14 नवम्बर, मेक ए न्यू लाइफ फाउंडेशन (NGO) ने पटना के फुलवारीशरीफ, करोड़ीचक, प्राथमिक विद्यालय और दानापुर स्लम के बच्चों के बीच आयोजित कराया पेंटिंग कॉम्पटीशन.
उन 40 बच्चों में से बेहतरीन चित्र बनानेवाले 3 बच्चों को इनाम के लिए चुना गया. जिनमे अंजलि क्लास 5, मालती क्लास 3 एवं आरती क्लास 1 को संस्था की सचिव तबस्सुम अली ने प्राइज के रूप में कलर और पेन्सिल बॉक्स देकर प्रोत्साहित किया. इस पेंटिंग कॉम्पटीशन में यूँ तो 3 बच्चे ही अव्वल आएं लेकिन यह ऐसी प्रतियोगिता थी जिसमे किसी को पिछड़ने का ग़म नहीं था…ना ही प्रथम आने की मारामारी…कोई अपने को हीन नहीं समझ रहा था. जहाँ ना तो वक़्त की कोई ख़ास पाबंदी थी और ना ही कोई टॉपिक का चक्कर. बस एनजीओ वाली दीदी ने बच्चों को कह रखा था कि “जिसको जो पसन्द हो वो वही बनाये”.
तबस्सुम ने बताया कि “पिछले साल चिल्ड्रेन्स डे पर हमारी संस्था ने स्लम में रहनेवाले बच्चों के बीच स्पोर्ट्स डे आयोजित किया था. लेकिन इस बार चूँकि मैं जो बाइक से इंडिया भ्रमण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गयी इस वजह से ज्यादा कुछ तो नहीं कर पायी इसलिए आज इन बच्चों के बीच पेंटिंग कॉम्पटीशन आयोजित करा दिया. फुलवारीशरीफ, करोड़ीचक प्राथमिक विद्यालय के बच्चों से मिलने के बाद हम दानापुर के लिए रवाना होंगे जहाँ हमारी संस्था के तहत 10 -15 बच्चे फ्री ट्यूशन लेते हैं. दानापुर के बच्चों को हमारी संस्था की तरफ से दिव्यांग राधा फ्री ट्यूशन दे रही हैं. वहीँ हमारी संस्था के सदस्य दिव्यांग धर्मेंद्र कुमार करोड़ीचक प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं. उन्हें जॉब की तलाश है, फ़िलहाल जबतक उनको जॉब नहीं मिल जाती हम उन्हें यहाँ के बच्चों को स्कूल के बाद 2 घंटे फ्री टूशन देने के लिए रखे हैं जिसका खर्च मेक ए न्यू लाइफ फाउंडेशन उठाता है. हमारी संस्था के एक और स्टाफ हैं दीपक जो फुलवारीशरीफ के इस प्राथमिक विद्यालय में 2 घंटे फ्री टूशन देने आते हैं क्यूंकि यहाँ ज्यादा बच्चे हैं और उन्हें एजुकेशन कि ज़रूरत है.”
वहाँ मौजूद बोलो ज़िन्दगी को यह देखकर फर्क नहीं पड़ा कि क्यों एक बच्चा तोते की चोंच रेड की जगह ब्लैक या वाइट से कलर कर रहा है…? हाँ उसे अचरज हुआ प्रतियोगिता में शामिल 40 बच्चों के बीच आपसी प्यार और सौहार्द देखकर… बोलो ज़िन्दगी को अचरज हुआ इन बच्चों को सजावटी रंगों के माध्यम से अपनी असली दुनिया में रंग भरते हुए देखकर.
केक काटे जा रहे थें, चॉकलेट और गिफ्ट बांटे जा रहे थें लेकिन मज़ाल था कोई अनुशासन तोड़ दे भला. पूर्ण सादगी से भरे ये वो मासूम चेहरे थें जिनकी मासूमियत देखकर फिर से बार-बार खुद के बचपन में लौट जाने को दिल कर रहा था. और सही मायनों में इस खुशमिजाज बचपने को जी रही थीं ‘मेक ए न्यू लाइफ फाउंडेशन’ संस्था की सचिव तबस्सुम अली, संस्था के दिव्यांग सदस्य धर्मेंद्र कुमार, दिव्यांग सदस्य राधा, वोलेंटियर दीपक, शुभी खातून, फ़ारुख मल्लिक एवं वहां मौजूद बोलो ज़िन्दगी के राकेश सिंह सोनू एवं प्रीतम कुमार.