मेरी पहली फिल्म ‘धूप‘ की शूटिंग 2003 में हुई थी. डायरेक्टर थें अश्वनी चौधरी. कारगिर वार में गवर्नमेंट ने जो एनाउंस किया था कि जो-जो लोग शहीद हुए हैं उनके परिवार को पेट्रोलपंप दिया जायेगा. एक बाप जिसका बेटा मर गया था और गवर्नमेंट की पॉलिसी के अनुसार पेट्रोलपंप बनाने के लिए उसको कितनी जगह सरकारी मुलाजिम रिश्वत देने के लिए तबाह करते हैं. एक सैनिक की मौत हुई देश के लिए और देश के लोग ही उसके साथ ऐसा करते हैं. उसी पर बेस्ड थी फिल्म जिसमे ओमपुरी, रेवती और गुल पनाग जैसे दिग्गज कलाकार अभिनय कर रहे थें. फिल्म में मेरा छोटा-सा किरदार था, एक सैनिक की विधवा पत्नी को हम लेकर आते हैं पेट्रोलपंप के इनोग्रेशन के लिए. और यह दृश्य था फिल्म खत्म होने के 3-4 सीन पहले.
इस फिल्म के डायरेक्टर को हम पहले से जानते थें…दोनों दिल्ली थियेटर से हैं तो हमारी उनसे पहली मुलाकात वहीँ हुई थी. एक अच्छे कलाकार होने के नाते हमें भी लिया गया था. उसके पहले हमने कई सीरियल किये थें. ‘धूप’ में मेरी शूटिंग थी तीन दिन की और उस शूटिंग की बढ़िया बात ये रही कि वहाँ टोटल पेमेंट कैश में मिला था और हम अगले दिन फ्लाइट पकड़कर अपने घर पटना चले आये थें. उस दिन घर में गृहप्रवेश था. पहली बार ज़िन्दगी में फ्लाइट पर चढ़े थें और वो भी खुद की कमाई से. पहली फिल्म की शूटिंग के लिए सेट पर थोड़ा नर्वस था और क्रिएटिविटी में आदमी नर्वस मरते दम तक रहेगा क्यूंकि हर दिन नया होता है, नयी चीज अनुभव में आती है.
लेकिन चूँकि ‘धूप’ एक छोटे बजट की फिल्म थी और मेरा रोल भी बहुत छोटा-सा था इसलिए मैं यहाँ जिक्र करना चाहूंगा पहली हिट फिल्म की जिसमे पहली बार लीड रोल मिला था. बॉक्सिंग चैम्पियन मैरीकॉम की रियल कहानी पर बेस्ड फिल्म थी ‘मैरीकॉम’ जिसमे मैं अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के अगेंस्ट शर्मा जी के निगेटिव कैरेक्टर में था. शर्मा जी बॉक्सिंग सलेक्शन कमिटी में गवर्नमेंट ऑफिसर थें जो मैरीकॉम बनी प्रियंका चोपड़ा को बहुत परेशान करते हैं. दो महीने से ऑडिशन चल रहा था और मेरे किरदार के लिए पहले कई एक्टर ऑडिशन दे चुके थें. जब मुझे बुलाया गया तो मैंने भी ऑडिशन दिया और ये कॉन्फिडेंस था या हमको लग गया था तभी हमने ऑडिशन खत्म होते ही दोस्तों से बोला था कि यह फिल्म मैं कर रहा हूँ. 10-15 दिन बाद उधर से फोन आया कि आप ये फिल्म कर रहे हैं. फिल्म की शूटिंग का मेरा पहला सेट था मुंबई के मीरारोड में. जो सबसे महत्वपूर्ण बढ़िया सीन निकलकर आया था कि जहाँ प्रियंका जी मुझसे मिलने के लिए वेट कर रही हैं, उसी सीन की पहली शूटिंग वहाँ हुई.
‘मैरीकॉम’ फिल्म में चैलेन्ज था कि आप एक बहुत बड़ी सुपरस्टार के साथ काम कर रहे हैं. आप अच्छा कर पाएंगे कि नहीं कर पाएंगे. ऊपर से संजय लीला भंसाली प्रोडक्शन जैसे बहुत बड़े प्रोडक्शन की ये फिल्म थी. वो सीन तो शाम में ही पैकअप हो गया. फिर अगले सीन की शूटिंग बॉक्सिंग रिंग में हुई, उसके बाद क्लाइमेक्स सीन था. एक टोटल ही प्रोफेशनल मौहाल था…प्रियंका जी इतनी बड़ी कलाकार हैं फिर भी हम सभी की वो काफी इज़्ज़त कर रही थीं. मैंने शूटिंग में देखा और महसूस किया कि वो कितनी हार्ड वर्कर हैं. मेरी लिए ख़ुशी की बात ये रही कि मेरे शर्मा जी के कैरेक्टर को दर्शकों ने खूब हाथों-हाथ लिया और फिल्म हिट होते ही बॉलीवुड में मेरी भी एक पहचान बन गयी. ‘मैरीकॉम’ की सफलता की वजह से ही मुझे प्रकाश झा की ‘जय गंगाजल’ में एक बार फिर प्रियंका के अपोजिट लीड रोल निभाने का मौका मिला. फिर तो ‘राजा नटवरलाल’, ‘मुक्केबाज’ जैसी कई फिल्में मुझे मिलती चली गयीं.