25 मई, शनिवार को ‘बोलो ज़िन्दगी फैमली ऑफ़ द वीक’ के तहत बोलो ज़िन्दगी की टीम (राकेश सिंह ‘सोनू’, प्रीतम कुमार व तबस्सुम अली) पहुंची पटना के बुद्धा कॉलोनी में आकाशवाणी- दूरदर्शन की अनाउंसर-एंकर निभा श्रीवास्तव की फैमली के घर. जहाँ हमारे स्पेशल गेस्ट के रूप में अमेरिका से आयीं एनआरआई संध्या सिंह जो अभी हाल ही में बोलो ज़िन्दगी की यूएस में ब्रांड एम्बेसडर बनी हैं शामिल हुईं.
इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर्ड किया है बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने जिसकी तरफ से हमारे स्पेशल गेस्ट के हाथों निभा श्रीवास्तव की फैमली को एक आकर्षक गिफ्ट भेंट किया गया.
फैमली परिचय– निभा श्रीवास्तव आकशवाणी पटना में अनाउंसर और पटना दूरदर्शन के कृषिदर्शन प्रोग्राम की एंकर हैं. पति कृष्ण भूषण श्रीवास्तव आरा से बिलॉन्ग करते हैं जो एसबीआई के रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं. निभा जी की दो बेटियां और एक बेटा है. बड़ी बेटी मेधा भूषण ने पटना वीमेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद अभी हाल ही में 185 रैंकिंग के साथ यूपीएससी कंपीट किया है . छोटी बेटी सुदिति भूषण कॉलेज की पढाई पूरी कर सिविल सर्विसेज की तैयारी में लगी हैं. बेटे सत्यम भूषण श्रीवास्तव डीएवी बीएसईबी में 12 वीं के स्टूडेंट हैं जो मोटिवेशनल कवितायेँ भी लिखते हैं.
मेधा भूषण से बोलो जिंदगी की विशेष बातचीत –
सवाल- यूपीएससी की परीक्षा में आप 5 वीं बार में सफल हुईं तो इसकी तैयारी आपने कैसे की ?
जवाब- मैंने इसकी तैयारी कॉलेज के फर्स्ट ईयर से ही शुरू कर दी थी. मेरा हिस्ट्री ऑप्शनल था यूपीएससी में और मैंने हिस्ट्री से ऑनर्स किया हुआ है तो मैंने हिस्ट्री और अदर सब्जेक्ट्स के नोट्स वैगरह ग्रेजुएशन में प्रिपेयर करके रखे थें. उसके बाद मैंने कॉलेज से ही न्यूज पेपर्स पढ़ना शुरू कर दिया था. उसके बाद मैं दिल्ली गयी तैयारी के लिए, मैंने कोचिंग भी किया फिर वहां पर मुझे अच्छा गाइडलाइंस मिला और बहुत अच्छा फ्रेंड सर्किल बना जिससे मुझे बहुत सीखने को मिला.
सवाल- आप जैसा कि 5 वीं बार के प्रयास में सफल हुईं तो इस बीच हताश होकर कभी ऐसा महसूस हुआ कि सब छोड़छाड़ दें, कोई और क्षेत्र चुनें ?
जवाब – जी, ऐसा मुझे दो बार लगा. थर्ड अटेम्प्ट में जब मेरा इंटरव्यू में नहीं हुआ तब बहुत दुःख हुआ था. मैं डिप्रेशन में भी चली गयी थी. लेकिन फिर मैंने चौथी बार एक्जाम दिया जो कि तीसरे अटेम्प्ट के 17-18 दिन बाद ही था. तो उस मनस्थिति में मैंने चौथी बार प्रयास किया लेकिन जब वो भी क्लियर नहीं हुआ तो मुझे एक झटका सा लगा. एक महीने में दो फेलियर झेलते हुए उस दुःख की घड़ी के कुछ दिन बाद फिर से मैंने यूपीएससी की कमान उठाई और फाइनली 5 वें प्रयास में मुझे सफलता मिली.
सवाल- आपने बताया कि आप डिप्रेशन में भी चली गयी थीं, तो फिर उससे बाहर निकलते हुए आप कैसे मोटिवेट हुई..?
जवाब – इस दौरान जब मैं डाउन होती थी तो मेरे घरवाले ही मुझे यह कहकर मोटिवेट करते रहें कि नहीं, हो जायेगा, हो जायेगा… और किसी को आपपर जब विश्वास हो तो रास्ता थोड़ा आसान हो जाता है. मेरा छोटा भाई सत्यम जिसे कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है वे मुझे चिट्ठियां लिखता था. उसमे अपनी कविताओं के माध्यम से मुझे मोटिवेट करता रहता था. उससे तब मेरी ज्यादा बात नहीं हो पाती थी लेकिन फिर ईमेल और व्हाट्सएप मैसेज के जरिये हम-दोनों जुड़े रहते थें और वो हर समय मुझे मोटिवेट किया करता था.
सवाल – अगर आप आईपीएस सर्विस में आती हैं तो आप क्या बड़ा सुधार करना चाहेंगी..?
जवाब – अगर मैं आईपीएस बन गयी तो मैं सबसे ज्यादा काम वीमेंस सेक्युरिटी के लिए ही करुँगी क्यूंकि एक महिला होने के नाते मुझे पता है कि महिलाओं को आये दिन कितना प्रॉब्लम फेस करना पड़ता है. पब्लिक प्लेसेस में घर से निकलने से पहले भी दो बार उन्हें सोचना पड़ता है. देर रात को नहीं निकल सकतीं. तो इन चीजों पर काम करना चाहूंगी कि अगर कोई लड़की अपना ड्रीम्स पूरा करने के लिए घर से बाहर जा रही है तो उसे कम-से-कम सिक्युरिटी का टेंशन न लेना पड़े और वह आराम से अपना काम कर सके.
इसी दरम्यान बोलो जिंदगी टीम के कहने पर सत्यम भूषण श्रीवास्तव ने मौके पर अपनी दो बहुत ही उम्दा मोटिवेशनल कवितायेँ सुनायीं.
सन्देश: मौके पर बतौर स्पेशल गेस्ट एनआरआई संध्या सिंह ने निभा श्रीवास्तव जी की फैमली से मिलकर व खासकर मेधा भूषण की मेधा को देखकर अपने सन्देश में कहा कि – “एक बिहारी होने के नाते मैं बहुत प्राउड फील कर रही हूँ कि बिहार की लड़कियां इतना आगे जा रही हैं. और मैं बाकि लड़कियों से भी यही कहना चाहूंगी कि कभी हिम्मत ना हारें. जिस तरह मेधा 4 दफे असफल होने के बावजूद भी डटी रहीं और 5 वीं बार इसने यूपीएससी निकाल लिया. साथ-ही-साथ मेधा के पैरेंट्स को मैं बहुत बधाई देना चाहूंगी कि ये अपनी बेटियों को इतना आगे बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, उन्हें बेटों की तरह ही महत्व दे रहे हैं. इसी का नतीजा है कि आज बिहार में भी लड़कियां लड़कों से हरेक क्षेत्र में कंधे-से-कन्धा मिलकर आगे बढ़ रही हैं, जो कि हमारे बिहारी समाज के लिए बहुत ही फख्र की बात है.”