पटना, 1 मार्च, हेल्थलाइन द्वारा पोषित बुजुर्गों के क्लब ‘पुरोधालय’ में पहली बार दिखी आभाव में गुजर रहे बचपन की खिलखिलाहट. होलिकादहन की सुबह ‘पुरोधालय’ में वितरित हुई रंगों भरी खुशहाली. होली के कुछ ही दिनों पहले मुजफ्फरपुर जिले में दुर्घटना के शिकार हुए बच्चों का मातम छा गया जो इस बार की होली को थोड़ा फीका कर गया. ये बातें पुरोधालय के हर सदस्य को व्यथित कर रही थी और सबके जेहन में खो चुका-रो चुका बचपन घर कर गया था. उसी वजह से उन्हें यह नेक ख्याल आया कि क्यों ना इस बार पुरोधालय के सभी पुरोधा कुछ गरीब मासूम बचपन को होली की सौगात भेंट करें.
तो दिन तय हुआ होलिकादहन का जहाँ ‘पुरोधालय’ में आस-पास के गरीब और झुग्गी झोपड़ियों में रहनेवाले नन्हे-मुन्ने बच्चों को एकत्रित करके उनके चेहरे पर खुशियों की फुहार बरसाई गयी. लगभग 30-40 की संख्या में जमा हुए बच्चों के बीच बांटी गयी रंग-अबीर, पिचकारी और बिस्कीट. पुरोधालय में आते ही उन गरीब बच्चों की कौतुहल भरी नज़रें तलाशने लगीं उनके हिस्से मिलनेवाली खुशियों की पोटली. और जब उनके हाथों में आयी रंग और पिचकारी तो जैसे उनका अभावों से घिरा बचपन एक अजीब सी खिलखिलाहट लिए रंगोत्सव में सरिक हो गया. उनके चेहरे पर आये इन असली गहरे रंगों को देखकर फिर ‘पुरोधालय’ के बुजुर्ग सदस्यों का मन भी बाग़-बाग़ हो उठा और इस दरम्यान उन्होंने अपना बिसरा हुआ बचपन भी जी लिया. क्लब के बुजुर्ग सदस्यों के चेहरे पर मंडरा रहे संतोष के बादल शायद यही इशारा कर रहे थें कि ‘वो रंग-रंग क्या जो सिर्फ अंग-अंग में लग जाये….. अरे रंग तो वो है जो स्नेह-दया बनकर हर मन में रच-बस जाये.’