पटना, 29 अगस्त, “जोर से बोलो जय माता दी, जय माता दी, जय माता दी…” पटना रेलवे स्टेशन स्थित टिकट काउंटर के पास खूब जोरों से यह जयकारे लगाए जा रहे थें. ‘विकलांग अधिकार मंच’ का 40 सदस्यीय दल वैष्णो देवी की यात्रा के लिए पटना जंक्शन से रवाना हुआ जिसमें 8 जन व्हीलचेयर समेत 17 दिव्यांग सदस्य शामिल हैं. यह दल पहले अमृतसर होते हुए वैष्णो देवी माता के दर्शन को पहुंचेगा फिर 3 तारीख़ को शाम में वापस पटना के लिए रवाना होगा. दिव्यांगजनो को प्रोत्साहित करने के लिए मौके पर पटना के प्रमुख समाजसेवियों ने पटना जंक्शन पहुँचकर उनका उत्साहवर्धन किया. डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी एवं धनंजय कुमार ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर जत्थे को रवाना किया. समाज को जागरूक करने व दिव्यांगजनों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मंच वर्ष 2012 से लगातार ऐसी यात्रा आयोजित करते रहा है.
टीम नेतृत्वकर्ता के रूप में अभिनव आलोक, तबस्सुम अली, दीपक दिव्वेदी व रंजीत के साथ इस दल में चिकित्सीय सहायता के लिए संजू सिंह साथ हैं. टीम में कुमारी वैष्णवी, दीपक कुमार, रंजीत कुमार, ममता भारती, नरेश प्रसाद, विकास, पिंटू, वीरेंद्र व अन्य शामिल हैं.
‘विकलांग अधिकार मंच’ के सचिव दीपक कुमार ने ‘बोलो ज़िन्दगी’ को बताया कि “इस यात्रा में कुल 43 यात्री हैं जिसमे यहाँ से 40 लोग हैं और 4 लोग महाराष्ट्र से हैं जो अमृतसर से हमारे साथ जुड़ जायेंगे. इनमे से 17 लोग दिव्यांग हैं बाकि वोलेंटियर और दिव्यांगों के परिवारीजन हैं. व्हील चेयर से 8 लोग हैं और बैशाखी से बाकि लोग. 2012 से इस यात्रा की शुरुआत हुई और आज 6 साल हो गए. हम में से कुछ लोग तब सोच रहे थें कि वैष्णो देवी क्या हम भी जा सकते हैं… वहां का नाम सुनकर ही लगता था कि वहां जाना कठिन है फिर भी एक चुनौती की तरह लेते हुए हमने शुरुआत की 12 लोगों के जत्थे से कि जाकर देखते हैं क्या होता है. जब हम वहां जाकर आ गए तो लगा कि बाकि लोग भी जा सकते हैं. इसी तरह से एक सोच थी जो हौसलों से निरंतर आगे बढ़ रही है. धीरे-धीरे यात्री बढ़ने लगें. इस यात्रा के लिए कहीं से किसी को कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती बल्कि सभी अपने-अपने खर्च से जाते हैं. पहली बार वैष्णो देवी जाने पर हम खच्चर की सवारी किये थें लेकिन उसके लिए कुछ दूर पैदल चलना पड़ा था. फिर माता दर्शन के लिए कम-से-कम एक किलोमीटर पहले उतर जाना पड़ता है. ये सब मुयाना करते हुए जब हम अगली बार दिव्यांगों का जत्था लेकर गए तो व्हील चेयर के साथ गए. उस वजह से माँ के मंदिर तक और नीचे सभी जगह हम व्हील चेयर से जाते हैं. पहाड़ी पर चढ़ते वक़्त भाड़े पर हम पिट्ठूवाले को रखते हैं जो रस्से से व्हील चेयर को आगे से बांधकर खींचता है जबकि पीछे से हमरा एक वोलेंटियर दिव्यांग सदस्य को सहारा दिए रहता है. इस तरह से यात्रा थोड़ी आसान हो जाती है.”
संस्था की अध्यक्ष वैष्णवी ने बताया कि “जब हम ऊपर पहाड़ी पर जाते हैं तो इतने सालों से सब लोग जान गए हैं कि ये लोग हर साल आते हैं तब सब जगह हमलोगों को पहले एंट्री किया जाता है और वहां पर भी प्राथमिकता दी जाती है. ये एक हफ्ते की जर्नी है. पहले हम अमृतसर के स्वर्णमंदिर, जालियाँवाला बाग़ और बाघा बॉर्डर जायेंगे फिर हम चले जायेंगे वैष्णो माता के दर्शन के लिए. फिर वहां से जम्मू में फिर वापसी करेंगे और शिवखोड़ी जायेंगे.”
वहीँ इस टीम का नेतृत्व कर रहीं तबस्सुम अली ने कहा कि “हम जब इतनी बड़ी टीम लेकर जाते हैं तो उसे कुछ ग्रुप में बाँट देते हैं. और हर दस लोग पर एक वोलेंटियर रहते हैं जो उनकी देखरेख करते हैं. अगर यात्रा के दौरान इनमे अचानक किसी की तबियत खराब हो जाये तो साथ में एक डॉक्टर को भी रखते हैं ताकि वो दवा-इंजेक्शन वगैरह देकर उसका प्राथमिक इलाज कर सकें.”