यह उसका तीसरा बॉयफ्रेंड था. पहनावे व हावभाव से वह भांप गई कि मुर्गा पैसेवाला है. जब लड़के ने बताया कि वह किराये के मकान में रहता है, तो उसे हैरत ना हुई. मगर इसके बाद जब उसने यह बताया कि उसके पिता एक साधारण क्लर्क हैं, तो उसे हिचकिचाहट महसूस हुई. वह कुछ और पूछ पाती कि लड़के ने कहा – “आज आइसक्रीम खाने का दिल कर रहा है, मगर पास में पैसे कम हैं.” वह इशारा समझ गयी, उसे झटका सा लगा.
“सॉरी, फिर किसी दिन, मुझे देर हो रही है.” इतना कहकर वह रिक्शे पर बैठ गई.
फ्रेंडशिप (लेखक: राकेश सिंह ‘सोनू’)
लघु कथा