बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : शायरा ज़ीनत शेख़ की फैमली, फुलवारीशरीफ़, पटना

बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक : शायरा ज़ीनत शेख़ की फैमली, फुलवारीशरीफ़, पटना

 

स्पेशल गेस्ट समीर परिमल जी के साथ बोलो ज़िन्दगी की टीम ज़ीनत शेख़ के घर पर

1 दिसंबर, रविवार की शाम ‘बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक’ के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह ‘सोनू’, प्रीतम कुमार एवं तबस्सुम अली) पहुंची पटना के फुलवारीशरीफ़ इलाके में शायरा ज़ीनत शेख़ जी के घर. फैमली ऑफ़ द वीक में हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में जीएसटी असिस्टेंट कमिश्नर एवं शायर समीर परिमल भी शामिल हुयें. इस कार्यक्रम को सपोर्ट किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों ज़ीनत जी की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.

 

 

 

फैमली परिचय- जीनत शेख़ शायरा, कवियत्री, फेसबुक आरजे हैं. मायका गिरिडीह, झाड़खंड में है. इनके पिताजी अब्दुल ज़लील मिर्ज़ा सीनियर एडवोकेट हैं. माँ नसीमा मिर्ज़ा गवर्नमेंट स्कूल में प्रिंसिपल रह चुकी हैं. ये एक भाई एक बहन हैं. भाई मिर्ज़ा ज़फर कोलकाता में आईबीएम कम्पनी में सॉफ्टेयर इंजीनियर हैं. ज़ीनत जी का ससुराल रोहतास जिले के विक्रमगंज में है. ससुर शेख़ मोबिन अहमद आर्मी में थें. सास समीमआरा हाउसवाइफ थीं. ज़ीनत जी के हसबैंड साबिर शेख़ पुलिस ऑफिसर हैं. उन्हें पुराने गीत गाने का शौक है. तीन बच्चे हैं. बड़ी बेटी सोबिया फातिमा एनएमसीएच पटना में एमबीबीएस सेकेण्ड ईयर की स्टूडेंट है. छोटी बेटी सानिया फातिमा डीएबी बीएसईबी में 12 वीं क्लास में है. बेटा अयान शेख़ रेडियंट इंटरनेशनल में 8 वीं क्लास में है.

शेरो -शायरी की शुरुआत कैसे हुई ? – ज़ीनत जी को बचपन से ही साइंस की जगह आर्ट्स में रूचि थी. खासकर साहित्य से बहुत लगाव था. तब स्कूल में उर्दू सब्जेक्ट नहीं था इसलिए घर में ही उर्दू ट्यूशन शुरू हो गया. हिंदी-उर्दू की बहुत सारी मैगजीन्स घर में आती थी और बचपन से ही पढ़ने का शौक लग गया. धीरे-धीरे इनका इंट्रेस्ट लिखने-पढ़ने में बहुत बढ़ता चला गया. शुरू में 2 लाइन की शायरी लिखा करती थीं. स्कूल की मैगजीन्स के साथ-साथ राष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी रचनाएँ छपने लगीं. गिरिडीह के वीमेंस कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया उसके बाद शादी हो गयी. शादी बाद जब बच्चे हुए तो जिम्मेदारियों की वजह से लेखन का सिलसिला बंद हो गया. बच्चे जब बड़े व समझदार हुए, उनका वक़्त स्कूल में गुजरने लगा तो ज़ीनत जी ने फिरसे लिखना शुरू किया. एक दफा चार लाइनें इनकी बड़ी बेटी ने सुना तो कहा – मम्मी मोबाइल में एक ऐप है योरकुट ऐप तो आप क्यों नहीं उसमे लिखती हैं. बेटी ने योरकुट पर इनका एकाउंट बना दिया और उसपर ज़ीनत जी ने रोज लिखना शुरू कर दिया. उसपर बहुत सारे फॉलोवर्स हो गएँ. बहुत से लोग जानने लगें.

    शायरा ज़ीनत शेख़ जी की फैमिली

एचीवमेंट – जब योरकुट वालों ने पहला ओपेन माइक पटना में किया तो ज़ीनत जी को भी इन्वाइट किया. वहां पर उन्होंने एक कविता नारी पर सुनाई और सभी को बहुत पसंद आयी. फिर जब दूसरी बार ये आयोजन हुआ तो फिर मौका मिला. उसके बाद पेन ऑफ़ पटना के कार्यक्रम के कई एपिसोड इन्होने होस्ट किया. फिर इन्होने फेसबुक पर एमफोबिक पेज बनाया और उसपर ज़ीनत शेख़ के नाम से अपना प्रोग्राम शुरू किया. तो इसतरह से ये इण्डिया की पहली फेसबुक आरजे बन गयीं. उसके बाद विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं के साथ रेडियो -दूरदर्शन के प्रोग्राम के लिए निमंत्रण आने लगें. पहले शायरी ज्यादातर प्रेम के विषय पर लिखती थीं लेकिन अब ये चाहती हैं कि हर टॉपिक पर लिखें और खासकर समाज में बढ़ रही नफरतों के मौहौल में अपनी रफचनाओं के माध्यम से प्रेम का सन्देश देना चाहती हैं. अबतक 25 -30 मुशायरा-कवि सम्मेलनों में हिस्सा ले चुकी हूँ. पीएजीएसी फाउंडेशन ने जब पटना की 10 सशक्त माँओं को सम्मान के लिए चुना तो उनमे से एक नाम ज़ीनत का भी था. हाल ही में काव्य योद्धा कार्यक्रम में प्रसिद्ध साहित्यकार भगवती प्रसाद दिवेदी जी के साथ जज की भूमिका के लिए भी इन्हे चुना गया. इसी साल पटना एम्स में पोयट्री कम्पटीशन हुआ था मेडिकल स्टूडेंट्स का तो उसमे भी इन्हें दो डॉक्टर्स के साथ बतौर निर्णायक जज सेलेक्ट किया गया था. अख़बारों में आज भी रचनाएँ छपती रहती हैं. समय-समय पर आकाशवाणी-दूरदर्शन के कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेती हैं.

फैमली मेंबर्स का टैलेंट – सोबिया फातिमा- पढ़ाई में तो अव्वल हैं ही उसके साथ-साथ सिंगिंग, डांसिंग, राइटिंग, पेंटिंग, कुकिंग, एम्ब्रायडरी का भी शौक रखती हैं. पटना एम्स में हुए फेस्ट में सारे मेडिकल स्टूडेंट्स के बीच हुए डिबेट में फर्स्ट आयी थीं. अपने स्कूल में बेस्ट ऑलराउंडर स्टूडेंट की ट्रॉफी मिली थी. दो साल लगातार स्कूल की हेड गर्ल भी बनाया गया.
सानिया फातिमा- लेखन एवं अभिनय के अलावा वो अच्छी स्पोर्ट्स गर्ल भी हैं. हमेशा स्कूल में रनिंग में फर्स्ट आती रही हैं.
अयान शेख़ – स्कूल के बेस्ट ओरेटर की ट्रॉफी जीत चुके हैं. स्कूल में हुए डिबेट कम्पटीशन में हमेशा फर्स्ट आते हैं. गाते भी अच्छा हैं. एसकेमेमोरियल में हुए कई कार्यक्रमों में सिंगिंग की है और सम्मानित भी हुए हैं.

फिर बोलो ज़िन्दगी टीम की मौजूदगी में इस फैमली ने अपना फैमिली पैक प्रेजेंटेशन दिया. जहाँ ज़ीनत शेख़ जी ने दो उम्दा गज़लें सुनायीं, उनके हसबैंड शेख़ साबिर जी ने अपनी दिलकश आवाज में दो सदाबहार गीत सुनाएँ. वहीँ इनके बेटे अयान ने कैलाश खेर का एक सूफी गीत सुनाया. बड़ी बेटी सोबिया फातिमा ने अपनी एक कविता एवं एक फ़िल्मी गीत सुनाया. और छोटी बेटी सानिया फातिमा ने एक शार्ट कॉमेडी एक्ट दिखाकर सभी को खूब हंसाया.

स्पेशल गेस्ट की टिप्पणी – इस कार्यक्रम में बतौर स्पेशल गेस्ट के रूप में उपस्थित शायर समीर परिमल जी ने अपनी टिप्पणी में जीनत शेख़ और उनके फैमिली मेंबर्स के टैलेंट की खूब सराहना की और कहा कि हम तो सभी का हुनर देख दंग रह गएँ. फिर आखिर में मजाकिया लहजे में ज़ीनत शेख़ के कुकिंग टैलेंट की तरफ इशारा करते हुए कहा कि – “यहाँ हर कला का डेमो दिखाया जा रहा है जिसके आधार पर हम अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं. लेकिन ज़ीनत जी जो इतना अच्छा खाना बनाती हैं अगर वो बनाकर खिलाएं तब तो हम कुछ खाने पर टिप्पणी करें.” फिर एक जोर के ठहाके के साथ यही आम राय बनी कि किसी और दिन ज़ीनत जी के यहाँ फिरसे तशरीफ़ लाते हैं और उनके हाथों के बने लज़ीज व्यंजन चखते हैं.

 

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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