पटना, 14 सितंबर, नालंदा की धरती पर एक ओर जहाँ हिंदी को माथे की बिंदी की उपमा दी जा रही थी वहीँ दूसरी और माँ की महिमा में गीत गाये जा रहे थें….हिन्दी दिवस के अवसर पर महादेव मैरेज हॉल, बिहारशरीफ में माँ मालती देवी स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें साहित्यिक और सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले देश भर से कई व्यक्तियों को माँ मालती देवी स्मृति सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया गया. सम्मानित होने वाले व्यक्तियों में पटना की वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षाविद ममता मेहरोत्रा, चेन्नई के साहित्यकार ईश्वर करुण, नवादा की युवा कवयित्री राशि सिन्हा, किड्ज केयर कॉन्वेंट स्कूल की प्राचार्या नूतन कुमारी थे. वहीं पर्यावरण संरक्षण में विशेष योगदान देने वाली संस्था ‘मिशन हरियाली’ नूरसराय टीम को भी सम्मान से अलंकृत किया गया.
सम्मान समारोह के बाद दूसरे सत्र में देशभर से आये कवियों की मौजदगी में कवि-सम्मलेन आयोजित हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ नवगीतकार हरि नारायण सिंह ‘हरि’ ने तथा संचालन कविता कोश के उपनिदेशक राहुल शिवाय ने किया. दीप प्रज्वलन के बाद माँ मालती देवी की तस्वीर पर पुष्पांजलि देकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई. कार्यक्रम की शुरुआत में किड्ज केयर कॉन्वेंट स्कूल की बच्चियों ने अपने स्वागत गान से सभा में मौजूद तमाम अतिथियों का हृदय जीत लिया.
इस अवसर पर समारोह के सह संयोजक व नालन्दा जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष, किड्ज केयर कॉन्वेन्ट के निदेशक विनय कुमार कुशवाहा ने कहा कि “हिंदी दिवस के दिन हिंदी साहित्य में योगदान देने वालों को चिन्हित कर सम्मानित करना हिंदी भाषा का सम्मान है.” वहीं नालंदा हिंदी साहित्य सम्मेलन के सचिव उमेश प्रसाद उमेश ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि “उनके और मुख्य आयोजक युवा कवि संजीव कुमार मुकेश के प्रयासों से देश भर से कवि व साहित्यकारों का समागम नालंदा की धरती पर करवाना ही इस आयोजन का प्रमुख उद्देश्य है.”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता मेहरोत्रा ने संजीव कुमार मुकेश को मातृभाषा का सच्चा सपूत कहा. उन्होंने संजीव मुकेश द्वारा सामयिक परिवेश और माँ की स्मृति में किये गये इस कार्यक्रम को समाज और साहित्य के लिये अमूल्य योगदान बताया. चेन्नई से आये वरिष्ठ गीतकार ईश्वर करूण ने कहा, “आज के आधुनिक दौर में किसी सुपुत्र द्वारा अपनी माँ की स्मृति में साहित्यिक आयोजन करना स्वयं में सुसंस्कृत उदाहरण है.” उन्होंने हिन्दी दिवस की बधाई देते हुए हिन्दी के समृद्ध साहित्य पर प्रकाश डाला. वहीँ बेगूसराय से आये मणिभूषण सिंह ने कहा “मातृत्व मनुष्य के जीवन का वह अलौकिक प्रसाद है जिससे वह सही अर्थों में मनुष्य हो सका है.”
दूसरे सत्र में आयोजित कवि-सम्मलेन के बाद देशभर से इकट्ठा हुए कवियों को सम्मानित किया गया. ज़रा एक नज़र कवियों की कविताई पर डालते हैं.
वरिष्ठ नवगीतकार हरि नारायण सिंह ‘हरि’ की पंक्तियाँ-
रक्त के संबंध की बुनियाद मेरी माँ!
भूख में रोटी -सरीखी स्वाद मेरी माँ!
जी रहा बेशक जमीं पर ईश की मर्जी,
ईश के दरबार में फरियाद मेरी माँ!
कविता कोश के उपनिदेशक राहुल शिवाय की पंक्तियां-
अदरक वाली चाय, कभी तुलसी का काढ़ा
बीमारी जो ठीक करे तुम वह गोली हो
मम्मी सारे जग में तुम सबसे भोली हो.
झारखंड से आये कवि श्रीराज रामगढ़ी की पंक्तियां-
कडी हो धूप कितनी भी , उसका साया सुहाना है ,
माँ का आँचल ही सबसे खूबसूरत आशियाना है ,
सहे सौ दर्द तब माँ – बाप ने ये दुनिया दिखाई है ,
फर्ज के इस फसाने का कर्ज मुश्किल चुकाना है ।
बेगूसराय से आये मणिभूषण सिंह की पंक्तियां-
“माँ अभी मेरी खड़ी है,
प्रेम में सबसे बड़ी है,
गोद में मस्तक टिकाकर,
मोद की प्याली भरी है,
प्रीति पाकर शोक सब मेटा!”
रामगढ़ के राकेश नाज़ुक की पंक्तियाँ-
घर मे न माँ रही तो फिर प्यार ना रहेगा !
और तेरी ये शरारत फिर कोई ना सहेगा !!
कहीं तीर्थ जाने का जो तुम मन बना रहे हो !
माँ के चरण पखारो यहीं तीर्थ सब मिलेगा !!
वहीं चंद्रिका ठाकुर’देशदीप’ की पंक्तियाँ-
चांद – तारों का सायबां दे दे
मेरे माथे पे भी आसमां दे दे,
रख ले जहां की अज्मतेंअपनेपास
बस मेरी मुट्ठी में मेरी मां दे दे!
सरोज झा झारखंडी की पंक्तियाँ-
मैं अपनी शर्तों पे ज़िन्दगी को आजमाना चाहता हूँ।
मैं ग़म में रहकर भी मुस्कुराना चाहता हूं।।
डॉ. गोपाल प्रसाद ‘निर्दोष’ की पंक्तियाँ-
बचपन से लेकर आज तक मैंने यही देखा
देवनागरी के अक्षरों को मिलाती है शिरोरेखा
हर हिन्दुस्तानियों को मिलाती है ऐसे ही हिन्दी
ये जो है अपने भारत के माथे की बिन्दी.
बोलो ज़िन्दगी के निदेशक राकेश सिंह ‘सोनू’ की पंक्तियाँ-
रखो न बांधकर जुल्फों को तुम
खुली जुल्फों में अच्छी लगती हो..
लगाओ ना पावडर चेहरे पर तुम
गोरे गालों में अच्छी लगती हो.
नई दिल्ली से आये युवा शायर व ग़ज़लकार सूरज ठाकुर बिहारी की पंक्तियाँ-
लाख गम आए मगर वो मौन हो सहती रही है
हाथ वो जब भी उठाई खुश रहो कहती रही है
आपकी खुशियों में ही वो ढूंढती अपनी भी खुशियां
इसलिए ममता की धारा अनवरत बहती रही है!
साहित्यानुरागी राकेश बिहारी शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि “अंग्रेजी भाषा की वजह से हिंदी भाषा के गिरती लोकप्रियता को रोकने के लिए हर साल 14 सितंबर को देश भर में ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है. हिंदी को जानने, समझने और बोलनेवाले लोग देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं. हिंदी दिवस मनाने के पीछे सरकार का प्राथमिक उद्देश्य हिंदी भाषा की संस्कृति को बढ़ावा देना और फैलाना है.”
वहीँ साहित्यकार लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि “बुद्ध ने कहा था कि माता-पिता की सेवा करनेवाले लोगों की कभी परिहानि नही होती है. क्योंकि माँ-बाप साक्षात भगवान हैं. बुद्ध की इस उक्ति को नालंदा की धरती पर संजीव कुमार’मुकेश’चरितार्थ कर रहे हैं. ये अपनी स्वर्गीय माँ मालती देवी की स्मृति में हर वर्ष 14 सितम्बर को भव्य रूप से माँ मालती देवीस्मृति सम्मान समारोह आयोजित कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. साथ ही लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों को सम्मानित करते हैं. आज जब लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता को ओल्ड एज होम भेज कर भारतीय संस्कारों की आहुति दे रहे हैं तब ऐसे में संजीव कुमार मुकेश अपनी माँ के सम्मान में समारोह आयोजित कर श्रद्धांजलि अर्पित कर, समाज को संदेश देने का काम कर रहे हैं. यह भारतीय समाज के लिए शिक्षा और गौरव की बात है.”: