पटना, 20 अक्टूबर, “आज के बच्चों में ही नहीं, युवा वर्गों में भी संस्कार और पुस्तकों के अध्ययन के प्रति सचेत करने की आवश्यकता है. इस परिसर में, अभावग्रस्त बच्चों और युवाओं के अतिरिक्त, ढेर सारे सामाजिक लोगों को लाभ तो मिलेगा ही, साहित्यिक आयोजन के द्वारा साहित्यिक रूझान भी पैदा होगा.” अतिथियों ने “संस्कारशील पुस्तकालय” की प्रशंसा करते हुए यह उद्गार प्रकट किए. अवसर था पुरानी जक्कनपुर स्थित “संस्कारशील पुस्तकालय” का उद्घाटन समारोह का जहाँ समाजसेवी श्री गुड्डू बाबा, हिंदी लघुकथा के पितामह कहे जाने वाले सतीश राज पुष्करणा जी, शिक्षाविद् श्रीमती ममता मेहरोत्रा जी, कवि भगवती प्र. द्विवेदी जी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई. निशुल्क “संस्कारशील पुस्तकालय” के रूप में नेक शुरुआत की है नेक्स्ट जेन के सी.ई.ओ. श्री संजीव कुमार जी औऱ डायरेक्टर आफ स्वाट कामर्स, पियुष राज जी ने जिसमें बच्चों के लिए शिक्षा औऱ साहित्य से सम्बंधित सभी तरह की पुस्तकों का एक अच्छा खासा संग्रह है और बच्चे बिना किसी शुल्क, बिना किसी समाजिक भेदभाव के यहाँ अपने पारिवारिक शोर सराबे से निश्चिंत घंटों पढ सकते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं.
मौके पर संस्था द्वारा बहुत से गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को आगत अतिथियों एवं साहित्यकारों के हाथों, कॉपी, कलम, पेंसिल, किताब और स्कूल बैग उपहार के रूप में प्रदान किया गया. पटना के एक व्यापारी रोशन धनेरिया जी ने कई स्कूल बैग और कॉपी, कलम, रबड़, इन बच्चों को मुहैया कराया जो बेहद अभाव में पलते हैं और जिन्हें पढ़ाई में बहुत दिक्कत होती है.
इनके साथ-साथ बी फार नेशन ट्रस्ट के सचिव श्री रोहित कुमार सिंह , समाज सेवक गुरमीत सिंह, विवेक विश्वास, शायर समीर परिमल, आकाशवाणी के पूर्व सहायक निदेशक डॉ. किशोर सिन्हा, आरजे श्वेता सुरभि, बोलो ज़िन्दगी के संस्थापक राकेश सिंह ‘सोनू’, रिपोर्टर प्रीतम कुमार, यूथ फॉर स्वराज के कन्हैया जी, आकांक्षा चित्रांस, अमृता सिंह, सी.के. मिश्रा एवं अन्य गणमान्य लोगों ने उपस्थित होकर इस कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा की.
संजीव जी ने बोलो ज़िन्दगी को बताया कि – “निश्चित तौर पर यह पुस्तकालय आने वाले दिनों में ज्ञान, शिक्षा, साहित्य, समाज, संस्कार और व्यक्तित्व निर्माण के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा.”
सांस्कृतिक कार्यक्रम के शुरुआत होते ही कवि सिद्धेश्वर जी ने काव्य-सत्र का संचालन किया और एंकर की भूमिका में रहे कवि रंजन जी. दो दर्जन से अधिक नए-पुराने कवियों ने कवि सम्मेलन सत्र में अपनी सशक्त प्रस्तुति दी. इस सत्र में, सुप्रसिद्ध कवि कथाकार भगवती प्रसाद द्विवेदी जी ने अध्यक्षता की.
काव्य पाठ के दौरान ही संजय कुमार संज और सुनील कुमार ने संयुक्त रूप से कहा कि – “आज के समय में जब दुनिया पूरी तरह डिजिटल हो चली है पुस्तकालय के माध्यम से नई पीढ़ी में संस्कार डालने की पहल निश्चित रूप से सराहनीय व प्रशंसनीय है. पुस्तकालय के संस्थापक श्री संजीव कुमार की इस सोच और पहल को सैल्यूट करता हूँ.”
कवि गोष्ठी का आरंभ हुआ युवा कवि सुनील कुमार की कविता से. उन्होंने पटना के हाल के दिनों का जलजमाव और उस दौरान फेल हो चुके सिस्टम के खिलाफ लिखी गई कविता का पाठ किया. उसकी प्रस्तुति को दर्शक श्रोताओं की तालियों के गड़गड़ाहट से स्वागत किया –” प्राकृतिक प्रकोप नहीं है /ना कोई ये अद्भुत घटना /अपनी ही नाली में डूबा /देखो देखो देखो पटना !”
डॉ. सुधा सिंहा की कविता थी-“जहां तुम पहुंचे हो छलांग लगा के /मैं भी तो पहुंची, मगर धीरे – धीरे-धीरे.”
गीतकार विजय प्रकाश ने भी प्राकृतिक आपदा से जुड़े गीतों का पाठ किया. डॉ मीना कुमारी परिहार ने अपने नए अंदाज में गजल प्रस्तुत किया – “गजल प्यार की गुनगुनाने लगी हूं /हवा तुमको छुकर गाने लगी है. “
युवा कवि संजय कुमार संज ने पुस्तकालय के उद्धेश्य को रेखांकित करते हुए कविता सुनाई –
“पढ़ोगे आप पढ़ेंगे हम पुस्तकालय में /बढ़ेंगे हम, पढेंगे हम, इस पुस्तकालय में.” वरिष्ठ गीतकार मधुरेश नारायण ने कहा – “चाँदनी रात का चाँद मदहोश कर रहा है। /पूरी धरा को अपने आग़ोश में ले रहा है.
युवा शायर नसीम अख्तर की गजल भी खूब पसंद की गई- “सब कैद हो चुके हैं, अपने ही दायरे में /कौन आता है नसीम तुम बुलाकर देखो ! /लगती है आग कैसे? /किस तरह घर जला है /अपने मकां पर यारों बिजली गिराकर देखो. “
चर्चित शायर घनश्याम की गजल सुनकर भी लोग वाह- वाह कहने पर मजबूर हो गए – “भूत भय-भीरुता के भगा दीजिए /सुप्त निर्भीकता को जगा दीजिए
/आंसुओं में न डूबे कहीं ज़िन्दग़ी/ आंख में लाल सूरज उगा दीजिए ! “
नवोदित कवि सम्राट समीर की कविता को भी लोगों ने खूब पसंद किया – “मौसम का हमदम /बारिश झमा-झम/लंबा सा सुर है /गजब का सुरूर है !
वहीँ कवि सिद्धेश्वर की कविता थी, संस्कारशाला से जुडे़ सभी समाज सेवीयों के लिए – “छलांग अगर लगा दिया तो /सागर के उफानों से न डर /जीत जाओ या हार जाओ बाजी /तू न यूं घबड़ा कर मर ! /कांटें भी बन जाते हैं फूल /देखकर पथिक का हौंसला! /मंजिल अगर पाना है तो /दुनिया की तू परवाह न कर !!”
इन नए – पुराने कवियों की सारगर्भित कविताओं के अतिरिक्त, जिन युवा कवियों की कविताएँ अधिक प्रभावित करती रही, उनमें प्रमुख हैं – प्रणव पराग /कुमारी स्मृति /इन्दु उपाध्याय /शिवम/ अवधेश जायसवाल /बजीर आदि.
कवि गोष्ठी के बाद ‘बी फार नेशन ट्रस्ट’ के बच्चों ने अवेयर करने के लिए बेहतरीन नाटक प्ले किया जिसका आधार संस्कारशाला सह पुस्तकालय था. जिसमे यह दिखाया गया कि एक गरीब दम्पति के रोज-रोज के झगड़ों की वजह से उसके बच्चे घर में चाहकर भी पढ़ नहीं पातें, तो वे सही मंजिल की तलाश में घर से बाहर निकल जाते हैं. चमक-दमक भरी दुनिया में उन्हें फैशन और ग्लैमरस चीजें आकर्षित नहीं करती और आखिर में जब उनकी नज़र एक लायब्रेरी पर पड़ती है तो उनके चेहरे ख़ुशी से खिल जाते हैं, यानि उन्हें मंजिल की पहली सीढ़ी मिल जाती है. इस नाटक के माध्यम से समाज में सार्थक सन्देश देने की कोशिश की गयी.
इस समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज करानेवालों में कुछ महत्वपूर्ण कवियों -साहित्यकारों में से थें – सर्वश्री दिलीप कुमार (dy, CCM) / नीतू / अरुण शाद्वल / प्रवीण कुमार / अतुल कुमार /शिवम / अभिमन्यु आजाद/ घमंडी राम / शकिल / अभिमन्यु मौर्य / माधुरी भट्ट / अश्विनी कविराज आदि.