हमने लोगों के हंसने की कभी परवाह नहीं की: चंचला देवी एवं अर्चना कुमारी,पेट्रोलपंप कर्मी,पटना

हमने लोगों के हंसने की कभी परवाह नहीं की: चंचला देवी एवं अर्चना कुमारी,पेट्रोलपंप कर्मी,पटना

 

चंचला देवी एवं अर्चना कुमारी

लोहानीपुर, पटना की रहनेवाली चंचला देवी एवं अर्चना कुमारी ने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जो कदम उठायें उससे पूरा का पूरा समाज चौंक पड़ा. फैसला था मर्दों के कार्यक्षेत्र में कदम बढ़ाना. मतलब दोनों ने पटना के डाकबंग्ला चौराहा स्थित पेट्रोल पम्प पर पेट्रोलपम्प कर्मी का काम शुरू कर दिया. लोगों के हंसने और टोकने की कभी परवाह नहीं की. जहाँ अर्चना कुमारी इस पेशे में 6 साल से हैं तो वहीँ चंचला कुमारी लगभग 13 सालों से इस पेशे से जुड़ी हैं. डाकबंगला पेट्रोलपंप की मालकिन नीता शर्मा के प्रोत्साहन का नतीजा है कि ये महिलाएं आज पुरुषों के क्षेत्र में भी डटकर सम्मान के साथ खड़ी हैं.
चंचला जी के पति जयपुर के एक दवा फैक्ट्री में काम करते हैं और उनका एकलौता लड़का पुणे से बी.टेक की पढ़ाई कर रहा है. लेकिन आज से कुछ सालों पहले जब इनके घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल होने लगी और सिर्फ इनके पति की कमाई से घर चलाना मुश्किल हो गया तो इन्होंने निर्णय लिया कि अब वे भी घर की चहारदीवारी लांघकर परिवार को संवारने में पति का सहयोग करेंगी. लेकिन ज्यादा पढ़ी लिखी ना होने की वजह से इनको बड़ा जॉब मिलना मुश्किल था लेकिन इतना ज़रूर पढ़ी थीं कि कोई भी ढंग का काम कर सकती थीं. फिर काम की तलाश में शुरू हुई एक जद्दोजहद लेकिन कई जगह से निराशा ही मिली. इनके पड़ोस में ही डाकबंग्ला पेट्रोलपंप की नीता शर्मा जी के एक रिश्तेदार रहते थें और उन्हें जब यह पता चला कि चंचला जी को काम की तलाश है तो उन्होंने बुलाकर पूछा कि ‘पेट्रोलपंप पर वर्कर की ज़रूरत है, अगर आपको कोई दिक्कत नहीं तो मैं आपके लिए वहां बात करूँ?’ चंचला जी ने हाँ कहने से पहले एक बार पति से पूछना ज़रूरी समझा. उनके पति को कोई एतराज नहीं हुआ बल्कि उन्होंने कहा कि ‘कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता, अगर काम और वहां का वातावरण अच्छा है तो तुम कर सकती हो.’ अब जब चंचला जी को पति का सपोर्ट मिल गया तो उन्होंने बाकी परिवार और समाज की परवाह नहीं की और अपना काम शुरू कर दिया.

डाकबंग्ला पेट्रोलपंप पर ड्यूटी के वक़्त 

शुरू शुरू में पेट्रोलपंप पर खड़े खड़े काम करते हुए दिक्कत महसूस होती लेकिन फिर धीरे धीरे सब एडजस्ट होने लगा. आज से 12-13 साल पहले एक महिला के लिए यह काम पटना जैसे शहर के लिए बिल्कुल नया और चुनौतीपूर्ण था. चंचला जी बताती हैं कि ‘शुरू शुरू में पेट्रोलपंप पर ड्यूटी करते वक़्त मैं लोगों के बीच एक तमाशा बन गयी थी. कुछ लोग चौंककर देखते तो कुछ हंसकर अशोभनीय कमेंट करते हुए निकल जाते. मोहल्ले में भी आस-पड़ोस के लोग ताने मारते और खिल्ली उड़ाते. लेकिन मुझे ये अच्छे से पता था कि मैं कोई गलत काम नहीं कर रही और मुझपर हँसनेवाला यह समाज मुझे रोटी नहीं देगा. इसलिए उनकी टिप्पणियों को अनदेखा करके मैं ईमानदारी से अपने काम में लगी रही और फिर धीरे धीरे मेरी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो गयी.’ चंचला जी के मोहल्ले में ही अर्चना जी रहती थीं. एक दिन अचानक जब उनके पति की मौत हो गयी तो उनका अकेले दो छोटे छोटे बच्चों को देखते हुए घर चलाना मुश्किल हो गया. वे चंचला जी से मिलीं और पेट्रोलपंप पर काम दिलाने की बात कही. फिर चंचला जी ने उन्हें मालकिन से मिलवा दिया और चूँकि महिला होने की वजह से वे दूसरी महिलाओं का बहुत सपोर्ट करती थीं इसलिए उन्होंने अपने पेट्रोलपंप पर अर्चना जी को भी रख लिया. जब अर्चना जी इस पेशे से जुड़ी तब तक लोगों का नज़रिया कुछ बदल गया था और फिर धीरे धीरे यही समाज उन्हें और उनके काम को सैल्यूट करने लगा. आज इन दोनों महिलाओं से प्रेरणा लेकर अन्य महिलाएं भी मर्दों के इस पेशे में बेझिझक आ रही हैं और उन्हें यही समाज एक्सेप्ट भी कर रहा है.

 

2015 में सिनेमा इंटरटेनमेंट द्वारा सम्मानित होती हुई

चंचला और अर्चना जी के इस कार्य के लिए सिनेमा इंटरटेनमेंट ने 2015 में दोनों को ‘सशक्त नारी सम्मान’ से सम्मानित किया था. सशक्त नारी सम्मान समारोह के लिए महिलाओं का रिसर्च वर्क करनेवाले राकेश सिंह ‘सोनू’ जब डाकबंग्ला पेट्रोलपंप पर इनसे मिलने पहुंचे थें तो इन्हें यह जानकर ख़ुशी का ठिकाना ना रहा कि उनको सम्मानित किया जानेवाला है. आश्चर्य करते हुए ख़ुशी से तब दोनों ने कहा था कि ‘ बाबू, हमारे पास तो साल में सिर्फ एक बार मार्च महीने में महिला दिवस के अवसर पर पत्रकार लोगों का आना होता है. हर साल महिला दिवस के दिन अख़बार में हमारी फोटो छपती है लेकिन आजतक कभी हमें किसी मंच पर सम्मानित नहीं किया गया और कभी ऐसा भी होगा हमने तो इसकी कल्पना तक नहीं की थी.’ बिहार की महिलाओं को सम्मानित करनेवाले इस प्रोग्राम में जब ये दोनों महिलाएं कृष्ण मेमोरियल हॉल के मंच पर सम्मनित होने के साथ साथ अभिनेत्री रतन राजपूत जैसी नामचीन हस्तियों के बीच बैठीं तो खुद को गौरान्वित महसूस कर रही थीं.

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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