लड़केवाले उसकी खूबसूरती पर फ़िदा थे. कम में ही मामला निपट गया था. “मेरे होनेवाले जीजा को ज़रा एक नज़र तुम भी देख लो “, भाई ने बहन से कहा. ” जब सभी को पसंद हैं तो मुझे क्या देखना…, तुम्हारी क्या राय है.” बहन सकुचाते हुए बोली. “क्या बताऊँ दीदी लड़का नहीं हीरा है हीरा. अपना घर है, नामी कम्पनी का मैनेजर है और उससे भी बढ़कर वह अपने माँ बाप का इकलौता है. वैसे तो सभी को पसंद है पर एक नज़र तुम भी देख लो.” यह कहते हुए भाई ने तस्वीर आगे बढ़ाई. बहन को झटका सा लगा, चेहरा मायूस हो गया. भाई प्रसन्न था पर बहन की आँखों से आंसू छलक आये क्यूंकि लड़का अधेड़ उम्र का था.
बोझ (लेखक : राकेश सिंह ‘सोनू’)
लघु कथा