पटना, 27 जुलाई, “चिड़ियाखाना गयी उस लड़की को अचानक लघुशंका लगती है और वो वहीँ नो एंट्री जोन में चली जाती है…थोड़ी ही देर में कुछ लड़के भी यूँ ही मटरगस्ती करते हुए उसी नो एंट्री जॉन में जाते हैं और फिर उसी लड़की की चीख सुनाई देती है. लड़के तो नो एंट्री जोन से निकलकर वापस आ जाते हैं लेकिन बहुत देर बाद भी वो लड़की वापस नहीं लौटती. आज भी मैं जब भी चिड़ियाखाना जाती हूँ और उस नो एंट्री जोन को देखती हूँ तो मुझे एहसास होता है शायद अब वो लड़की वहां से निकलकर वापस आ जाएगी….” यह एक शॉर्ट स्टोरी की पंक्तियाँ थीं और जिसे लघुकथा सम्मलेन में सुना रही थीं वरिष्ठ लेखिका ममता मेहरोत्रा.
यह नजारा था कालिदास रंगालय में 27 से 29 जुलाई तक सामयिक परिवेश और कला जागरण द्वारा तीन दिवसीय प्रेम खन्ना स्मृति समारोह के आयोजन का जो राइज एन्ड साइन के सम्यक पाठक और आशुतोष मेहरोत्रा के फोटोग्राफी एवं राखी कुमारी, पिंटू कॉयल, रवि झा, शिवम शर्मा की पेंटिंग प्रदर्शनी के साथ प्रारम्भ हो गया. इसका उद्घाटन आर्ट कॉलेज पटना के प्राचार्य अजय कुमार पांडेय ने किया. वर्ल्ड इन योर आईज थीम पर आधारित इस प्रदर्शनी में भाग लेने कुछ बच्चे पटना के अलावे गया और कोलकाता से आये थें. इस अवसर पर समाजसेवी शम्भू कुमार सिंह, पंकज सिंह, समीर परिमल सहित कई बुद्धिजीवी उपस्थित थें.
इसके बाद स्मृति समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई और वहां आये विशिष्ट अतिथियों ने स्व. प्रेमनाथ खन्ना की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की.
तत्पश्चात सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमे चर्चित साहित्यकार डॉ. सतीश राज पुष्करणा, अवधेश प्रीत, डॉ. अनीता राकेश, कल्पना भट्ट और श्री सिद्धेश्वर जी सम्मानित किये गए.
उसके बाद लघुकथा पाठ का आयोजन किया गया जिसका संचालन डॉ. ध्रुव कुमार ने किया. इस मौके पर राकेश सिंह ‘सोनू’ ने ‘पागल’, डॉ. कल्याणी कुसुम सिंह ने ‘जयपुरिया कम्बल, प्रभात रंजन ने ‘अन्धविश्वास’, सीमा रानी ने ‘पुरानी साड़ी’ सहित अन्य पच्चीस लेखकों ने कहानियों का पाठ किया. लेखकों के लघुकथा पाठ के बाद लघुकथा के पुरोधा कहे जानेवाले सतीश राज पुष्करणा जी को मंच पर अपने मंतव्य रखने के लिए आमंत्रित किया गया.
उसके बाद वरिष्ठ कथाकार और दैनिक हिंदुस्तान के पूर्व सहायक संपादक अवधेश प्रीत जी से दो शब्द कहने को कहा गया. अवधेश जी के शब्दों में “लघुकथा बुलेट की तरह होती है जो सीधे धायें से जाकर तुरंत अपना असर दिखा देती है. हमलोगों के समय में लघुकथा संघर्ष कर रही थी लेकिन आज मंचों पर लघुकथा सम्मलेन आयोजित हो रहे हैं, पत्र-पत्रिकाओं में खूब छप और सराही जा रही हैं, लघुकथाओं पर शोध किये जा रहे हैं और सबसे बड़ी ख़ुशी ये देखकर हो रही है कि आज यहाँ इस कार्यक्रम में कई लघुकथा लेखक अपनी रचनओं के साथ मौजूद हैं. तो यह निश्चित ही सराहनीय बात है.” ध्यानपूर्वक सभी रचनाओं को सुनने के बाद अवधेश प्रीत ने यह भी बताया कि “कुछ लोगों की रचनाएँ मैंने गौर कीं जो अपने स्वरूप से बड़ी हो गयी हैं. तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि लघुकथा लघु ही रहकर अपना असर दिखा जाये, कोई विवरण ना बन जाये. लेकिन फिर भी आप सभी लघुकथा को लेकर गंभीर और प्रयासरत हैं वो बड़ी बात है.”
फिर अंत में वरिष्ठ लेखिका ममता मेहरोत्रा ने मंच पर आकर अपने पिता स्व. प्रेमनाथ खन्ना की स्मृति में इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अपने सारे सहयोगियों को धन्यवाद दिया. उन्होंने मंच पर बुलाकर युवा लड़के अमित से सभी का परिचय करते हुए बताया कि अगर “यह लड़का मेरा साथ नहीं देता तो शायद मैं आज इतना बड़ा आयोजन नहीं कर पाती.” उन्होंने जानकारी दी कि यहाँ लघुकथा पाठ करने कुछ लोग बिहार के बाहर यथा झाड़खंड, दिल्ली और एम. पी. से भी आये हैं. उसके बाद उन्होंने भी अपनी एक शॉर्ट स्टोरी ‘नो एंट्री’ सुनाकर समाज में व्याप्त लड़कियों की पीड़ा और मज़बूरी को मार्मिक अंदाज में दर्शाया. इसी के साथ दिन के पहले सत्र का समापन होता है.
दूसरे सत्र में कलांगन इस्टीच्यूट ऑफ फाइन आर्ट्स के कलाकारों ने गणेश वंदना और नृत्य नाटिका प्रस्तुत किया. अंत में रंग गुरुकुल के कलाकारों ने गुंजन कुमार के निर्देशन में ममता मेहरोत्रा की कहानी ‘सीमा पार’ का मंचन किया. सीमा पार का कथानक इंसान को मजहब और स्वार्थलोलुपता की परिधि से बाहर निकलने को कहता है. नाटक में केंद्रीय भूमिका (विक्षिप्त नारी का किरदार) को निभाया है उज्ज्वला गांगुली ने जबकि अन्य कलाकार हैं- शालिनी (नर्स), नितिश कुमार (बंता), चक्रपाणि पांडेय (फौजी), नरेंद्र प्रसाद ( चाचा जान), अभिषेक कुमार, अंकित कुमार एवं रोहन. संगीत संचालन है राजन कुमार का जबकि मंच व्यवस्था सर्विद कुमार और रूपसज्जा जितेंद्र कुमार का है.
दूसरे दिन 28 जुलाई का कार्यक्रम –
दोपहर बाद इको स्प्रिचुएलिटी द्वारा एक्यूप्रेशर से महिला संबंधी रोगों का इलाज विषय पर सेमिनार का आयोजन होगा. इसके बाद साहित्य संगोष्ठी एवं पुस्तक विमोचन सत्र प्रारम्भ होगा जिसमे ममता मेहरोत्रा लिखित ‘टाइम मैनेजमेंट‘ किताब का विमोचन और सामयिक परिवेश के नए अंक का लोकार्पण किया जायेगा. इस अवसर पर सम्यक पाठक के ‘ब्लड एंजल वेबसाइट’ की लॉन्चिंग भी की जाएगी. शाम में अभिषेक प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित यात्रा संस्मरण संग्रह- ‘सफर…जिंदगी की तलाश’ का विमोचन किया जायेगा. यात्रा संस्मरण ‘सफर….जिंदगी की तलाश’ में शामिल 12 रचनाकार हैं-
ममता मेहरोत्रा, पटना
प्रियंका वर्मा, पटना
विनीता किरण, जयपुर
प्रीति अज्ञात,अहमदाबाद (गुजरात)
सुशिल कुमार भारद्वाज. पटना
गीतिका वेदिका, टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
डॉ. कविता विकास, धनबाद (झाड़खंड)
मुकेश कुमार सिन्हा, गया (बिहार)
कपिल शर्मा, रक्सौल (बिहार)
राजू कुमार, पटना
विनय कुमार सिंह, मुंगेर (बिहार)
डॉ. कुमार अरुणोदय, पटना
इस अवसर पर चर्चित कवी सत्यनारायण को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया जायेगा. इसके बाद कलांगन के कलाकार नृत्य नाटिका प्रस्तुत करेंगे. उसके बाद कला जागरण द्वारा ममता मेहरोत्रा लिखित अखिलेश्वर प्रसाद सिन्हा नाट्य रूपांतरित ‘मकान’ नाटक का मंचन किया जायेगा. इसे परिकल्पित एवं निर्देशित वरिष्ठ रंग निर्देशक सुमन कुमार ने किया है.
29 जुलाई, तीसरे दिन के कार्यक्रम-
दोपहर बाद इको स्प्रिच्युलिटी द्वारा एक्यूप्रेशर से रोगों का इलाज विषय पर सेमिनार आयोजित किया जायेगा. चार बजे से कवि सम्मलेन आयोजित होगा. इसके संयोजक समीर परिमल ने ‘बोलो जिंदगी’ को बताया कि उनके आलावा ममता मेहरोत्रा, डॉ. रामनाथ शोद्यार्थी, साजिया नाज, नेहा नारायण सिंह, आमिर हमजा, राकेश नाजुक, नितेश सागर, सूरज ठाकुर बिहारी और अक्स समस्तीपुरी सहित कई चर्चित कवि कविता पाठ करेंगे. इसके बाद यूके डांस एकेडमी के बच्चे नृत्य नाटिका प्रस्तुत करेंगे. आखिरी में पश्चिम बंगाल के नाट्य दल के कलाकार राजेश देबनाथ के निर्देशन में ‘वेटिंग फॉर यू’ नाटक का मंचन करेंगे. इसका आयोजन सामयिक परिवेश और कला जागरण कर रही है जिसमे राज्य की कई संस्थाएं सहयोग दे रही हैं.