"बनाया है मैंने यह घर धीरे-धीरे! खुले मेरे ख़्वाबों के पर धीरे-धीरे। किसी को गिराया न ख़ुद को उछाला, क ...
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कीर्ति शेष- हिंदी साहित्य का अमर योद्धा: डॉ. रामदरश मिश्र
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भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान: बोलियों और भाषाओं के वैभव का साहित्यिक उत्सव
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कविता – उम्र से एक सवाल
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बीएचयू में लोकार्पित हुई मनोज भावुक की पुस्तक ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’
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विदेशों में भी हो रही हैं वर्चुअल साहित्यिक गोष्ठियां : विभा रानी श्रीवास्तव, अध्यक्ष, लेख्य-मञ्जूषा
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बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : लेख्य-मंजूषा की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव की फैमली, रुकनपुरा, पटना
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