पहली फिल्म ‘राजा भोजपुरिया’ मुझे मिलने के पीछे कहानी ये रही कि सुदीप स्टूडियो खार, मुंबई में लेखक-गीतकार विनय बिहारी जी से प्रोड्यूसर आलोक सिंह और डायरेक्टर अजीत श्रीवास्तव जी मिलने आये थें. जब वो लोग आये तो मैं म्यूजिक डायरेक्टर धनंजय मिश्रा की मौजूदगी में माईक पर गाना गा रहा था. उनकी फिल्म में एक कैरेक्टर था बजरंगी पहलवान का तो उनलोगों ने जब मुझे देखा तो विनय जी से बोले कि “ये आदमी अगर एक्टिंग करे तो मैं इसे एक रोल दे दूँ.” मैं जब गाकर आया तो विनय जी ने कहा “जाइये आपका लाइफ सेट हो गया, आपको फिल्म में काम मिल गया.” हमने कहा “विनय जी, हमलोग कलाकार आदमी गाना गानेवाले लोग हैं, कहाँ झूठमूठ का कैमरा-वैमरा के चक्कर में फंसा रहे हैं. हमको नहीं आता है कुछ. हम नहीं करेंगे.” इसपर वहां बैठे सभी लोग मुझे डांटने लगे. बोले कि “यार यहाँ 20 वर्ष तक तपस्या लोग करते हैं तो काम नहीं मिलता है और आपको यहाँ सामने से काम मिल रहा है तब आप कह रहे हैं नहीं करेंगे? ये दुर्भाग्य है आपका.” हमने कहा ” ऐसा है तो क्या करना होगा मुझे ?” तब डायरेक्टर-प्रोड्यूसर ने कहा “आप चलिए, कुछ नहीं करना होगा, हम जानते हैं आप आसानी से कर लेंगे.”
फिर उनके बहुत कहने-सुनने पर मैं चला गया बनारस शूटिंग में. वहां पहले दिन की शूटिंग में देखा कि रवि किशन जी हीरो हैं और लाइफ में पहली दफा मैंने स्क्रीप्ट देखी थी. मैं कुछ जानता ही नहीं था. वे लोग बोले कि “स्क्रीप्ट याद करना है. ये याद कर लीजिये, आज आपकी शूटिंग है.” जब स्क्रीप्ट मिला तो मैंने याद कर लिया, मैं सेट पर गया, कैमरा वगैरह लगा था. रवि किशन जी आएं, वो फिल्म में मेरे चेला थे और हम गुरु थें. जब एक्शन की आवाज आयी तो हम कुछ नहीं बोले. फिर एक्शन बोला गया तब भी हम कुछ नहीं बोले. मैंने पूछा “एक्शन का मतलब क्या?” तो वे बोले “एक्शन का मतलब शुरू हो जाओ.” मेरे ओके कहने पर जब वो फिर एक्शन बोले तो हम बोलना चालू हो गएँ. तभी डायरेक्टर बोले- “कट-कट-कट….अरे यार अपना सिर्फ कैरेक्टर बोलो, बजरंगी जहाँ लिखा हुआ है.” हम बोले “हम तो पूरा स्क्रीप्टे याद कर लिए हैं. हम गायक आदमी क्या जानेंगे.” तो वे समझाएं “नहीं, सिर्फ बजरंगी वाला कैरेक्टर आपका है और किशन का जो है वो रवि किशन जी बोलेंगे. सबको अपना अलग-अलग बोलना है.” हमने कहा “ठीक है, अब फिर से याद करने दीजिये.”
तब फिर याद किये केवल बजरंगी-बजरंगी करके. फिर एक्शन बोला गया और फिर मैं चालू हो गया. तब बीच में डायरेक्टर टोकें “यार एक्सप्रेशन भी कोई चीज होता है. क्या यार एकदम किताब की तरह पढ़ रहे हो.” हम थोड़ा खीज उठे और कहें, “हम इसीलिए बोले थें कि बम्बई से हमको मत लाइए सिनेमा में, हम कैमरा- वैमरा झूठमूठ का ये सब जानते नहीं हैं.”
तब डायरेक्टर ने समझा-बहलाकर कहा- “अच्छा फिर से करो.” फिर एक्शन बोला गया तो जब मैं चालू किया एक्टिंग करना तो एक्सप्रेशन के चक्कर में कभी डायलॉग भूल जाऊँ तो डायलॉग के चक्कर में एक्सप्रेशन भूल जाऊँ.”
बहुत जद्दोजहद करने के बाद रवि किशन ने कहा- “ये गायक कलाकार हैं, इनसे पहले गाने का सीन शूट करवाइये.” तत्काल हमलोग बगीचे में गएँ, गाना किये. कुछ भटक खुला, उसके बाद लोगों ने कॉपरेट करके मुझसे एक्टिंग कराना चालू कर दिया. पूरी फिल्म की शूटिंग हो गयी और उसके बाद जो है रिजल्ट सबके सामने है. फिल्म सुपरहिट रही और फिल्म में बजरंगी के मेरे कॉमिक रोल को दर्शकों ने बहुत ज्यादा पसंद किया.
फिर तो मुझे दनादन फिल्मों में कॉमेडी एक्टिंग के ऑफर मिलने लगें. फिर सैकड़ों फिल्में करने का मौका मिला. ये सौभाग्य है हमारा कि हम आज भी एक्टर नहीं हैं, अपने को एक्सीडेंटल एक्टर मानते हैं लेकिन पब्लिक का प्यार है, भगवान का आशीर्वाद है कि आप सभी लोग मुझे आज भी एक्टिंग करते देख रहे हैं.