मेरे मायके में भी लड़कियों को बोझ समझे जाने की मानसिकता चरम पर थी. इतनी कि जब तीसरी बेटी के रूप में मेरा ज ...
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दूसरों पर आश्रित ना होना पड़े इसलिए दिव्यांग होते हुए भी मैंने घर की दहलीज लाँघी : ऋतु चौबे, फाइनांस एक्जक्यूटिव, कलाहनु ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज,पटना
दूसरों पर आश्रित ना होना पड़े इसलिए दिव्यांग होते हुए भी मैंने घर की दहलीज लाँघी : ऋतु चौबे, फाइनांस एक्जक्यूटिव, कलाहनु ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज,पटना
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पापा के गुजरने के बाद घर का बेटा बनकर जिम्मेदारियां निभानी पड़ीं : सोनी कच्छप, महिला ट्रैफिक कॉन्स्टेबल
पापा के गुजरने के बाद घर का बेटा बनकर जिम्मेदारियां निभानी पड़ीं : सोनी कच्छप, महिला ट्रैफिक कॉन्स्टेबल
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तब मर्दों के प्रति इतना आक्रोश था कि पुलिस सर्विस ज्वाइन कर सबको सबक सिखाना चाहती थी : मधु श्रीवास्तव, एडवोकेट, पटना हाईकोर्ट
तब मर्दों के प्रति इतना आक्रोश था कि पुलिस सर्विस ज्वाइन कर सबको सबक सिखाना चाहती थी : मधु श्रीवास्तव, एडवोकेट, पटना हाईकोर्ट
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मानो तो मैं गंगा माँ हूँ ना मानो तो बहता पानी : पूर्णिमा देवी, 75 वर्षीया वयोवृद्ध गायिका व संगीतज्ञ
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ ना मानो तो बहता पानी : पूर्णिमा देवी, 75 वर्षीया वयोवृद्ध गायिका व संगीतज्ञ
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अगर आप महिला हैं तो एक अविश्वास सा आपके डिपार्टमेंट को लगा रहता है: अंजलि सिन्हा, फोटो जर्नलिस्ट, दिल्ली
अगर आप महिला हैं तो एक अविश्वास सा आपके डिपार्टमेंट को लगा रहता है: अंजलि सिन्हा, फोटो जर्नलिस्ट, दिल्ली
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मैं पत्रकारिता करने के बाद पुलिस विभाग में आयी : रवि रंजना, सब इंस्पेक्टर,कोतवाली थाना,पटना
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लोगों ने टोका था मुझे कि कबाड़ का बिजनेस औरत नहीं करती है : किरण, कबाड़ीवाली
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औरत को आज भी सीता की तरह अग्निपरीक्षा देनी पड़ती है : ममता मेहरोत्रा, लेखिका, समाजसेविका एवं प्राचार्या (डी.पी.एस.वर्ल्ड)
औरत को आज भी सीता की तरह अग्निपरीक्षा देनी पड़ती है : ममता मेहरोत्रा, लेखिका, समाजसेविका एवं प्राचार्या (डी.पी.एस.वर्ल्ड)