मेरा जन्म बिहार के सिवान जिले के लहेजी गांव में हुआ. प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई. मेरे पिता स्वतंत् ...
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तब विष्णु प्रभाकर को नहीं सुना होता तो आज मैं कुछ और कर रहा होता : हृषीकेश सुलभ, कहानीकार एवं नाटककार
तब विष्णु प्रभाकर को नहीं सुना होता तो आज मैं कुछ और कर रहा होता : हृषीकेश सुलभ, कहानीकार एवं नाटककार
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एनॉटमी हॉल में मुर्दों को देखकर लगा कि मैं डॉक्टर की पढाई छोड़कर भाग जाऊँ : डॉ. शांति राय, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं पूर्व एच.ओ.डी.,पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (पी.एम.सी.एच.)
एनॉटमी हॉल में मुर्दों को देखकर लगा कि मैं डॉक्टर की पढाई छोड़कर भाग जाऊँ : डॉ. शांति राय, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं पूर्व एच.ओ.डी.,पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (पी.एम.सी.एच.)
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ख्वाब था वकील बनूँ मगर बन गया पत्रकार : शैलेन्द्र दीक्षित, पूर्व संपादक, दैनिक जागरण, पटना
ख्वाब था वकील बनूँ मगर बन गया पत्रकार : शैलेन्द्र दीक्षित, पूर्व संपादक, दैनिक जागरण, पटना
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इलाहाबाद से पटना आया तो फिर यहीं पत्रकारिता का होकर रह गया : अवधेश प्रीत, पूर्व सहायक संपादक, दैनिक हिन्दुस्तान, पटना
इलाहाबाद से पटना आया तो फिर यहीं पत्रकारिता का होकर रह गया : अवधेश प्रीत, पूर्व सहायक संपादक, दैनिक हिन्दुस्तान, पटना
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फिल्म देखने के शौक ने कई बार मुश्किल हालातों से रु-ब-रु करवाया : श्याम जी सहाय, पूर्व आई.ए.एस. एवं अध्यक्ष, बागबान क्लब, दैनिक जागरण,पटना
फिल्म देखने के शौक ने कई बार मुश्किल हालातों से रु-ब-रु करवाया : श्याम जी सहाय, पूर्व आई.ए.एस. एवं अध्यक्ष, बागबान क्लब, दैनिक जागरण,पटना
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तब एक छात्रा का चप्पल प्रकरण चर्चा का विषय बन गया था : पदमश्री डॉ. उषा किरण खान,साहित्यकार
तब एक छात्रा का चप्पल प्रकरण चर्चा का विषय बन गया था : पदमश्री डॉ. उषा किरण खान,साहित्यकार
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रेणु जी को महिला मित्र समझकर मेरी पत्नी मुझपर शक करने लगी थी : श्याम शर्मा,वरीय चित्रकार व चेयरमैन,ऐडवाइसरी कमिटी,नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट,नई दिल्ली
रेणु जी को महिला मित्र समझकर मेरी पत्नी मुझपर शक करने लगी थी : श्याम शर्मा,वरीय चित्रकार व चेयरमैन,ऐडवाइसरी कमिटी,नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट,नई दिल्ली
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रिहर्सल के दौरान छोटी बच्ची को नींद की होमियोपैथी दवा देकर सुलानी पड़ती थी : नवनीत शर्मा, वरीय रंगकर्मी
रिहर्सल के दौरान छोटी बच्ची को नींद की होमियोपैथी दवा देकर सुलानी पड़ती थी : नवनीत शर्मा, वरीय रंगकर्मी
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तब 100-150 रूपए की साइकिल भी मैंने ऑफिस से एडवांस लेकर खरीदी थी : स्व.रामाशीष सिंह, भूतपूर्व अवर सचिव, बिहार लोक सेवा आयोग
तब 100-150 रूपए की साइकिल भी मैंने ऑफिस से एडवांस लेकर खरीदी थी : स्व.रामाशीष सिंह, भूतपूर्व अवर सचिव, बिहार लोक सेवा आयोग
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और लगाना पड़ा था फर्श पर पोछा : स्व.गिरीश रंजन, फिल्म निर्देशक
और लगाना पड़ा था फर्श पर पोछा : स्व.गिरीश रंजन, फिल्म निर्देशक