पटना, 22 जून, गाँधी मैदान स्थित रेड क्रॉस सोसायटी में फिर एक बार जमावड़ा हुआ कुछ रक्तवीरों का जो इस जून की कड़क दोपहरी में स्वेक्षा से अपना ब्लड डोनेट करने चले आएं बिना इस बात की परवाह किये कि उनका खून किसके काम आ रहा है, किसी हिन्दू के या किसी मुस्लिम के…? उन्हें बस तसल्ली थी कि उनका खून मानवता के काम आ रहा है. आज मौका था रेड क्रॉस सोसायटी भवन में ‘यू ब्लड बैंक’ संस्था के लगाए गए ब्लड डोनेट कैम्प ‘यू डोनेट फॉर लाइफ’ का जहाँ संस्था के लोगों ने रक्तदान करनेवाले युवाओं को ब्लड डोनेट करने के फायदे बताएं कि इससे शरीर का ब्लड साफ़ होता है और उन्हें यह भी जानकारी दी कि एक बार ब्लड डोनेट करने के बाद फिर 3 महीने का गैप रखना चाहिए.
ब्लड डोनर में एक-दो को छोड़कर सभी पहली बार ब्लड डोनेट करने आये थें. अमिताभ, अंकिता नेहा, निरंजन पाण्डे, चंद्रा जी, ब्रजेश कुमार पाण्डे, चंद्रशेखर कुमार पांडेय, राहुल कुमार इत्यादि कुछ ब्लड डोनर के नाम हैं जिन्होंने ख़ुशी-ख़ुशी इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
यू ब्लड बैंक की फाउंडर मेंबर सीखा मेहता के अलावा अन्य सहयोगी अभिनाश मेहता, श्वेता मेहता, गौतम कुमार एवं सत्यदीप पाठक मौजूद थें.
मौके पर ‘यू ब्लड बैंक’ संस्था की फाउंडर सीखा मेहता ने ‘बोलो ज़िन्दगी’ को बताया कि “अचानक से मुझे ब्लड डोनर कार्ड लेने रेड क्रॉस सोसायटी में आना था. तभी कुछ लोग मेरे कॉन्टेक्ट में आएं तो काफी मोटिवेट करने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि मैं भी ब्लड डोनेट करूँगा. तब मैंने उनसे कहा कि ऐसे ही डोनेशन नहीं करना चाहिए चलिए वॉलेंट्री कराते हैं. सवैच्छिक रूप से सभी ब्लड डोनेट करना चाहते थें इसलिए मैंने अचानक से आज दोपहर रेड क्रॉस सोसायटी में एक ब्लड डोनेट कैम्प आयोजित कर दिया.”
यू ब्लड बैंक संस्था ब्लड डोनेशन को लेकर ‘यू डोनेट फॉर लाइफ’ के नाम से कैम्प आयोजित करती है. सितम्बर 2016 से इस कैम्पेन की शुरुआत हुई थी. अबतक यह संस्था 12 सफल कैम्प आयोजित कर चुकी है. यह कैम्प 17 जून को भी आयोजित हुआ था जिसमे 100 लोग शामिल हुए थें.
सिक्किम से आये पटना के रहनेवाले बिजनेसमैन अमिताभ जी आज रिकॉर्ड 70 वीं बार ब्लड डोनेट करने जा रहे थें. अमिताभ जी ने पहली बार 1990 में ब्लड डोनेट किया था. उसके पीछे भी एक छोटी सी कहानी है. तब अमिताभ नेपाल में नौकरी कर रहे थें. इनकी बस थी सुबह 8 बजे की और ये नेपाल जानेवाले थें. उस समय रीजनल चैनल ही हुआ करता था. तभी एक चैनल में न्यूज फ्लैश हुआ कि एक बन्दे को ब्लड की जरुरत है. तो ये चले गए उसे ब्लड देने के लिए. और उस दिन अमिताभ जी की नौकरी भी छूटी थी क्यूंकि उस दिन उनके ज्वाइनिंग का टाइम था और वे समय पर नहीं पहुँच पाए थें. लेकिन फिर उसके बाद से ब्लड डोनेशन को लेकर उनमे एक जुनून सा हो गया.
अमिताभ जी ने बताया कि “मैं अभी गैंगटॉक (सिक्किम) में रहता हूँ. आज मैं पटना आया था तो मैंने यूँ ही यू ब्लड बैंक की सीखा को मैसेज कर दिया कि ‘मैं अभी यहाँ आया हूँ, अगर मेरी जरुरत है तो बताना.’ तब सीखा का कॉल आया कि ‘भइया आ जाईये यहाँ एक कैम्प है’, तो फिर मैं आ गया. मैं ब्लड देता हूँ और लोगों को ख़ुशी होती है. मुझे तो पता ही नहीं चलता कि मेरा खून किसके काम आ रहा है. लेकिन इस बात की अंदुरुनी ख़ुशी होती है कि दो यूनिट ब्लड मैं देता हूँ तो किसी के काम आ जाता है. किसी की लाइफ सेव हो जाती है. इससे बढ़िया अचीवमेंट तो हो ही नहीं सकता.”
वहीँ पटना सिविल कोर्ट में एडवोकेट अंकिता नेहा जो यहाँ पहली दफा ब्लड डोनेट करने आयी थीं ने बताया कि “मेरा एक फ्रेंड रेगुलरली ब्लड डोनेट करता है. उसी से मैं इंस्पायर हुई ब्लड डोनेट करने के लिए. फ्रेंड को इसका एक्सपीरियंस था और जब उसने अपने ब्लड डोनेट को लेकर सारी बातें शेयर कीं तो मैं भी इसके लिए तैयार हो गयी. मैंने कोई इफ-बट की गुंजाईश नहीं आने दी क्यूंकि मुझे पता था कि यह एक बहुत ही अच्छा काम है.”