वह देख नहीं सकती लेकिन उसकी मन की आँखों से देखी गयी दुनिया में सौ रंग हैं… वह अपना हर काम खुद कर लेती है तो ऐसे में जब कोई उसे बेचारी कहता है, उसे बहुत बुरा लगता है. हम बात कर रहे हैं अंतर्ज्योति बालिका विधालय, कुम्हरार (पटना) की 10 वीं की दृष्टिहीन छात्रा काजल की जिसे इस साल कविता लेखन के लिए राष्ट्रपति द्वारा ‘बाल श्री’ अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा. उसे कविता लेखन के लिए चार टॉपिक मिले थें – बारिश, माँ, रोटी व स्कूल बैग. काजल ने बारिश और माँ के टॉपिक पर लिखा और देश के कई सारे बच्चों के बीच उसकी कविता को सर्वाधिक पसंद किया गया. 2014 से उसने कविता लेखन की शुरुआत की थी. फिर किलकारी बालभवन से जुड़कर कई जगह हुई कविता प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और ढेरों इनाम जीते. काजल गायन में भी उस्ताद है और बड़े- बड़े आयोजनों में लोकगीत खासकर कजरी और झूमर प्रस्तुत कर चुकी है. 2013 में स्कूल स्तर पर दिल्ली में हुई प्रतियोगिता में थर्ड प्राइज जीता था. दिल्ली में ही 2016 के कला उत्सव कार्यक्रम में नेशनल लेवल पर हुई गायन प्रतियोगिता में काजल ने सेकेण्ड प्राइज जीता था. पटना के कालिदास रंगालय, कृष्ण मेमोरियल जैसे कई मंचों से उसने अपनी गायिकी का टैलेंट दिखाया है. लता मंगेशकर, कुमार शानू और उदित नारायण के गाने उसे बहुत आनंदित करते हैं.
आजकल के नए गाने उसे उतने पसंद नहीं आते जितने की पुराने गाने. काजल डांस का भी शौक रखती है. क्लासिकल के अलावा उसे गुजराती गरबा और डांडिया डांस करना भी पसंद है. 2012 में कोलकाता में नेशनल लेवल पर हुए डांस कम्पटीशन में उसने क्लासिकल डांस में सेकेण्ड प्राइज अपने नाम किया था. स्कूल में काजल कराटे भी सीखती है और उसे येलो बेल्ट मिल चुका है. इसके आलावा हस्तकला (क्राफ्ट) में भी काजल की रूचि है. वह हाथ से बैग, झूमर,झूला, तोरण और मोज़े की गुड़िया बनाना सीख चुकी है. कभी कभी स्टोरी भी लिख लेनेवाली काजल सिंगिंग और राइटिंग दोनों को लेकर चलना चाहती है.
काजल 2008 में, पहली कक्षा से ही अंतर्ज्योति बालिका विधालय के हॉस्टल में रहकर पढ़ रही है. उसके बाकरगंज स्थित घर में पापा विपिन राय, मम्मी विभा देवी और उससे छोटे तीन भाई है. पापा रुपाली टेस्टोरेन्ट में काम करते हैं. जब छुट्टियों में काजल घर आती है तो माँ के कामों में हाथ बंटाने लगती है. बहुत अच्छे से पोंछा लगाना, बर्तन धोना, सब्जी काटना ये सब कर लेती है. काजल का गांव मुजफ्फरपुर जिले के डोरा छपरा में है और वह अपने गांव की एकमात्र लड़की है जो रेगुलर पढ़ते हुए अपने टैलेंट के बल पर इतना आगे बढ़ी है. पढ़ाई की बात करें तो उसे हिंदी और संस्कृत पढ़ने में बहुत मन लगता है. खुद से वो मोबाईल से नंबर लगाना और कंप्यूटर चलाना जानती है. पहनावे में उसे जींस-टॉप और फ्रॉक-सूट पहनना ज्यादा पसंद है. खाने की बात करें तो वेज ज्यादा अच्छा लगता है. फास्टफूड में चाट तो खाने में चावल-दाल और आलू-चना की सब्जी बहुत पसंद है. पापा विपिन राय बताते हैं कि जब गांव में काजल के जन्म के कुछ दिनों बाद पता चला कि ये देख ही नहीं सकती तो गांव के कुछ लोगों ने उन्हें राय दी कि ‘ऐसी बच्ची को रखकर क्या होगा. आगे चलकर बदनामी ही होगी इसलिए इसे मार ही दीजिये तो अच्छा है.’ मगर काजल की मम्मी ने कह दिया कि ‘पहला बच्चा है इसलिए हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे.’ फिर जब उसके पापा विपिन राय पटना में काजल को बड़े डॉक्टरों के पास ले गए तो उन्होंने कह दिया कि, ये दृष्टिहीनता पैदाइश है, अब आँखों की रौशनी आने की उम्मीद नहीं है. तब विपिन राय पटना में अकेले रहते थें और काजल के साथ साथ बाकी फैमली गांव में रहती थी. काजल के पापा को रुपाली रेस्टोरेंट के मालिक स्व. रसिक भाई पटेल का बहुत सहयोग मिला. बचपन से ही विपिन जी उनके रेस्टोरेंट में काम करते थें और आज भी उनके नहीं रहने पर उनके रेस्टोरेंट की देखभाल किया करते हैं. एक दिन उनकी मकानमालकिन और रुपाली रेस्टोरेंट की मालकिन इना पटेल जी ने उनसे कहा कि ‘काजल जैसे बच्चों के लिए अलग से एक स्कूल है इसलिए उसे गांव से पटना ले आओ.’ तब विपिन जी अपनी पूरी फैमली के साथ काजल को शहर ले आये. फिर उनकी मालकिन इना पटेल जिनको काजल प्यार से दादी कहती है काजल को अंतर्ज्योति बालिका विधालय में ले जाकर दाखिला करा आयीं. काजल जब वहां हॉस्टल में रहकर पढ़ने लगी तब उसके माँ-बाप की फ़िक्र थोड़ी कम हुई और आज काजल का टैलेंट जब लोगों को प्रभावित कर रहा है तब ऐसे में उसके माँ-बाप कहते हैं ‘ हमारी बेटी सर्वगुण संपन्न है, और ऐसी बेटी पाकर हमें गर्व है.’