11 मई, शनिवार की शाम ‘बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक‘ के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंहसोनू’, प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के कुर्जी मोड़, चश्मा गली सेंटर स्थित सूरज कुमार की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में रेडियो-टीवी एंकर राजेश कुमार भी शामिल हुयें. इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों सूरज कुमार की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.
फैमली परिचय- सूरज कुमार पटना जिला वुशू (मार्शलआर्ट) एसोसिएशन के जेनरल सेकेट्री और बिहार वुशू एसोसिएशन के ज्वाइंट सेकेट्री हैं जो पिछले 25 सालों से बच्चों को वुशू की ट्रेनिंग दे रहे हैं. फ़िलहाल सूरज जी का कोचिंग सेंटर एक कुर्जी मोड़ स्थित सृजन स्कूल कैम्पस में और दूसरा आशियाना मोड़ पर चलता है. सूरज जी की पत्नी का नाम किरण यादव है. यूँ तो किरण हाउसवाइफ हैं लेकिन सूरज जी को आगे बढ़ाने में उनका बहुत सपोर्ट रहा है. जब कभी ट्रूनामेंट के लिए सूरज स्टेट या इंडिया से बाहर जाते हैं तो इनके इंस्ट्च्यूट को पत्नी किरण संभालती हैं और उनकी गैरमौजूदगी में सारा मैनेजमेंट तब पत्नी ही देखती हैं. सूरज के बड़े बेटे आयुष सिंह स्कॉलर्स एबोड में क्लास 10 के स्टूडेंट हैं. तो उनकी बेटी शगुन स्कॉलर्स एबोड में 9 वीं क्लास में हैं. दोनों ही वुशू प्लेयर हैं. सूरज की माँ कांति देवी भी साथ रहती हैं. सूरज के छोटे भाई का परिवार भी साथ ही रहता है. छोटे भाई राजकुमार लैब टेक्नीशियन हैं. मोनिका देवी राजकुमार की पत्नी हैं. भाई के भी दो बच्चे हैं, आर्यन राज नर्सरी में तो आदित्य राज क्लास 3 में पढ़ता है. ये दोनों भी नन्ही उम्र में प्लेयर हैं. आर्यन ने हाल ही में वुशू के स्टेट लेवल में गोल्ड मैडल जीता है तो आदित्य राज डिस्ट्रिक्ट में गोल्ड मैडल जीत चुके हैं.
सूरज जी का वुशू की तरफ रुझान – सूरज जब बचपन में फिल्म देखते थें तो फाइट देखकर सोचते कि हमको भी इसी तरह का फाइटर बनना चाहिए. तब जहाँ कहीं भी मार्शलआर्ट देखतें तो रुककर गौर से देखने लगतें. पैरेंट्स से बोलते कि हमको भी मार्शलआर्ट्स सीखना है लेकिन अनुमति नहीं मिलती थी. फिर भी किसी तरह करके पॉकेटमनी निकालकर जाते थें और छुप छुपाकर क्लास करते थें. पहले आर.एस.एस. का पाटलिपुत्र में शाखा लगता था जहाँ मुफ्त में सिखाया जाता था. सूरज को संघ से कोई लेना देना नहीं था लेकिन मुफ्त में सीखने वो वहां जाया करते थें. शुरुआत कराटे से हुई थी और कराटे में ये नेशनल में गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. तब उतना आज की तरह ट्रूनामेंट नहीं होते थें. फिर धीरे-धीरे खेलते हुए ये कोचिंग फिल्ड में आ गएँ क्यूंकि सोचते थें कि इतनी प्रैक्टिस की है तो कुछ करना चाहिए. सबसे पहले कुर्जी पुल के पास एक प्राइवेट स्कूल में मार्शलआर्ट सिखाने का ऑफर मिला. फिर उन्होंने अपना एक सेंटर डाला उसके बाद धीरे-धीरे बहुत से बच्चे सीखने के लिए आ गएँ.
गरीब बच्चों को मुफ्त में वुशू की ट्रेनिंग – सूरज को यह आज भी याद है कि एक समय ऐसा था जब इनके पास पैसा नहीं था तो इधर-उधर कहीं फ्री में जाकर थोड़ा बहुत सीखते थें. फिर लगा कि कुछ ऐसे बच्चे हैं जिनको शौक है सीखने का जो वंचित ना रह जाएँ इसलिए उनको मुफ्त में ट्रेनिंग कराया. और वैसे अभावग्रस्त बहुत से बच्चे जो इनसे ट्रेनिंग ले चुके हैं बहुत सारा अचीवमेंट लाये हैं. पिछले साल इनके एकेडमी की वैसी दो लड़कियों अंशु कुमारी जो अभी साईं में चली गयी है और आयुषी स्तुति ने बहुत कमाल किया है. अंशु ने जहाँ नेशनल में गोल्ड,सिल्वर,ब्रॉन्ज तीन मैडल जीते हैं तो वहीँ आयुषी ने नेशनल स्कूल गेम्स में हाल ही में गोल्ड मैडल जीता है. सूरज बताते हैं कि “प्रॉब्लम ये है कि गरीब घर के बच्चों को उनके अभिभावक जल्दी इन खेलों में या बिहार से बाहर जाने नहीं देना चाहते, उन्हें लगता है कि वे घर में रहेंगे तो उनके काम-काज में हेल्प करेंगे. कई बच्चों को गाय,भैंस और बकरी पालन करना होता है तो कितनो को खेती से जुड़े काम. कितनी बच्चियां ऐसी हैं जिनकी माँ को चौका बर्तन करने जाना होता है तो वे घर में रहकर छोटे बच्चों को खिलाती हैं. ऐसी ही समस्याओं से जूझते हुए ऐसे कई बच्चे हैं जो वुशू की ट्रेनिंग लेकर राज्य और देश का नाम रौशन कर रहे हैं.”
आयुष का एचीवमेंट – सूरज के बेटे आयुष का जब स्टेट के लिए ट्रायल हो रहा था तभी लेफ्ट सोल्डर क्रैक कर गया था फिर भी वो पिछले साल दिल्ली में नेशनल खेलने के लिए गए थें. लेकिन खेल के दौरान फिर से सोल्डर में चोट आ गयी थी. उससे पहले मिक्स मार्शलआर्ट में नेशनल के लिए गोल्ड मैडल जीत चुके हैं. स्टेट लेवल पर 5-6 दफा गोल्ड और 5-6 दफा सिल्वर मैडल जीत चुके हैं. ब्रॉन्ज मैडल 4 बार जीते हैं. आयुष 5 साल की नन्ही उम्र से ही वुशू खेल रहे हैं. अभी पढ़ाई का प्रेशर ज्यादा है इसलिए वुशू की प्रैक्टिस इधर थोड़ी कम हो रही है.
शगुन का एचीवमेंट – सूरज की बेटी शगुन पिछले साल जम्मू कश्मीर में नेशनल खेल के आयी हैं. अभी नेशनल में कुछ अचीव नहीं कर पायी हैं लेकिन स्टेट लेवल में तीन बार गोल्ड मैडल जीत चुकी हैं. तीन बार सिल्वर और एक बार ब्रॉन्ज मैडल जीता है. शगुन भी स्पोर्ट्स में ही अपना करियर बनाना चाहती हैं. जब बोलो जिंदगी ने शगुन से पूछा कि “जब तुम्हारे पापा ही तुम्हारे टीचर हैं तो क्या उनसे वुशू सीखते हुए कभी डर नहीं लगा, कोई झिझक नहीं हुई…?” इसपर शगुन ने कहा- “नहीं, पापा से सीखने में मेरा कॉन्फिडेंस लेवल और बढ़ता है कि मेरे फादर हैं जो भी सिखाएंगे अच्छा ही सिखाएंगे. जहाँ तक डर की बात है तो अगर दूसरे टीचर रहते तो ये मन में चलता रहता कि ये उनसे पूछें कि नहीं पूछें, सबके सामने डाँट दिया तो बेइज्जती ना हो जाये…” शगुन जब डिस्ट्रिक्ट की तैयारी कर रही थीं तब उनका खेल के दौरान ही एक्सीडेंट हुआ था, फिर वे 2-3 महीना खेल नहीं पायी थीं. फिर ठीक होने के 12 दिन बाद शगुन ने अपना फॉर्म वापस पा लिया.
बोलो जिंदगी की फरमाइश पर सूरज के दोनों बच्चों आयुष और शगुन दोनों भाई-बहन ने घर में ही वुशू मार्शलआर्ट का ट्रायल खेलकर दिखाया जिसे देखकर सभी अचंभित रह गएँ.
सन्देश: मौके पर बतौर स्पेशल गेस्ट राजेश कुमार ने सूरज जी की फैमली से मिलकर व उनके बच्चों का खेल प्रदर्शन देखकर अपने सन्देश में कहा कि – “सूरज अपने बच्चों के साथ-साथ जितने बच्चों को ट्रेंड कर रहे हैं, और राज्य एवं राष्ट्रिय स्तर पर लेकर आ रहे हैं सच में अद्भुत है उनके द्वारा किया जा रहा यह प्रयास.
लौटते वक़्त बोलो जिंदगी के राकेश सिंह ‘सोनू’ और तब्बसुम के बीच यही सीरियस चर्चा चलने लगी कि अगर गलती से कोई चोर सूरज जी के घर में घुस गया तो क्या होगा, जहाँ लगभग आधी फैमली ही मार्शलआर्ट चैम्पियन है…..फिर एक जोरदार ठहाका गूंजा जो शायद इस सवाल का जवाब भी था.
(इस पूरे कार्यक्रम को bolozindagi.com पर भी देखा जा सकता है.)