लेख्य मंजूषा के साहित्यिक कार्यक्रम में उपन्यास एवं कहानियों पर हुई चर्चा

लेख्य मंजूषा के साहित्यिक कार्यक्रम में उपन्यास एवं कहानियों पर हुई चर्चा

पटना, 9 फरवरी, आर ब्लॉक स्थित द इंस्ट्च्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स (इंडिया) के लायब्रेरी हॉल में संस्था लेख्य मंजूषा की मासिक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया. जहाँ अतिथि वक्ता के रूप में मशहूर लेखिका शहनाज़ फातमी, डॉ. विद्या चौधरी एवं राकेश सिंह ‘सोनू’ (संस्थापक, बोलो ज़िन्दगी) उपस्थित हुए. उपन्यास विद्या को लेकर आयोजित गोष्ठी में “बोलती आँखे” (उपन्यास) की लेखिका आदरणीय शहनाज फातमी जी ने उपन्यास विद्या को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां सबके समक्ष रखीं. उन्होंने बताया कि उपन्यास लेखन में कथा-वस्तु, चरित्र चित्रण, कथोपकथन, भाषा शैली, देश अथवा कालखंड और उद्देश्य का महत्वपूर्ण स्थान होता है. अपने उद्बोधन के अंत में उन्होंने बताया कि “उपन्यास में अगर रोचकता नहीं होगी तो यह पाठक से जुड़ने में कामयाब नहीं हो सकेगी. उपन्यास अपने वक़्त की सही तस्वीर प्रस्तुत करती है. उपन्यास में लेखक अपनी कल्पना के साथ – साथ जीवन के अनुभवों को पिरोता है. उपन्यास लेखन साहित्य में नयी विधा है और इसमें कई आयाम हैं. यह इतिहास के बारे में भी बताती है तो भविष्य की तस्वीर भी खींचती है और वर्तमान के दृश्यों को भी पाठकों के सामने रखती है.”

 

गोष्ठी में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार विद्या चौदरी जी ने संस्था की त्रैमासिक पत्रिका “साहित्य स्पंदन” की समीक्षा करते हुए बताया कि “आज के समय इस तरह की साहित्यिक पत्रिका की आवयश्कता पूरे समाज को है.” पत्रिका पर सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि “इस पत्रिका में ऐतिहासिक लेखों एवं बाल साहित्य को भी स्थान मिलना चाहिए.”
इस कार्यक्रम में “बोलो ज़िंदगी” के संस्थापक व लेखक राकेश सिंह ‘सोनू’ ने अपने मुम्बई प्रवास के दौरान घटित एक संस्मरण को गोष्ठी में रखा. जब फिल्मी पत्रकारिता के दौरान भोजपुरी में बढ़ती अश्लीलता से उन्हें रूबरू होना पड़ा था.

 

 

तदोपरांत लेख्य मंजूषा के सभी सदस्यों मधुरेश नारायण, अभिलाष दत्ता, नसीम अख्तर, नूतन सिन्हा, प्रेमलता सिंह, सुधा पांडेय, राजकांता राज, रंजना सिंह, संगीता गोविल ने अपनी-अपनी एक रचना का पाठ किया. अतिथि राकेश सिंह ‘सोनू’ ने भी अपनी एक लघुकथा ‘एनकाउंटर’ का पाठ किया जो हाल ही में हुए हैदराबाद रेप कांड पर आधारित है. सदस्य मधुरेश नारायण जी ने खास अंदाज में अपनी एक ग़ज़ल सुनाकर सभी को एक पल के लिए मोहित सा कर दिया. युवा लेखक एवं पत्रकार अभिलाष दत्त ने बीते दिनों भोजपुरी फिल्मों के सफरनामे पर तैयार की हुई अपनी एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसकी बदौलत भोजपुरी फिल्मों के इतिहास से लेकर वर्तमान की स्थिति को भलीभांति समझा जा सकता है. कुछ अस्थानीय सदस्यों कल्पना भट्ट (भोपाल) और राजेन्द्र पुरोहित (जोधपुर) की लिखी कहानियों को व्हाट्सअप के माध्यम से संस्था की संगीता गोविल और रंजना सिंह जी ने पाठ किया. कार्यक्रम का सफल संचालन शायर नसीम अख्तर जी ने किया और अंत में अपनी खूबसूरत नज़्म भी सुनाई. धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष संगीता गोविल जी ने किया.

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *