पटना, 24 जुलाई, “औरत भी जिन्दा इंसान, नहीं वह भोग का सामान…”
“हम जुल्मी के काल बनेंगे, हम अपना खुद ढाल बनेंगे…”
“बलात्कार हम नहीं सहेंगे, अत्याचार के खिलाफ लड़ेंगे…”
“पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध लगाओ, प्रतिबंध लगाओ-प्रतिबंध लगाओ…”
“बलत्कारियों को तुरंत सजा दो, औरत को मत बदनाम करो… “
गाँधी मैदान में गाँधी मूर्ति के नीचे चारों तरफ ऐसे ही स्लोगन वाले पोस्टर-बैनर लगें थें जो सीधे-सीधे समाज को झकझोड़ रहे थें. खुले आसमान के नीचे तीखी धूप और बारिश की बूंदों की परवाह किये बिना विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की महिलाएं ‘नागरिक पहल’ के बैनर तले एकजुट होकर राज्य भर में हो रहे लगातार महिलाओं के खिलाफ हिंसा व बलात्कार के विरोध में आज सुबह 10 बजे दिन से 48 घंटे के सामूहिक उपवास पर बैठ गयीं. ‘नागरिग पहल‘ की इस मुहीम का नेतृत्व कर रही हैं समाजसेवी पद्मश्री सुधा वर्गीज़. इस उपवास-सभा में बैठीं महिलाओं को प्रशासन की तरफ से गाँधी मैदान में तम्बू या टेंट लगाने की इजाजत नहीं मिली फिर भी उमस भरी गर्मी-धूप और बारिश की परवाह किये बिना ये सभी महिलाएं आधी आबादी को न्याय दिलाने के उद्देश्य से उपवास पर बैठ गयीं. ये इस प्रदर्शन से गलत दिशा में बढ़ रहे समाज को और लापरवाही बरत रही प्रशासन को जगाना चाहती हैं. इस मुहीम में शामिल कंचन बाला, सुधा वर्गीज़, मीरा यादव, ममता आनंद, रजनी, प्रतिमा, चंद्रावती, तबस्सुम अली, मंजू डुंगडुंग, वैष्णवी ये 10 महिलाएं 48 घंटे के उपवास पर हैं. वहीँ इनमे बिंदु कुमारी और सुनीता कुमारी सिन्हा 24 घंटे के उपवास पर बैठी हैं. इनके आलावा राज्यभर से अन्य महिलाओं का भी सपोर्ट मिल रहा है. धीरे-धीरे कई महिलाएं इस मुहीम का हिस्सा बंनने स्वेच्छा से यहाँ चली आ रही हैं.
इस उपवास-सभा का नेतृत्व कर रहीं पद्मश्री सुधा वर्गीज से जब ‘बोलो जिंदगी’ ने पूछा – “महिलाओं-बच्चियों के प्रति ऐसी शर्मनाक एवं वीभत्स घटनाओं की अचानक आज बाढ़ सी क्यों आ गयी है? आपको क्या लगता है?” तो सुधा वर्गीज ने कहा- “ये घटनाएं अचानक तेजी से नहीं हो रही हैं. ये पहले से ही हो रही हैं. लेकिन तब इस कदर रिपोर्ट नहीं दर्ज होते थें. इस तरह की घटनाओं में कोई स्ट्रिक्ट पनिशमेंट नहीं है, बहुत लम्बा वक़्त कार्यवाई में लग जाता है. और कार्यवाई भी पुलिस की तरफ से बहुत लापरवाही से होती है. एक उदहारण लीजिये कि एक लड़की को 12 लड़के मिलकर निर्वस्त्र करते हैं फिर उसका वीडिओ बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर देते हैं. तब बहुत हो-हल्ला मचने के बाद पुलिस को पता चलता है. दूसरा उदाहरण देखिये- एक लड़कियों के अल्पवासगृह में 30-40 बच्चियों के साथ रेप हो जाता है. तो बताइये आपका प्रशासन, आपका विभाग क्या कर रहा था ? अगर प्रशासन द्वारा चुस्ती से काम होगा तो इस तरह की घटनाएं आगे दोहराई नहीं जाएँगी. आज तो उन सभी लड़कियों का भविष्य खराब हो गया तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा..? अगर आम महिलाएं समाज में सुरक्षित नहीं हैं तो फिर दलित महिलाओं की सुध कौन लेगा…? आज हम महिलाएं 48 घंटे के उपवास पर बैठी हैं..जरुरत पड़ी तो आगे और भी एक्शन लिए जायेंगे. लेकिन हमलोग यूँ ही आवाज उठाते जाएँ और आप सुनेंगे नहीं-समझेंगें नहीं तो समस्या तो वहीँ-की वहीँ खड़ी रह जाएगी ना. आज समाज में टेक्नोलॉजी से जो बदलाव आया है उसका असर भी पड़ रहा है. टेक्नोलॉजी से शिक्षा लेनेवालों के लिए तो वो अच्छी चीज है लेकिन जो टेक्नोलॉजी का सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए गलत इस्तेमाल करते हैं वो ना सिर्फ नवयुवकों-नवयुतियों का भविष्य खराब कर रहे हैं बल्कि पूरे समुदाय को भी बिगाड़ रहे हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि सिर्फ महिलाओं के वोट से काम नहीं चलेगा बल्कि उनके लिए ऐसा माहौल बनाइये ताकि वे अधिकार और इज्जत से जी सकें.”
वहीँ इस मुहीम में शामिल तबस्सुम अली, कंचन बाला, वैष्णवी सरीखी अनेकों महिलाओं का कहना था कि “बिहार के कई जिलों- मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, छपरा, कैमूर आदि में स्थित बालिका गृहों तथा महिला अल्पावास गृहों की बच्चियों व नाबालिग लड़कियों के साथ लगातार जो रेप की घटनाएं छप रही हैं उसका जिम्मेवार कौन है?” राज्य में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार व बलात्कार के खिलाफ गत 11 जून, 2018 को पटना के गाँधी मैदान से नागरिक पहल के बैनर तले लगभग पांच हजार महिलाओं का राजभवन मार्च निकाला गया था और महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन दिया गया था. तब महामहिम राज्यपाल को यह कहना पड़ा था कि कोई भी घटना हो तो पीड़ित महिलाएं उनको सीधा फोन करें.
इस उपवास-सभा में मौजूद महिलाओं की मुख्य मांगे हैं –
1.सरकार के संरक्षण में संचालित बालगृहों तथा महिला अल्पावास गृहों की नाबालिग लड़कियों के साथ हुए कस्टोडियल रेप के मामले की जाँच पटना हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाये.
2. जहानाबाद नगर थाना और परसा बाजार थाना के पुलिस कर्मियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाये.
3. पीड़िताओं को इंसाफ दिलाने को आगे आयीं महिला नेत्रियों पर किये झूठे मुकदमें वापस लो.
4. अलग से महिला न्यायालय गठित कर अपराधियों के खिलाफ त्वरित करवाई सुनिश्चित करो.
5. महिलाओं से सम्बंधित सभी कांडों में जाँच हेतु महिला आई.ओ. नियुक्त किया जाये.
मौके पर मौजूद उपवास पर बैठीं महिलाओं ने लगभग एक सुर में यही कहा कि “बढ़ रही बलात्कार की घटनाओं और पुलिस प्रशासन के ढ़ीले रवैये के चलते आज हम सभी बिहार के नागरिक शर्मसार हैं. इसलिए हम उपवास के माध्यम से आमलोगों से अपील करते हैं कि वे महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा को रोकने हेतु गोलबंद हों और उपवास स्थल, गाँधी मूर्ति, गाँधी मैदान आकर अपनी एकजुटता प्रकट करें.”