशनशिप को चलने के लिए एक दूसरे को अच्छे से समझना, वो क्या एक्सपेक्ट कर रहा है और उसे खुश रखने के लिए क्या कर सकते हो ये इम्पॉर्टेंट है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि साथी की हर नाजायज डिमांड पूरी की जाए.
जूही भगत,स्टूडेंट, भागलपुर – लोग आजकल ब्वॉयफ्रेंड – गर्लफ्रेंड बनाना बस अपना पैशन समझते हैं. देखा देखी का चलन भी खूब है कि जब उनके दोस्तों के गर्लफ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड हैं तो मेरे क्यों नहीं. बस टाइमपास के लिए ये सब करते हैं. लेकिन वास्तव में ये सही नहीं है, ना ही ये प्यार है. प्यार आत्मा की भाषा है और हमेशा प्यार की रेस्पेक्ट करनी चाहिए ना कि टाइमपास.