
”जब हम अपनी बोलियों के साथ पर्दे पर आते हैं तो संवाद नहीं, पूरा जीवन बोलता है। ‘Words to Screen’ की यह यात्रा तभी सार्थक होगी, जब भारतीय सिनेमा भाषाई विविधता को अपनी ताकत माने और हर शब्द, हर बोली को उसकी पूरी गरिमा के साथ स्क्रीन पर स्थान दे। यही सिनेमा को अधिक लोकतांत्रिक, समावेशी और भारतीय बनाएगा।”
उक्त बातें राजगीर कन्वेंशन सेंटर (बिहार) में आयोजित पाँच दिवसीय ( 21-25 दिसंबर) ‘नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल (NLF) 2025’ में भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार व प्रख्यात फिल्म गीतकार मनोज भावुक ने कही।
इस सत्र से पहले, “” Beyond Bolis, we are languages ” में भी मुख्य वक्ता के रूप में मनोज भावुक ने भोजपुरी भाषा के साथ भेद भाव पर खुलकर बोला। लिपि के बहाने पर मनोज ने कहा कि “जब एक देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली भाषाएं; यथा – संस्कृत, मराठी, नेपाली, संथाली, अब डोगरी और मणिपुरी आदि संवैधानिक मान्यता प्राप्त कर सकती हैं तो अपनी प्राचीन लिपि कैथी और महाजनी को छोड़कर देवनागरी को अपनाने वाली तीस करोड़ लोगों की भाषा भोजपुरी के साथ सौतेला व्यवहार कोई सरकार अथवा संसद कैसे कर सकता है?‘Words to Screen ” सत्र के मुख्य आकर्षक व अपने ठेठ अंदाज व संजीदा अभिनय के लिए जाने जाने वाले अभिनेता संजय मिश्रा ने कहा कि ”मैं स्क्रिप्ट नहीं पढ़ता। सीन, सिचुएशन और किरदार को समझता हूँ और उसे जीता हूँ। ” उन्होंने बहुत सारी फिल्मों का उदारण दिया।
इम्पा के अध्यक्ष व निर्माता अभय सिन्हा ने कहा मैंने अनेक विषयों को लेकर लगभग डेढ़ सौ फिल्में बनाईं, उनमें ऐसी बहुत सारी फिल्में हैं जो अपने सीमित बजट में भी दूसरे भाषा की फिल्मों से बेहतर नहीं तो कमतर भी नहीं हैं। उन्होंने भोजपुरी क्षेत्र के हिंदी में स्थापित अभिनेताओं से अपनी मातृभाषा में काम करने की अपील की।
इस सत्र को मॉडरेट किया सुप्रसिद्ध लेखक पंकज दुबे ने।
एनएलएफ की आयोजक डी आलिया और गंगा कुमार ने स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र देकर अतिथियों का स्वागत-अभिनंदन किया।
इस पाँच दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया। इस साहित्यिक आयोजन में सांसद डॉ. सोनल मानसिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद डॉ. शशि थरूर, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव चंचल कुमार, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सचिन चतुर्वेदी, नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह, आईपीएस अमित लोढ़ा, फिल्मकार आदूर गोपालकृष्णन, नृत्यांगना शोभना नारायण, लेखक हृषिकेश सुलभ, मॉरिशस की विदुषी सरिता बुधू सहित देश-विदेश से आए अनेक गणमान्य अतिथि मौजूद रहे। ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, स्वीडन, वियतनाम, श्रीलंका और जापान से आए बौद्ध भिक्षुओं ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।