बस में उसे किसी ने चुटकी काट ली. उसे बुरा लगा. वही हरकत दोबारा हुई. इस भीड़ में वह किस पर शक करती ? तीसरी बार वही हुआ. इस बार उसने देख लिया. लड़का सभ्य लग रहा था. बस के रुकते ही वह उतरी तो लड़का भी नीचे उतर गया. उसने उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया. लड़का मुस्कुराता हुआ करीब आया.
“तुमने बस में जो किया, शायद घर में भी करते होगे, तब तो तुम्हारी इस हरकत से तुम्हारी माँ-बहनों को बहुत मज़ा आता होगा !” इतना कहकर वह आगे बढ़ गयी. जब तक वह उसकी नज़रों से ओझल ना हो गयी, लड़के की नज़रें शर्म से झुकी रहीं.
सबक (लेखक: राकेश सिंह ‘सोनू’)
लघु कथा