उधर उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था. एक कुटिल मुस्कान के साथ वो मन ही मन बड़बड़ाया कि अब पता चलेगा मुझे रिजेक्ट करने का नतीजा. अगले सप्ताह बाजार में प्रीति ने उसे देखा, वह अपने पिता के संग था. प्रीति को करीब आते देख वह घबरा उठा. “हाय विक्की ! कल शाम को पार्क में मिलना”. प्रीति के इतना कहते ही बाप ने बेटे की तरफ गुस्से से देखा और इधर प्रीति मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गयी.
बदला (लेखक : राकेश सिंह ‘सोनू’)
लघु कथा
“हैलो, प्रीति है..?”
“कौन……कौन है ?”
” मैं उसका बॉयफ्रेंड “
“क्या काम है?”
“कुछ खास नहीं अंकल, बस प्रीति डार्लिंग से कुछ बातें करनी हैं”
“हरामजादे….” और गुस्से में उन्होंने कॉल काट दिया.