मेरी पहली भोजपुरी फिल्म थी ‘जीना तेरी गली में’ जिसके डायरेक्टर थे राज कुमार पांडेय. तब तीन लैंग्वेज में एक फिल्म बनी थी गुजराती, नेपाली और भोजपुरी में और मैंने गुजराती वाले वर्ज़न में एक गाना किया था. तो उसी के म्यूजिक लॉन्चिंग में हम सभी मुंबई आये थें. इससे पहले मैं गुजराती फ़िल्में करती थी. उस लॉन्चिंग पार्टी में राजकुमार जी पहली बार मुझसे मिले. उनको मेरा काम पसंद आया था. उन्हें अपनी टीन एज लवस्टोरी फिल्म के लिए फ्रेशर लड़की की तलाश थी. उन्होंने मुझे अपनी उस फिल्म के लिए चुन लिया. फिल्म की शूटिंग कुछ दिन मुंबई में फिर बिहार के मोतिहारी, सीतामढ़ी और फिर आगरा के लोकेशंस पर हुई. मैं बिलॉन्ग तो जौनपुर, यू.पी. से करती हूँ लेकिन मैं जब डेढ़ साल की थी तभी से गुजरात में रहने लगी. जब भोजपुरी का नाम आया तो फैमली की तरफ से काफी ऑब्जेक्शन आने लगें. ‘जीना तेरी गली में’ करने के बाद मुझे डैडी ने एक साल तक भोजपुरी में काम नहीं करने दिया. उस समय मेरी 12 वीं की पढ़ाई भी चल रही थी और मैंने अपनी ये पहली भोजपुरी फिल्म डैडी को बताकर नहीं की थी. जब वे जान गएँ तो उनका कहना था कि “भोजपुरी ना करो, कोई और लैंग्वेज करो.” लेकिन किस्मत में शायद मेरा भोजपुरी फिल्मों में ही आना लिखा था. होता ये है कि अलग इंडस्ट्री से ऑफर आता है तो लगता है कि एक बार करना चाहिए. और फिर इतने बड़े डायरेक्टर को ना भी नहीं बोल सकते. भोजपुरी को लेकर तब मेरी तैयारी कुछ भी नहीं थी लेकिन उन्होंने कहा था कि मैं संभाल लूंगा. भोजपुरी मैंने सीखी भी नहीं थी, मुझे आज भी बोलने में प्रॉब्लम होती है. उन्होंने कहा- “बस परफॉर्मेंस अच्छा होना चाहिए, डबिंग तो हम किसी से भी करवा सकते हैं.”
मुझे उन्होंने एक महीने का टाइम दिया था. मैं रवि किशन और मनोज तिवारी जी को ही जानती थी. फिर उन्होंने सलाह दिया कि रानी चटर्जी, रिंकू घोष और पाखी हेगड़े जी की फ़िल्में देखो. तब मैंने कई सारे लोगों की फ़िल्में देखीं फिर धीरे-धीरे कॉन्फिडेंस आया. पहले दिन जब गयी शूटिंग पर तो पहला ही सीन प्री- क्लाइमेक्स व मेरा डेढ़ पेज का डायलॉग और वो भी भोजपुरी में था. वहां अवधेश मिश्रा, संजय पांडेय, सुशिल सिंह, रिंकू घोष जैसे जमे-जमाये एक्टर्स के सामने परफॉर्म करने में बहुत ज्यादा नर्वस फील कर रही थी. फिर पता नहीं कितने रीटेक,कितने रिहर्स्ल और चार घंटे से एक ही चीज चल रही थी, खत्म ही नहीं हो रहा था. वो मेरी लाइफ का सबसे बैड एक्सपीरियंस था. फिर कैसे भी करके सीन खत्म किया और ऐसा लगा जैसे गंगा नहा लिए. पहले ही सीन के बाद मैंने डायरेक्टर साहब को बोल दिया कि मुझसे इतनी सारी भोजपुरी नहीं बोली जा रही है, मुझे प्रॉब्लम हो रही है. और गानों के परफॉर्मेंस में भी बुरा हुआ. मैं बीट नहीं समझ पा रही थी, मैं गाने नहीं समझ पा रही थी. यहाँ तक कि क्या रिएक्शन देना है, क्या करना है वो भी नहीं. उसके बाद मैंने कहा कि मुझे छोड़ दो, मैं नहीं कर सकती. उन्होंने मुझे 5 महीनों के लिए साइन किया था. कैसे वो फिल्म मैंने खत्म की मैं ही जानती हूँ. डायरेक्टर साहब ने कहा- “मैं सिखाऊंगा.” फिर धीरे-धीरे मैं सीखने लगी. वह फिल्म हिट हुई और 2013 की सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई.
शूटिंग का एक और वाक्या सुनाती हूँ. बिहार के मोतिहारी जिले में जब गाने की शूटिंग हो रही थी हजारों पब्लिक के बीच में मुझे डायरेक्टर ने माइक लेकर बोला था कि “तुम इतनी बड़ी नल्ली हो मुझे नहीं पता था. मैं तुम्हें रिप्लेस कर दूंगा. अब मैं नहीं चाहता कि तुम ये फिल्म करो.” मैंने भी गुस्से में बोला- “आप मुझे निकाल दीजिये, मुझे भी नहीं करनी है.” फिर फिल्म की प्रतिष्ठित अभिनेत्री रिंकू घोष ने डायरेक्टर को समझाया कि “राज जी, हमलोग भी जब आपके सामने परफॉर्म करते हैं तो हमे भी डर लगता है. और वो तो बच्ची है, उसे तो ज्यादा कुछ आता भी नहीं है. अगर उसके सामने आप अभी से इतने रुड हो जाओगे तो वो नर्वस हो जाएगी और कभी नहीं कर पायेगी.” उसके बाद उनका तेवर नरम हुआ और फिर वो मुझे बहुत अच्छे से समझाने लगें.
तब मैं पहली बार बिहार शूटिंग करने गयी थी. मोतिहारी के ही बस स्टॉप पर एक सीन की शूटिंग कर रहे थें. काफी भीड़ -भाड़ वाली जगह थी. एक सीन के खत्म होते ही हम जा रहे थें कि तभी पता नहीं एक बन्दे ने मेरा पूरा हाथ पकड़ लिया और छोड़ ही नहीं रहा था. इतने सरे लोग घेरकर हीरो-हीरोइन को लेकर जा रहे हैं और उसी बीच उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैंने छुड़ाने की कोशिश की तो भी वो छोड़ नहीं रहा था. उसके हाथ पर लोगों ने मारा मगर वो मेरा हाथ छोड़ने को तैयार ही नहीं था. तब मेरा हाथ भी घायल हो गया. जब एस.आर.पी.एफ वाले बुलाये गए तब मेरी जान बच पायी. ढ़ाई घंटे शूटिंग रोकनी पड़ी थी. नेक्स्ट डे जब हमलोगों की गाड़ी वहां से निकल रही थी वो सनकी बंदा बीच में खड़ा होकर बोल रहा था “देख लेंगे हम तुमको”. तो वह उसकी पहलेवाली हरकत से भी डरावना मोमेंट था, जिसे मैं आज भी याद करती हूँ तो एक पल के लिए रोंगटे खड़े हो जाते हैं.