भोजपुरी सिनेमा के सुनहले दिनों की याद दिलाती फिल्म ‘आपन कहाये वाला के बा’

भोजपुरी सिनेमा के सुनहले दिनों की याद दिलाती फिल्म ‘आपन कहाये वाला के बा’

अक्सर भोजपुरी फिल्मों को देखते हुए लोग डरे हुए होते हैं कि पता नहीं कब कौन सा दृश्य आ जाय, जो असहज कर दे लेकिन ‘आपन कहाये वाला के बा’ एक ऐसी फिल्म है जो फ़िल्मांकन, कहानी, गीत-संगीत, अभिनय व निर्देशन हर स्तर पर न सिर्फ आपको बाँधकर रखती है बल्कि भोजपुरी इलाके की एक सच्ची और सकारात्मक तस्वीर पेश करती है. इस फ़िल्म को देखकर आप भोजपुरी फिल्मों पर नाज़ कर सकते हैं. यह फ़िल्म भोजपुरी फिल्मों पर लगे कलंक को धोती है, भोजपुरी फिल्मों की स्थापित अवधारणा को चुनौती देती है. फ़िल्म को देखते हुए दर्शक अपने भीतर झाँकते हैं. टूटते-बिखरते परिवार को जोड़ने वाली फिल्म है.

निर्देशक रजनीश मिश्रा ने कमाल की फ़िल्म बनाई है. गीतकार मनोज भावुक ने कमाल के गीत लिखे हैं.

अवधेश मिश्रा, अंजना सिंह, देव सिंह, माया यादव, प्रीति मौर्या ने कमाल का अभिनय किया है. कसी हुई कहानी व संवाद हैं. फ़िल्म कई बार हँसाती और कई बार रुलाती है. – ”हम गहना पहिन के का करब जब जेठ जी के पगड़ी उतर जाई ” जैसे हृदयस्पर्शी संवाद नज़ीर हुसैन के फिल्मों की याद दिलाते हैं. बहन के किरदार में नवोदित अभिनेत्री संयुक्ता राय अच्छी लगती हैं. अन्य किरदारों में रिंकू भारती, राघव पाण्डेय, अमरीश सिंह, राम सूजन सिंह आदि ने भी न्याय किया है. फ़िल्म के निर्माता रजनीश मिश्रा विनय सिंह हैं.

                          Manoj Bhawuk

गीत-संगीत इस फ़िल्म की जान है. सभी गीत मनोज भावुक ने लिखे हैं. प्रियंका सिंह की खनकदार आवाज़ में ” भउजी जब खिसियाली बड़ी काड़ा लागेली / बाकिर हँस के छोहाली त छोहाड़ा लागेली ” मधुर और असरदार है.

”धान कुटाये लागल, हरदी कुंचाये लागल / लगनौती बबुनी के मन कसमसाये लागल ” बहुत ही कर्णप्रिय व सुंदर गीत है और उम्मीद है कि पूर्वांचल की शादियों में खूब गाया जाएगा.

टाइटल सांग ” आपन कहाये वाला के बा ” रोंगटे खड़े कर देता है, सिहरन पैदा करता है –

भाई के दुखवा में भाई सटे ना
खुनवो के रिश्ता में नेहिया टिके ना
अइसन में साथ निभावे वाला के बा ?
छाती से अपना लगावे वाला के बा
आपन कहाये वाला के बा ?
उजड़ता खोंतवा बचावे वाला के बा
घउआ प मरहम लगावे वाला के बा
आपन कहाये वाला के बा ?

रूला देता है यह गीत, रिश्तों में दरार पैदा करने वालों को अपराधबोध से भर देता है. प्राण तत्व है यह गीत इस फ़िल्म का.गीतकार मनोज

भावुक और संगीतकार रजनीश मिश्रा की जोड़ी ने भोजपुरी सिनेमा के सुनहले दौर की याद दिला दी है. मनोज भावुक शैलेन्द्र, मजरुह और अंजान के समय के भोजपुरी गीतों की याद दिलाते हैं. मनोज भावुक और रजनीश मिश्रा को इस दौर की शानदार फ़िल्म के लिए हमेशा याद किया जाएगा.

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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