पटना, पीड़ित मानवता की सेवा के लिए 2009 में “माँ वैष्णो देवी सेवा समिति” की स्थापना पटना में हुई थी. संस्था के लोग राज्य व देश स्तर पर रक्तदान की मुहिम चलाने और कई सालों से गरीब 51 जोड़ों के सामूहिक विवाह के आयोजन करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में भी अपना योगदान दे रहे हैं. हर आपदा के समय संस्था के लोग मिलजुलकर अपने स्तर पर पीड़ित लोगों तक सेवा पहुंचाने का प्रयास करते रहे हैं. अभी कोरोना के कहर से जब सारी दुनिया कांप रही है, सारे लोग डर और दहशत के माहौल में जी रहे हैं ऐसे में अपना देश, राज्य और पटना भी अछूता नहीं है. यहाँ रोज कमाने – खानेवाले लोगों के लिए प्रधानमंत्री जी के सोशल डिस्टेंसिग को फॉलो करते हुए यह संस्था एक साथ अपनी कई सेवाएं देने का प्रयास कर रही है….
लॉक डाउन में सेवा नं. (1)- बोलो ज़िन्दगी ने जब संस्था के संस्थापक सदस्य मुकेश हिसारिया से इस बाबत बात की तो पता चला लॉक डाउन के पहले दिन से ही जब इनकी संस्था को पता चला कि पटना में पॉल्यूशन से बचने के लिए जो मास्क पहना जाता है उसे लोग अब अनाप शनाप रेट में बेच रहे हैं तो समिति ने सबसे पहले मास्क को आम आदमी तक निःशुल्क पहुँचाने का प्रयास किया. आजतक लगभग 1500 मास्क समिति द्वारा वितरित किये जा चुके हैं. जो चीजें ब्लैक में मिल रही थीं उसे संस्था के सभी सदस्यों ने कंट्रीब्यूट करके फ्री में बांटने की छोटी सी मुहिम शुरू की.
लॉक डाउन में सेवा नं. (2)- एक दिन अचानक से संस्था के लोगों के पास कॉल आता है लॉक डाउन पीरियड में कि हमारे पिता का देहांत हो गया है और पटना में रहते हुए भी परिवार के अन्य लोग नहीं आ पा रहे हैं, उनके लिए कफ़न, सीढ़ी की व्यवस्था से लेकर घाट पर जाने की व्यवस्था अगर सम्भव हो तो प्रदान करा दें. तो उस दिन संस्था ने ये चीज़ें उनको मुहैया करा दीं और उनसे पैसा भी नहीं लिया. उसी समय संस्था ने सोचा कि ये तो सामर्थ्यवान लोग थें, ये खर्च कर सकते हैं लेकिन जिन व्यक्ति का पॉकेट खाली है, संसाधन की कमी है ऐसे हालात में उनका क्या होगा…!! फिर ये तय हुआ कि इस ओर भी सेवा प्रदान की जाए. फिर सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे पटना में एक मैसेज फ़्लैश किया गया कि पटना के आसपास के लोग किसी वज़ह से अगर अंतिम संस्कार के लिए सीढ़ी, कफ़न और उससे जुड़े ज़रूरी सामान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं या अंतिम संस्कार के लिए डेड बॉडी घाट तक नहीं पहुंच पा रही है तो उस हालात में सेवाएं दी जाएंगी. और इस लॉक डाउन की स्थिति में संस्था ने आजतक 11 लोगों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी करने में योगदान दिया. जिसमे 7 लोगों ने अपना पैसा दिया तो 4 लोगों के सभी खर्च का वहन कर संस्था ने अपनी तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि दी.
लॉक डाउन में सेवा नं. (3) – इसी दौरान कई कॉल आ रहे थें जिसमे कहा जा रहा था कि सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बन्द है, तो कहीं डॉक्टर बैठ नही रहे हैं. ऐसे में कई पेशेंट परेशान थें कि कैसे डॉक्टर से संपर्क हो पायेगा. तब इस संस्था ने मैसेज डाला सोशल साइटस पर और परेशान लोगों से अपील की कि कुछ ऐसे डॉक्टर हैं जो आपके लिए उपलब्ध हैं. हमलोगों ने 5-6 डॉक्टर्स से बात की और उनकी तरफ से कन्फर्मेशन आया कि ‘वे लगातार दिन में 10 से 12 बजे तक दो घण्टे के लिए फोन पर उपलब्ध हैं और ज़रुतमन्दों की मदद करेंगे.’ जब यह सेवा शुरू हुई तो कल तक पटना के 180 लोगों को उनसे परामर्श लेने का मौका मिला जो बहुत सराहनीय है.
21 दिनों के लॉक डॉउन में 14 अप्रैल तक पटना का कोई भी बेहद परेशान रोगी सुबह 10 बजे से 12 बजे नीचे दिए गए डॉक्टरों से निःशुल्क सुझाव और सलाह ले सकते हैं :-
डॉ मनोज सिन्हा (फिजिशियन) 8521861020
डॉ चितरंजन (फिजिशियन) 9525051272
डॉ श्रवण कुमार (चाइल्ड केअर ) 9431025615
डॉ संकेत (क्रिटिकल केअर ) 9386690031
डॉ निखिल चौधरी (यूरोलोजिस्ट)
9939219883
डॉ राहुल कुमार सिंह (सर्जन ) 9555350760
संस्था ने टेली कॉन्फ्रेंसिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और व्हाट्सएप कॉलिंग के माध्यम से ये जो प्रयास शुरू कराया उसे पूरे बिहार में अपनाया. उसके बाद लगभग 200 डॉक्टरों ने अलग- अलग तरीकों से अपनी निःशुल्क सेवाएं आम जनता के बीच देनी शुरू कर दीं. इस आपदा की घड़ी में आज लगभग 200 डॉक्टर्स पूरे बिहार में घर बैठे फोन से परामर्श दे रहे हैं ये बड़ी बात है. साथ ही अभी एक और अच्छी खबर सुनने को मिली कि आईजीएमएस एक – दो दिन के अंदर टेली ओपीडी चालू करने जा रहा है जिसकी बदौलत टेली कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जी पीड़ित उनतक नहीं पहुंच पा रहे हैं उनको सेवा प्रदान करेंगे. माँ वैष्णो देवी सेवा समिति के सुझाव पर IGIMS देश का पहला सरकारी E Opd सेन्टर बनने जा रहा है.
लॉक डाउन में सेवा नं. (4) – सेवा के दौरान संस्था के लोगों के पास लगातार कॉल आ रहे थें कि कई लोग इस विपदा की घड़ी में सेवा करना चाह रहे हैं, वे कह रहे थें कि हमारे पास खाना है, मगर खाना बांटने के लिए संसाधन नहीं है. फिर संस्था ने कई मैसेज छोड़ा फिर कई ज़रूरतमंदों के लिए अन्य समाजसेवी लोगों व प्रसाशन की मदद से खाना पहुंचाने का काम किया.
लॉक डाउन में सेवा नं. (5) – लॉक डाउन पीरियड में संस्था से जुड़े जो रक्तदान करनेवाले लोग हैं उनमें बहुत कमी आ गयी. इस बात को देखते हुए वैष्णो देवी समिति ने सिर्फ और सिर्फ अपना ध्यान वैसे बच्चों पर लगाया हुआ है जो थैलीसीमिया पीड़ित हैं, जिनको हर 15 दिन में ब्लड की ज़रूरत पड़ती है. पिछले कुछ दिनों से इस लॉक डाउन में संस्था के लोग सिर्फ थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए ब्लड डोनेट कर रहे हैं.
लॉक डाउन में सेवा नं. (6) – संस्था ने यह निर्णय लिया कि अब से संस्था के सदस्यगण इस घड़ी में जानवरों का भी ख्याल रखेंगे. क्योंकि इस लॉक डाउन की स्थिति में जहाँ गरीब जनता को खाने के लाले पड़ रहे हैं वहीं इस सुनसान हो चुके शहर में बेचारे जानवर भूख-प्यास से बेहाल हो रहे हैं. इसलिए सदस्य अपने आस-पास के जानवरों को खाने-पीने की व्यवस्था करेंगे.
संस्था के संस्थापक सदस्य मुकेश हिसारिया कहते हैं, “इस माध्यम से जो परेशान बच्चे हैं उनके चेहरे पर ख़ुशी लाने का एक छोटा सा प्रयास है. ऐसे बुरे हालात में किसी भी पीड़ित के चेहरे पर हमलोग यदि मुस्कान ला पाएं तो यही हमारी कमाई होगी.”